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    Bihar Politics: पीएम मोदी की सभा में एक परिवार का जलवा; मंच पर दिखे पिता-पुत्र, समधन और बहु

    बोधगया में प्रधानमंत्री मोदी की जनसभा में हम पार्टी के एक ही परिवार के चार सदस्यों की उपस्थिति चर्चा का विषय रही। जीतन राम मांझी संतोष सुमन ज्योति मांझी और दीपा मांझी एक साथ मंच पर दिखे। इस दृश्य ने पार्टी की एकजुटता और राजनीतिक पकड़ को दर्शाया। कार्यकर्ताओं की भारी भागीदारी और अनुशासन ने पार्टी की संगठनात्मक क्षमता को भी दिखाया।

    By subhash kumar Edited By: Piyush Pandey Updated: Sat, 23 Aug 2025 10:15 AM (IST)
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    प्रधानमंत्री की सभा में एक परिवार का जलवा। (फोटो एक्स)

    जागरण संवाददाता, गयाजी। बोधगया की ऐतिहासिक धरती पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशाल जनसभा में जहां एनडीए के कई दिग्गज नेता मंच पर मौजूद थे, वहीं सबसे अधिक चर्चा का विषय हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) पार्टी के एक ही परिवार के चार प्रतिनिधियों की एक साथ उपस्थिति रही।

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    हम पार्टी के संस्थापक एवं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार सरकार में मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन, बाराचट्टी विधायक ज्योति मांझी और इमामगंज विधायक दीपा मांझी।

    ये चारों प्रधानमंत्री की सभा के मंच पर एक साथ नजर आए। इस दृश्य ने न सिर्फ कार्यकर्ताओं का ध्यान खींचा, बल्कि पूरे राजनीतिक गलियारे में भी चर्चा छेड़ दी।

    राजनीति में मजबूत पकड़

    कई नेताओं ने आपसी बातचीत में कहा कि यह नजारा हम पार्टी की आंतरिक एकजुटता और परिवार की राजनीति में मजबूत पकड़ को दर्शाता है।

    पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बिहार की राजनीति के एक अनुभवी चेहरा हैं। उनके पुत्र डॉ. संतोष सुमन राज्य सरकार में मंत्री हैं। वहीं, समधन ज्योति मांझी और बहू दीपा मांझी दोनों सक्रिय विधायक हैं। सभा में आए कई एनडीए कार्यकर्ताओं ने इसे पारिवारिक राजनीतिक ताकत की मिसाल बताया।

    कुछ ने तो इसे राजनीतिक संतुलन और रणनीति का केंद्र भी करार दिया। सभा में हम पार्टी के कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या में भागीदारी, उनकी अनुशासित मौजूदगी और प्रधानमंत्री के स्वागत की जोरदार तैयारी ने पार्टी की संगठनात्मक क्षमता को भी सामने ला दिया।

    राजनीतिक जानकारों की मानें तो मांझी परिवार की यह उपस्थिति सिर्फ एक मंच साझा करना नहीं था, बल्कि बिहार की राजनीति में बदलते समीकरणों और जातीय प्रतिनिधित्व की रणनीति का भी संकेत था। आने वाले समय में इसका असर एनडीए के भीतर और बाहर, दोनों स्तर पर देखा जा सकता है।