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होमियोपैथी से त्वरित नहीं मिलता है स्थायी निदान, बीमारियों को दूर करने पर मीठी गोली बहुत कारगर

होम्योपैथी के जनक हैनीमेन आज डॉक्टर सैमुअल हैनिमैन जयंती है। इन्होंने ही होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की खोज और विकास किया था। तमाम होम्योपैथिक चिकित्सक इनका सम्मान करते हैं और प्रत्येक वर्ष उनकी जयंती पर उन्हें स्मरण करते हैं।

By Prashant KumarEdited By: Updated: Fri, 09 Apr 2021 03:17 PM (IST)
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होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की खोज करने वाले सैमुअल हैनिमैन। जागरण आर्काइव।
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद)। आज डॉक्टर सैमुअल हैनिमैन जयंती है। इन्होंने ही होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की खोज और विकास किया था। तमाम होम्योपैथिक चिकित्सक इनका सम्मान करते हैं और प्रत्येक वर्ष उनकी जयंती पर उन्हें स्मरण करते हैं। डॉ.मनोज कुमार कहते हैं कि होम्योपैथी में किसी भी रोग का उपचार के बाद यदि मरीज ठीक नहीं होता है तो उसकी वजह रोग का मुख्य कारण सामने ना आना हो सकता है।

इसके अलावा मरीज द्वारा सही जानकारी न देना, उचित दवा के चयन में बाधा पैदा करती है। इससे समस्या का समाधान पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है। ऐसे में मरीज को उस दवा से कुछ समय के लिए तो राहत मिल जाती है लेकिन बाद में उसका दुष्प्रभाव दिखता है। यह बीमारी को गंभीर बनाते हुए असाध्य बना देता है। डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि मरीज को चाहिए कि वह डॉक्टर को रोग का पूरा इतिहास, अपना स्वभाव, आदतें पूर्ण रूप से बताए, ताकि अचानक होने वाले रोग खांसी, बुखार, टीवी क्रोनिक न बन सके।

बताया कि अधिकतर मामलों में एलोपैथ रोगों को दबा कर तुरंत राहत तो देती है, लेकिन होम्योपैथिक मर्ज को समझकर उसे जड़ से खत्म करती है। बड़े बड़े शहरों के अस्पतालों से जटिल असाध्य रोगों से ग्रस्त रोगियों को नया जीवन उन्होंने दिया जो जीवन से हताश निराश हो गए थे। वैश्विक महामारी कोविड-19 के बारे में डॉक्टर मनोज ने कहा कि इसका इलाज एलोपैथिक व अन्य पैथी में तो है, परंतु रोग से उत्पन्न अन्य लक्षण मानसिक अस्थिरता, स्वाद न लगना, गंध महसूस होना, नींद नहीं आना, कमजोरी व भूख लगना का स्थाई निदान नहीं हो पाता है। वही होम्योपैथिक में कोविड-19 से ग्रसित रोगियों में उत्पन्न लक्षणों का स्थाई समाधान प्राकृतिक रूप से होता है।

जानिए वर्ल्ड होम्योपैथिक डे को

डॉक्टर सैमुअल क्रिश्चियन फ्रेडरिक हैनिमैन का जन्म 10 अप्रैल 1955 को जर्मनी में हुआ था। गरीब परिवार में जन्मे और बचपन अभावों और गरीबी में बीता। वर्ष 1779 में डॉक्टर की पढ़ाई पूरी कर जर्मनी के कई छोटे-छोटे गांव में प्रैक्टिस प्रारंभ की। लेकिन उस समय के प्रचलित तरीकों से तंग आकर प्रैक्टिस छोड़ दी। इनके नए विचार को नई दिशा देने में मेहरिया मेडिका का अनुवाद महत्वपूर्ण रहा। इसी क्रम में हैनिमैन ने पाया कि कुनैन मलेरिया रोग को ठीक करती है लेकिन स्वस्थ शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा करती है। उनके तर्कपूर्ण विचार ने ही नई चिकित्सा पद्धति विकसित कर दिया जो सुरक्षित, सरल, गुणकारी व प्रभावी थी। उनका विश्वास था कि विश्व में रोग नहीं रोगी है।

यूं बना होमियोपैथी शब्द

होम्योपैथी शब्द यूनानी के 2 शब्दों होमइस यानी सदृश्य और पथोस अर्थात रोग से बना है। होम्योपैथी का अर्थ है सदृश्य रोग चिकित्सा। यह प्रकृति के सिद्धांत सम: सयं शमयति है, जो इसका मूलमंत्र है। डॉक्टर मनोज ने बताया कि होम्योपैथी औषधि के सूक्ष्म मात्राओं का मनुष्य पर अदृश्य तौर पर प्रभाव होता है।

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