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दोमट-जीवांश युक्त भूमि में बिचड़ा गिराए किसानों को मिलेगी अच्छी उपज, बीज व उर्वरक की परख है किसानी

वैज्ञानिकों ने बताया कि एक कट्ठा जमीन में नर्सरी तैयार करने के लिए महीन धान 2.5 किलोग्राम व मोटे धान 3 से साढ़े तीन केजी पर्याप्त है। इससे अधिक बीज बोने से बिचड़ा कमजोर हो जाता है व समुचित विकास नहीं हो पाता है।

By Prashant KumarEdited By: Updated: Thu, 27 May 2021 06:41 PM (IST)
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बिचड़ा गिराए किसानों को मिलेगी अच्छी उपज। प्रतीकात्‍मक तस्‍चीर।
संवाद सूत्र, अम्बा (औरंगाबाद)। खरीफ मौसम किसानों के लिए महत्वपूर्ण है। चक्रवाती यास तूफान के कारण बरसात के प्रथम मेघ आकाश में उमड़ने- घुमड़ने लगें हैं। इसे देखते हुए केवीके सिरीस के वैज्ञानिकों ने किसानों को धान की खेती के लिए नर्सरी की तैयारी करने में जुट जाने की अपील की है।

मंगलवार को केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ नित्यानंद व कृषि मौसम वैज्ञानिक डाॅ अनूप कुमार चौबे ने व्हाट्सप ग्रुप के माध्यम से किसानों को नर्सरी प्रबंधन के साथ-साथ कई तरह की आवश्यक जानकारी दी है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि  किसानी का पहला मूलमंत्र बीज तथा उर्वरकों की परख है। खाद बीज जितना अच्छा रहेगा उपज भी उतनी हीं अच्छी  होगी। उत्तम क्वालिटी वाला बीज यदि बीजोपचार के साथ बोया जाएगा तो उत्पादन बेहतर होगा। अप्रामाणिक बीज व नकली खाद से धन व समय दोनों की बर्बादी होती है।

दोमट मिट्टी में तैयार करें नर्सरी

धान की नर्सरी के लिए दोमट-जीवांश युक्त भूमि उपयुक्त है। ख्याल रहे कि नर्सरी बेड पर पानी का जल जमाव नहीं होना चाहिए। नर्सरी के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि का चयन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती के लिए 1000 वर्ग मीo यानी 8 कट्ठा जमीन में नर्सरी तैयार करना चाहिए।

ढाई से साढ़े तीन केजी बीज है पर्याप्त

वैज्ञानिकों ने बताया कि एक कट्ठा जमीन में नर्सरी तैयार करने के लिए महीन धान 2.5 किलोग्राम व मोटे धान 3 से साढ़े तीन केजी पर्याप्त है। इससे अधिक बीज बोने से बिचड़ा कमजोर हो जाता है व  समुचित विकास नहीं हो पाता है। इसे  सड़ने का भी डर बना रहता है। डाॅ नित्यानंद ने बताया कि अच्छी उपज के लिए बीजोपचार जरूरी है। बीजोपचार करने से पहले बीजो को पानी में डाल कर अच्छी तरह से हिलाएं।

इससे खोखले व थोथे बीज ऊपर तैरने लगेंगे जिसे छानकर अलग कर दें। इससे पौधे स्वस्थ तथा रोग ब्याधि रहित होते हैं। उन्होंने बताया कि इसके पश्चात कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या फिर स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 4 लीटर पानी में 1ग्राम की दर से दवा का घोल बनाकर 15 से 18 घंटे तक बीज को डुबोकर रखे। इसके बाद फिर छाया में फैलाकर बीज को भुरभुरा कर ले तब खेत में डाले। घना बीज ठीक नहीं होता है।

संतुलित मात्रा में उर्वरक का करें प्रयोग

धान की नर्सरी मे पोषक तत्व की मात्रा जरूरी है। वैज्ञानिकों ने बताया कि प्रति कट्ठे बिचड़े में 50 किलोग्राम वर्मीकम्पोस्ट अवश्य डाले। इससे मिट्टी हल्की होगी जिससे बिचड़ा उखाड़ने मे सहुलियत होगी। बताया है कि 8 कट्ठा खेत में धान की नर्सरी तैयार करने के लिए 10 किलोग्राम यूरिया,12 किलोग्राम डीएपी, 8 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश बीज गिराने के पहले छिड़काव कर देना चाहिए। बीज गिराने के 15 दिनो के बाद 10 किलोग्राम यूरिया का बीजस्थली मे छिड़काव जरूरी है।

वेराईटी के अनुसार समय का महत्व दे किसान

धान की खेती के लिए समय का महत्व अहम माना जाता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि जिस तरह की धान की  वेराईटी है उसके अनुसार बिचड़ा गिराने का प्रयास करना चाहिए। लंबी अवधि 150से160दिनों में तैयार होने वाले प्रजातियों के लिए 25 मई से 5 जून तक बिचड़ा गिराने का उपयुक्त समय है। इसके साथ हीं मध्यम अवधि जो 130 से135दिनों में पक्क कर तैयार हो जाता है। उसके लिए 15 जून से 25 जून तक बिचड़ा गिराए। इसी तरह से 100 से 120दिनों में तैयार होने वाली वेराईटी के धान का बिचड़ा हरहाल में एक से10 जुलाई तक गिरा देना चाहिए। बताया कि बीज अंकुरित होने के बाद खेत मे नमी हमेशा बना रहना चाहिए।

ससमय सिंचाई नहीं होने से मिट्टी हार्ड पड़ जाता है। ऐसे में बिचड़े उखाड़ने में टूटने का डर बना रहता है। उन्होंने किसानों से आह्वन किया है कि पौधो मे किसी तरह की कोई समस्या आने पर कृषि विज्ञान केंद्र के फोन नंबर 9430949800 पर संपर्क स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि अपने आप कोरोना से बचाव करने के लिए सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का अनुपालन करना जरूरी है।

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