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    खुद को 'किंग मेकर' मानने वाले मांझी की नाव पर पूरा परिवार है सवार, विधानसभा चुनाव में बदलेंगे रणनीति?

    जीतन राम मांझी ने गरीबी से निकलकर राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया है। वे बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे। उन्होंने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा पार्टी बनाई और 2024 में सांसद बने। अब वे मोदी सरकार में मंत्री हैं। मांझी ने अपने परिवार को राजनीति में आगे बढ़ाया है। उनकी बहू और बेटे भी विधायक और मंत्री हैं।

    By Krishna Parihar Edited By: Krishna Parihar Updated: Sun, 24 Aug 2025 07:22 PM (IST)
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    खुद को 'किंग मेकर' मानने वाले मांझी की नाव पर पूरा परिवार है सवार

    कमल नयन, गयाजी। महकार की पगडंडियों से चलकर संसद की सीढ़ियां चढ़ना जीतन राम मांझी के लिए एक बड़ी बात है। 1980 में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने फतेहपुर से विधायक बने समाज के सबसे निचले तबके का यह व्यक्ति आज समाज ही नहीं पूरे देश में अपनी साख रखते हैं।

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    वर्ष 2014 के मई माह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद जीतन राम मांझी ने बिहार में 23वें मुख्यमंत्री के रूप में नौ महीने तक अपना कार्यकाल चलाया। मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्होंने खुद मुड़कर नहीं देखा और 2015 में स्वत: को किंग मेकर की भूमिका निभाने की क्षमता मानने वाले मांझी ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की स्थापना कर दी और वे उसके संरक्षक बने।

    यह पूरी तरह से राजनीतिक पार्टी है। इस पार्टी के बैनर तले 2024 में खुद लोकसभा का चुनाव लड़कर संसद गए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में उन्हें सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।

    केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने 1980 में जब फतेहपुर से कांग्रेस पार्टी के बैनर तले चुनाव जीता था, तब वे लगातार राजनीति के सफर में उतार-चढ़ाव देखते हुए दल बदल भी करते रहे।

    उन्होंने कांग्रेस, राजद, जदयू का साथ दिया। फिलहाल उनकी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा पार्टी जनतांत्रिक गठबंधन के साथ है। वैसे में केन्द्रीय मंत्री को पार्टी के विस्तार का मौका मिला, लेकिन उन्होंने अपने परिवार के लोगों के बीच विस्तार को ज्यादा महत्व दिया।

    पार्टी में परिवार और रिश्तेदारों का दबदबा 

    उनके पुत्र डॉ संतोष कुमार सुमन विधान परिषद के सदस्य बने और उन्हें लघु जल संसाधन विभाग का मंत्री पद मिला। डॉ सुमन अपने इस पद पर रहकर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के भी ऊंचे पद पर काबिज हैं।

    वर्ष 2024 में जीतन राम मांझी जब सांसद बन गए तो गया जिले की इमामगंज विधानसभा सीट खाली हो गई। उस सीट पर चुनाव के दौरान खुद की बहू और मंत्री डॉ सुमन की पत्नी दीपा मांझी को चुनाव लड़ाया गया। दीपा मांझी चुनाव जीत गईं।

    इसके पूर्व बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र से हम पार्टी की ज्योति देवी विधायक हैं। ज्योति देवी केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की समधन हैं, तो मंत्री डॉ संतोष सुमन की सासु मां हैं। इस तरह परिवार के चार सदस्य सांसद, विधायक और मंत्री हैं।

    राजनीतिक रूप से मांझी का यह परिवार काफी सशक्त माना जाता है और उनके बताए राजनीति के रास्ते पर चल रहा है। उनकी एक पुत्री सुनैना देवी गया नगर निगम के वार्ड संख्या 1 में 2007 से 2017 तक पार्षद बनी रहीं। भले ही 2022 के चुनाव में चुनाव हार गईं।

    उनकी एक पुत्री पुष्पा कुमारी सरकारी पद पर कार्यरत हैं, लेकिन कभी-कभी चुनावी चर्चा में उनका नाम भी आता है कि अगर पिता के बताए रास्ते पर चलेंगी तो वह भी चुनाव लड़ेंगी।

    विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से सीट शेयरिंग में मांझी की पार्टी को जो भी टिकट मिले लेकिन प्राथमिकता परिवार के सदस्यों को मैदान में उतारने की अवश्य रहेगी। वैसे उनकी पार्टी के एक विधायक परिवार के नहीं जाति के हैं तो एक विधायक जाति के भी नहीं हैं। आने वाले चुनाव में जाति और परिवार से हटकर केन्द्रीय मंत्री का यह कुनबा कहां तक जाएगा, ये देखने वाली बात होगी।

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