Gaya News: गया पुलिस से हो गया भारी ब्लंडर, 1 घंटे का काम 3 दिन में भी नहीं कर सकी, अज्ञात का कर दिया दाह संस्कार
Gaya News बिहार सरकार पुलिस व्यवस्था को सही करने का लाख दावा भले ही क्यों न कर दें लेकिन जिस तरह के मामले सामने आ रहे हैं उससे ऐसा लग रहा है कि पुलिस आए दिन जिम्मेदार होने की बजाय लापरवाह होती जा रही है। ताजा मामला गया का है जहां 72 घंटों में भी गया पुलिस एक अज्ञात शव का पहचान नहीं कर सकी।
जागरण संवाददाता, गया। Gaya News: बिहार सरकार थानों को डिजिटल बनाने एवं पुलिस को साइबर एक्सपर्ट बनाने के अभियान में जुटी है। फिर भी कई पुलिस पदाधिकारी लीक से हटकर कुछ करने को तैयार नहीं हैं। ऐसा ही मामला गया जिले के परैया थाना क्षेत्र में सामने आया है।
विगत 27 सितंबर को स्कूटी सवार एक युवक की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। परैया थाना पुलिस ने मौके से युवक की स्कूटी व मोबाइल जब्त की और उसका पोस्टमार्टम कराकर नियमानुसार शव को 72 घंटे तक पहचान के लिए रखा। इस बीच कोई युवक की पहचान करने नहीं आया तो पुलिस ने अज्ञात शव मानकर उसका दाह संस्कार कर दिया।
72 घंटो में भी पुलिस नहीं कर सकी युवक की पहचान
बड़ी बात यह कि उन 72 घंटों में थाना अध्यक्ष व मामले से जुड़े जमादार व चौकीदार ने स्कूटी के नंबर या मोबाइल के माध्यम से मृतक की पहचान की कोई कोशिश नहीं की। उधर, पुत्र की तलाश में भटक रहे पिता घटना के 10 दिन बाद परैया थाने पहुंचे तो उनकी नजर पुत्र की स्कूटी पर पड़ी। पता चला कि स्कूटी सवार की सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है और अज्ञात मानकर उसका दाह संस्कार कर दिया गया है।
मृतक के पिता ने की शिकायत तो दूसरे अधिकारी के पास भेज दिया गया
इस मामले में मृतक मो. शहाबुद्दीन के पिता मो. गुलाम हैदर ने एसएसपी आशीष भारती से शिकायत की तो उन्होंने जांच का जिम्मा टिकारी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को दिया। एसडीपीओ ने मामले में परैया थाना अध्यक्ष मुकेश कुमार, पुसअनि (जमादार) कृष्ण कुमार गुप्ता एवं चौकीदार श्यामसुंदर पासवान पर प्राथमिकी में विलंब करने, मृत व्यक्ति के नाम-पते के सत्यापन तथा दाह संस्कार में घोर लापरवाही एवं कर्तव्य के प्रति उदासीनता की पुष्टि की।
जमादार, चौकीदार पर गिरी गाज, थानाध्यक्ष के निलंबन की अनुशंसा
इस आधार पर एसएसपी ने जमादार व चौकीदार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। वहीं थाना अध्यक्ष को निलंबित करने की अनुशंसा मगध आइजी क्षत्रनील सिंह से की है। बता दें कि बिहार पुलिस अक्सर इस तरह की लापरवाही करती आई है। कभी शराब के मामले में तो कभी दारोगा ही रिश्वतखोरी करते पकड़े जाते हैं। डीजीपी के सख्त निर्देश के बाद भी पुलिस व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है।
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