Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष में पहली बार तीर्थ यात्रियों को मिल रहा गंगा जल, CM नीतीश कुमार ने दिया था निर्देश
पितृपक्ष 2024 में गयाजी में पिंडदान करने वालों के लिए कई खास इंतजाम किए गए हैं। इस बार पहली बार पिंडदान करने वालों को गंगा जल उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा फल्गु नदी के पश्चिमी तट पर बना विष्णु पथ तीर्थयात्रियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस मार्ग पर मिथिला पेंटिंग के माध्यम से भगवान श्री हरि विष्णु के चरित्र का वर्णन किया गया है।
जागरण संवाददाता, गया। पितृपक्ष मंगलवार से शुरू हो गया। पितृपक्ष मेला दो अक्टूबर तक चलेगा। पितृपक्ष में काफी संख्या में पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर गयाजी आते हैं। यहां पिंड वेदियों पर कर्मकांड कर अपने पितरों के मोक्ष की कामना करते हैं। इस बार पितृपक्ष में पिंडदानों को कुछ अलग देखने के लिए मिल रहा है।
जिला प्रशासन द्वारा पिंडदानों को पितृपक्ष में पहली बार गंगा जल उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगा जल उपलब्ध करने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आठ अक्टूबर को निर्देश दिया था। सीएम के निर्देश के बाद जिला प्रशासन ने गंगा जल उपलब्ध करने को लेकर तैयारी शुरू कर दी थी।
जल संसाधन विभाग द्वारा गया सुधा डेयरी को प्रत्येक दिन 10 हजार लीटर गंगा जल दिया जा रहा है। सुधा डेयरी द्वारा पैकेजिंग कर तीर्थ यात्रियों को गंगा जल उपलब्ध कराया जा रहा है। तीर्थ यात्रियों को 200 ML और 500 ML में गंगा जल मिल रहा है।
विष्णु पथ बना तीर्थ यात्रियों का आकर्षण का केंद्र
पितृपक्ष में आने वाले तीर्थ यात्रियों को किसी तरह की परेशानी ना हो, इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। तीर्थ यात्रियों केी सुविधा को लेकर फल्गु नदी के पश्चिमी तट पर विष्णु पथ का निर्माण जल संसाधन विभाग द्वारा किया गया है। इस मार्ग पर तीर्थ यात्री आसानी से पैदल चल रहे हैं।
मार्ग की दीवार को मिथिला पेंटिंग से सजाया गया है। मिथिला पेंटिंग के माध्यम से भगवान श्री हरि विष्णु के चरित्र का वर्णन किया गया है। मिथिला पेंटिंग तीर्थ यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वहीं, फल्गु नदी के पवित्र जल से तर्पण को लेकर दो घाट का भी निर्माण किया गया है।
पिंडदानी कल से गोदावरी सरोवर से आरंभ करेंगे त्रिपाक्षिक कर्मकांड
त्रिपाक्षिक श्राद्ध कब और कहां
- पहला दिन : फल्गु, प्रेतशिला, रामकुंड, रामशिला एवं कागवली।
- दूसरा दिन : उत्तरमानस, दक्षिणमानस, सूर्यकुंड, जिह्मलोल वेदी।
- तीसरा दिन : सरस्वती तर्पण, पंचधाम, धर्मारण, बोधिदर्शन ।
- चौथे दिन : ब्रहृासरोवर, कागबली, आम्रसेंचन वेदी।
- पांचवां दिन : विष्णुपद, रुद्रपद, ब्रह्मपद।
- छठा दिन : कार्तिक, दक्षिणाग्नि, गार्हपस्य।
- सातवां दिन : सूर्यपद, चंद्रपद, दधीचिपद।
- आठवां दिन: कंवपद, मांतगपद, अगस्तपद, कश्यपद।
- नौवां दिन : सीताकुंड, रामगया।
- 10वें दिन : गयासिर, गयाकूप।
- 11वें दिन : मुंड पृष्ठा, आदि गया, धौतपद।
- 12वें दिन : भीमगया, गौप्रचार, गदालोल।
- 13वें दिन : फल्गु में दूध का तर्पण, पितृ दिवाली
- 14वें दिन : वैतरणी में गोदान।
- 15वें दिन : अक्षयवट श्राद्ध, पौडशदान, सुफल, पितृ विर्सजन।
- 16वें दिन : गायत्री घाट पर दही-चावल का पिंडदान।
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