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आत्माओं के आह्वान व मोक्ष के पर्व की भूमि है गया, गौतम बुद्ध के अलावा इन चीजों के लिए भी दुनियाभर में प्रसिद्ध

Pitru Paksha Sharad 2023 in Gaya सनातन धर्म के प्रमुख संस्कारों में एक दाह संस्कार के बाद अजर-अमर आत्मा के मोक्ष का पर्व देखना है तो 28 सितंबर से शुरू पितृपक्ष के दौरान 14 अक्टूबर तक गया आएं। उनकी तृप्ति को पिंडदान व फल्गु नदी में जलांजलि अर्पित करते हैं। मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्रीराम व मां सीता ने यहां पिता दशरथ की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान किया था।

By pradeep kumarEdited By: Monu Kumar JhaUpdated: Fri, 29 Sep 2023 06:33 PM (IST)
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आत्माओं के आह्वान व मोक्ष के पर्व की भूमि है गया। फोटो जागरण
कमल नयन, गया Gaya Pitru Paksha 2023: सनातन धर्म के प्रमुख संस्कारों में एक दाह संस्कार के बाद अजर-अमर आत्मा के मोक्ष का पर्व देखना है तो 28 सितंबर से शुरू पितृपक्ष के दौरान 14 अक्टूबर तक गया आएं। चारों ओर मुंडन कराए हर आयु वर्ग के पुत्र अपने पितरों की आत्मा के आह्वान, पिंडदान व तर्पण (Pinddan and Tarpan) के कर्मकांड में जुटे दिखेंगे।

पुत्र धर्म के निर्वाह के प्रति समर्पण व प्रतिबद्धता चरम पर दिखेगी। पूरे विश्व में टूटते, छीजते रिश्तों के विपरीत दैहिक तौर पर अनुपस्थित पितरों के प्रति अगाध श्रद्धा अनुकरणीय है।

विभिन्न अनुष्ठानों में पितरों की आत्मा को तृप्त करने का भाव सर्वोपरि होता है। कई पुत्र तो ऐसे भी मिलेंगे, जो पितरों का आह्वान (Sharad 2023 in Gaya) घर से चलते समय ही कर लेते हैं, इनके लिए बकायदा ट्रेन में सीट आरक्षित करके गया आते हैं और उस सीट को खाली रखते हैं।

वसुधैव कुटुंबकम का भाव ऐसा कि कोई भी पिंडदानी (Pindaani) केवल अपने माता-पिता का ही तर्पण (Tarpan) नहीं करते, बल्कि उनके उपर की ज्ञात-अज्ञात पीढ़ियों, ननिहाल व ससुराल पक्ष तक के पितरों के प्रति श्रद्धा निवेदित करते हैं।

उनकी तृप्ति को पिंडदान (Pindan) व फल्गु नदी (Falgu River) में जलांजलि अर्पित करते हैं। यहां तक की इहलोक से प्रस्थान कर गए पशु, पक्षियों तक के मोक्ष की कामना की जाती है, ताकि विभिन्न योनियों में उनका भटकाव समाप्त हो और परमात्मा में विलीन हो जाएं।

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इसी कामना से गया के फल्गु तट के किनारे विष्णुपद मंदिर में श्रीविष्णु (srivishnu) चरण में भी पिंडदान (Pindan) किया जाता है। श्रद्धालु श्रीविष्णु (srivishnu) का शृंगार करते हैं। इसमें तुलसी दल की प्रधानता होती है।

विष्णुपद मंदिर के शिखर पर स्वर्ण जड़ित कलश और ध्वज दूर से फहराता दिखता है। इसी के गर्भगृह में श्रीहरि विष्णु चरण है, जिनके दर्शन से लोग स्वयं को धन्य मानते हैं। दर्शन के बाद सकरी गलियों से होते हुए देवघाट की सीढ़ियां पार कर फल्गु तट  (Falgu River) पर पहुंचते हैं।

जहां गयाजी डैम (रबर डैम) में पवित्र फल्गु जल में स्नान के बाद सभी पूर्वजों को स्मरण कर जलांजलि देते हैं, यहीं से पिंडदान के अनुष्ठान शुरू होते हैं।

मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम व मां सीता (Sri Rama and Mother Sita) ने यहां पिता राजा दशरथ की मोक्ष प्राप्ति को पिंडदान (Pinddan) किया था। फल्गु के पूर्वी तट पर सीता पथ होते सीता कुंड पहुंचते हैं।

दीवारों पर मिथिला पेंटिंग से राम-सीता-दशरथ प्रसंग का चित्रण दर्शनीय है। गया में अभी 55 पिंडवेदियां हैं, जहां कर्मकांड होते हैं। कालांतर में इस मोक्षभूमि पर 365 पिंडवेदियां थीं, जो धीरे-धीरे विलुप्त हो गईं।

पितरों के तर्पण को फल्गु जल, श्रद्धालुओं के लिए गंगा जल

पटना (Patna News) के बाद राज्य में राजगीर व गया (Gaya News) ही ऐसे धार्मिक शहर हैं, जहां पाइपलाइन से इस वर्ष गंगाजल की आपूर्ति प्रारंभ हुई है। पितृपक्ष (Pitrupaksh) में शहर में जगह-जगह पर नल लगाकर शुद्ध गंगाजल आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। इस तरह गया ही एक ऐसी भूमि है, जहां पितरों के तर्पण को फल्गु का पवित्र जल और श्रद्धालुओं के लिए गंगाजल एक साथ उपलब्ध है।

गया के आसपास के दर्शनीय स्थल

गया से मात्र 14 किमी की दूरी पर गौतम बुद्ध (Gautam buddha) की ज्ञान स्थली बोधगया है। जहां विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर के अतिरिक्त तीन दर्जन से अधिक विभिन्न देशों के महाविहार हैं। यह बौद्ध धर्म Buddhism) का महातीर्थ और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यहां वर्ष भर देश-विदेश के बौद्ध धर्मावलंबियों व पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। धर्म गुरु दलाईलामा भी यहां हर एक-दो वर्ष के अंतराल पर प्रवास करते हैं।

इसके अतिरिक्त पटना-गया मार्ग पर वाणावर की गुफाएं, नालंदा मार्ग में राजगीर की पंच पहाड़ियां, भगवान बुद्ध (Lord Buddha) का वर्षावास स्थल वेणुवन और इको टूरिज्म स्पाट घोड़ा कटोरा भ्रमण कर सकते हैं। विश्व धरोहर प्राचीन नालंदा महाविहार के भग्नावशेष भी देख सकते हैं। गया से 30-35 किमी दूर माउंटेन मैन से ख्यात दशरथ मांझी की पत्नी के प्रेम के प्रतीक गेहलौर घाटी भी पर्यटन क्षेत्र में रूप में उभरा है।

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गया की प्रसिद्धि

गया (Gaya Famous) का तिलकुट काफी प्रसिद्ध है, यह जाड़े के मौसम में बनता और बिकता है। लाई और अनारसा, केसरिया पेड़ा और पंचानपुर का बड़ा रसगुल्ला भी प्रसिद्ध है। लोग इसे सौगात के रूप में ले जाते हैं।

कैसे पहुंचे गयाजी

बिहार (Bihar News) के इस पौराणिक शहर में आने का सबसे सुलभ रेल मार्ग है। यह शहर ग्रैंडकार्ड लाइन पर बसा है। दिल्ली और हावड़ा के बीच प्रतिदिन मेल-एक्सप्रेस ट्रेनें उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग से भी गया जुड़ा है।

अब तो गया आने का और भी सुलभ साधन हवाई मार्ग हो गया है। दिल्ली (Delhi news) से गया आने के लिए प्रतिदिन उड़ानें उपलब्ध हैं। राज्य की राजधानी पटना (Patna News) से इसकी दूरी 106 किमी है।

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