अपनी बेटियों को कार नहीं संस्कार देकर घर से विदा करें, रोशन कर देंगी दो कुलों का नाम- जीयर स्वामी
औरंगाबाद के बारुण प्रखंड के पौथू गांव में प्रवचन करते हुए त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के शिष्य प्रपन्न जीयर स्वामीजी ने कहा कि बेटियों को बचाना उन्हें अच्छे संस्कार देना उनकी इज्जत करना बहुत जरूरी है। जिनकी बेटियां होती हैं वे भाग्यशाली होते हैं।
जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। बारुण प्रखंड के पौथू गांव में मां वैष्णवी दुर्गा मंदिर के वार्षिकोत्सव पर आयोजित यज्ञ में प्रवचन करते हुए त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के शिष्य प्रपन्न जीयर स्वामीजी ने बेटी बचाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि बेटियों को बचाना, उन्हें अच्छे संस्कार देना, उनकी इज्जत करना बहुत जरूरी है। उन्होंने लोगों से कहा कि जिनकी बेटी होती है, वे पिता काफी भाग्यशाली होते हैं।
अपने भाग्य से आती हैं और बदल देती हैं परिवार की किस्मत
प्रवचन करते हुए जीयर स्वामी ने कहा कि बेटियां घर की लक्ष्मी होती हैं। वे अपने भाग्य से आती हैं और दूसरों की किस्मत बदल देती हैं। बेटी नहीं बचाओगे तो बहू कहां से लाओगे। कहा कि बेटियों को कार नहीं बल्कि संस्कार देकर विदा करें। अगर आप संस्कार देते हैं तो कार देने की जरुरत नहीं है। अगर आप राम जैसा दामाद खोजते हैं तो अपनी बेटी को सीता की तरह बनाइए। उसे इस तरह का संस्कार दीजिए की कुल का नाम रोशन करे।
कन्यादान सबसे बड़ा दान, हर पिता के भाग्य में नहीं होता
संसार का सबसे बड़ा दान कन्यादान होता है। कन्यादान महादान है जो कि सभी पिता के भाग्य में नहीं होता है। कहा कि अगर बेटा कुल का दीपक होता है तो बेटियां घर के आंगन की उजाला होती हैं। बेटियों के आगमन से घर में खुशियां बिखरती हैं। जिन घरों में बेटियों का मान-सम्मान नहीं होता वहां हमेशा मायूसी रहता है। लोग हमेशा अपनी किस्मत को कोसते रहते हैं। बेटियां अपने मा-बाप के बुढ़ापे का सहारा होती हैं। कहा कि माता-पिता उम्र के हिसाब से अपने बेटियों को संस्कार जरूर दें। स्वामी जी ने कहा कि मानव जीवन में कई विपत्तियां आती हैं। लेकिन विपत्तियों से कभी घबराएं नहीं बल्कि उसका सामना करें। विपत्ति आपकी परीक्षा लेती हैं। विश्वास रखें, हर दुख के बाद सुख जरुर आता है।