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Gaya: गया कालेज के निलंबित प्राचार्य ने वर्तमान प्राचार्य पर निकाली भड़ास, आवास पर कब्जा करने का आरोप निराधार

43 लाख रुपए के गबन के मामले में निलंबित चल रहे प्राचार्य प्रो.दिनेश प्रसाद सिन्हा ने बताया कि हमने कोई गबन नहीं किया है। कालेज की एफडी को तोड़ कर कालेज कर्मियों को सैलरी दी है। इस बात कागजी दस्तावेज मौजूद हैं। बावजूद इसके मविवि हमें फंसा रही है।

By subhash kumarEdited By: Prashant Kumar pandeyUpdated: Sun, 20 Nov 2022 09:04 AM (IST)
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मगध विवि के अंतर्गत गया कालेज की तस्वीर

जागरण संवाददाता,गया : गया कालेज के निलंबित प्राचार्य प्रो. दिनेश प्रसाद सिन्हा ने खुद के खिलाफ जांच कर रही कमेटी पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने शनिवार को प्राचार्य निवास में आयोजित प्रेस वार्ता में वर्तमान प्राचार्य डा.दीपक कुमार के खिलाफ जमकर भड़ास निकालते हुए कहा कि गया कालेज का प्राचार्य हूं। फिर मुझे आवास को खाली करने को क्यों कहा जा रहा है। उन्होंने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब जांच की कार्रवाई पूरी ही नहीं हुई, तो हम 43 लाख रुपये के गबन के आरोपी कैसे हुए। उन्होंने कहा कि दूसरा यह भी कि जांच मगध विश्वविद्यालय की ओर से बिठाई गई है न कि राजभवन कार्यालय की ओर से किया गया।

आवास पर कब्जा करने का लगाया आरोप

वर्तमान प्राचार्य पद पर कार्य कर रहे डा.दीपक कुमार ने सोची समझी साजिश के तहत अफवाह फैलाने का आरोप लगाया है। डा.दीपक कुमार ने हमें आवास पर कब्जा करने का आरोप लगाया है, जो कि गलत है। निलंबित प्राचार्य प्रो. दिनेश प्रसाद सिन्हा ने कहा कि मगध विश्वविद्यालय ने सस्पेंड कर एसबीएएन दरहेटा लारी कालेज में पदस्थापना करने को कहा गया है। चौथा यह भी कि वर्तमान में प्राचार्य डा. दीपक कुमार जहां रहते हैं, वहां का एक दिन का किराया 20 हजार रुपए हैं। हमें वह बताएं कि अब तक उन्होंने कितने रुपए बतौर किराया जमा कराया है।

एफडी को तोड़ कर्मियों को दी सैलरी 

43 लाख रुपए के गबन के मामले में निलंबित चल रहे प्राचार्य प्रो.दिनेश प्रसाद सिन्हा ने बताया कि हमने कोई गबन नहीं किया है। कालेज की एफडी को तोड़ कर कालेज कर्मियों को सैलरी दी है। इस बात कागजी दस्तावेज मौजूद हैं। बावजूद इसके मविवि हमें फंसा रही है। मगध विश्वविद्यालय ने स्थानांतरण का आदेश वापस कर लिया। सिर्फ निलंबन से मुक्त नहीं किया है। निलंबन से मुक्त होता है तो गया कालेज में अपना कार्य पुन: प्रारंभ करुगा। मविवि से लिखित निवेदन किया हूं कि मेरा निलंबन समाप्त किया जाए। निलंबित रखने का कोई आधार भी नहीं हैं। जब स्थानांतरण आदेश वापस ले लिया गया, तो कार्य करने की अनुमति नहीं देना मेरे साथ अन्याय करना जैसा हो रहा है।

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