इंजीनियर बहू ने गढ़ा पूसहा पिट्ठा, मगध की धरती का स्वाद बंगलुरू तक पहुंचा
गया बिहार में मगध की खानपान से जुड़ी लोक संस्कृति को अक्षुण बनाए रखने के लिए दैनिक जागरण के पिट्ठा दिवस को आम लोगों का भरपुर समर्थन मिला। बुजुर्गों के साथ ही आज की पीढ़ी के युवाओं ने भी स्वाद से भरपुर पिट्ठा को लेकर चर्चा की।
गया: बिहार में मगध की खानपान से जुड़ी लोक संस्कृति को अक्षुण बनाए रखने के लिए दैनिक जागरण के पिट्ठा दिवस को आम लोगों का भरपुर समर्थन मिला। बुजुर्गों के साथ ही आज की पीढ़ी के युवाओं ने भी स्वाद से भरपुर पिट्ठा को लेकर चर्चा की। कई घरों में इस विशेष आलेख ने पिट्ठा बनाने की तैयारी में जुट जाने के लिए प्रेरित किया। तो कई घरों में पिट्ठा दिवस ही शानदार तरीके से मनाया गया। शहर के एपी कॉलनी स्थित पंजाबी पार्क में एक परिवार ने पूरे उत्साह के साथ अपनी रसोई में इस व्यंजन को बनाया। अपने परिवार समेत इष्ट-मित्रों के साथ इसके स्वाद का लुत्फ उठाया। पतंजलि योग समिति के जिला संयोजक प्रमोद कुमार के घर में पिट्ठा बनाने को लेकर गुरुवार को सुबह से ही तैयारी शुरू हो गई थी। करीब 3 घंटों में एक से बढ़कर एक स्वाद का पिट्ठा बनकर तैयार हो गया। सॉफ्टवेयर इंजीनियर बहू सुधा कुमारी, मां उषा किरण ने मिलकर करीब 3 किलो आटा का पिट्ठा बनाया। आलू का चोखा, तीसी, खोबा-दूध का स्वादिष्ट व्यंजन बना। परिवार के सदस्यों ने बड़े चाव से इस स्वदेशी पूसहा पिट्ठा का आनंद लिया। प्रमोद जी ने कहा कि इसे लेकर दूर के रिश्तेदारों में भी खूब चर्चा हुई। -------- फेसबुक-व्हाट्सप पर लोगों ने दैनिक जागरण के प्रसास को जमकर सराहा -पिट्ठा दिवस को लेकर गया समेत दूसरे प्रदेशों में बैठे लोगों ने भी मगध क्षेत्र के इस लजीज व्यंजन को मन से याद किया। कईयों ने इसके स्वाद को ताजा किया। बंगलुरु में रहे सेवानिवृत प्राचार्य अरूण कुमार प्रसाद ने फेसबुक पर लिखा कि बहुत ही निरोग और पौष्टिकता से भरपुर सुस्वाद मगही व्यंजन को जागरण के माध्यम से परोसा गया। अरूण ने लिखा कि मैं तो बंगलुरु में भी इसका स्वाद ले रहा हूं। गया के मगही साहित्यकार रामकृष्ण मिश्रा ने लिखा कि बहुत अच्छज्ञ हुआ कि पिट्ठा भी पौष में अखबारी बन गया। भागलपुर से राजेश, रांची से निरंजन प्रसाद ने भारतीय संस्कृति और इसके व्यंजन को जन-जन तक पहुंचाने के जागरण के प्रयास की सराहना की। अंग्रेजी की अध्यापिका डॉ. कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने इस पूरे आलेख को बहुत ही रोचक बताया। नवादा जिले के युवा साहित्यकार गोपाल निर्दोष ने व्हाटसप संदेश के जरिए लोक संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के इस दैनिक जागरण के प्रयास के प्रति आभार प्रगट किया। अन्य लोगों ने भी पूसहा पिट्ठा को लेकर तरह-तरह की राय रखी।