गया के रैन बसेरा में एक कंबल के सहारे रात काटना पहाड़ पर चढ़ने से ज्यादा मुश्किल
Gaya Night Shelter Home गया शहर में गरीब मुसाफिरों के लिए बनाया गया रैन बसेरा सुविधाओं के मामले में मानक के अनुरूप साबित नहीं हो रहा है। यहां किचन और खाना की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है।
By Shubh NpathakEdited By: Updated: Tue, 22 Dec 2020 02:31 PM (IST)
गया, जागरण संवाददाता। Gaya Night Shelter Home गया शहर में पड़ रही कड़ाके की ठंड से लोग परेशान हैं। खुली धूप के बीच भी कंपकपी का एहसास ठंड करा रही है। लोग घरों में दुबके हैं। वहीं शहर में गरीबों की रात गुजारने के लिए सरकार ने दीनदयाल अंत्योदय योजना अंतर्गत राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत रैन बसेरा का निर्माण कराया, ताकि गरीब लोगों को चैन की नींद मिल सके। शहर में स्थित रैन बसेरा को देखरेख का जिम्मा नगर निगम का है।
पंचायती अखाड़ा रैन बसेरा में एक कंबल में रात काटनी मुश्किलशहर के पंचायती अखाड़ा स्थित रैन बसेरा में सुविधा के नाम पर विशेष कुछ भी नहीं है। रात में ठहरने वाले गरीबों को दो कंबल नहीं दिया जा रहा है जिससे लोग पूरी रात ठंड के कारण ठिठुरे रहते हैं। काफी दिनों से लोगों को मच्छरदानी नहीं मिल रहा है साथ ही मनोरंजन के लेकर लगे टेलीविजन भी खराब है। वही आरो मशीन 2 वर्षों से खराब पड़ा हुआ है। जिससे चाहने वाले लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है ।लोग बाहर से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं। रैन बसेरा के मैनेजर सुरेश दास ने बताया कि रैन बसेरा में सिर्फ एक कंबल नगर निगम के द्वारा दिया गया है अगर दो कंबल दिया जाता तो जरूर लोगों को उपलब्ध कराई जाती। रात गुजारने के लिए गरीबों को एक भी रुपया नहीं देना पड़ता है पूरी तरह निशुल्क रात गुजारते हैं।
ठहरने वालों ने कहा-कम से कम दो कंबल मिलेंरेन बसेरा में ठहरे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद निवासी नईम अहमद ने कहा कि रात में एक कंबल इतना ठंड में भी ओड़ने के लिए दिया जा रहा है जिससे ठंड लग रही है। वही खिजरसराय निवासी मोहन चंद्रवंशी ने कहा कि रैन बसेरा में मछरदानी नहीं है। जिससे पूरी रात मच्छर काटते रहता है ।साथ ही नगर निगम अलाव जलाने के नाम पर खानापूर्ति कर रही है क्योंकि अलाव मात्र 2 घंटा ही जलता है।
किचन शेड के अभाव में नहीं मिलता खानासरकार का निर्देश है कि रैन बसेरा में गरीबों के दोनों शाम का खाना देना है । जिसमें ₹35 में पूरे पेट खाना देना है, लेकिन किचन शेड नहीं बनने के कारण खाना नहीं मिल रहा है। गरीब लोग बाहर से खाना खाकर रैन बसेरा में सिर्फ सोने के लिए आ रहे हैं।
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