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Bihar News: उत्पाद अधिकारियों की काली कमाई का अड्डा बना गया का धीरजापुल, देर रात चलता है शराब तस्करी का काला कारोबार

झारखंड से सटे होने के कारण गया का धीरजापुल से शराब महुआ फूल और अन्य प्रतिबंधित सामान की तस्करी होती है। धीरजापुल स्थित जांच चौकी पर उत्पाद विभाग के द्वारा मुख्य रूप से रात में तांडव देखने को मिलता है। इस सड़क मार्ग से गुजरने वाली बसों की जांच न के बराबर होती है जबकि शराब की तस्करी बस से भी तस्कर करते हैं।

By niraj kumar mishraEdited By: Mohit TripathiUpdated: Wed, 20 Dec 2023 08:16 PM (IST)
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बगैर नंबर की उत्पाद विभाग की गाड़ी और उसमे बैठे अधिकारी से बात करते शराबी के परिजन। (जागरण फोटो)
संवाद सूत्र, डोभी (गया)। बिहार-झारखंड की सीमा के नजदीक धीरजापुल पर अस्थाई जांच चौकी खोली गई। प्रारंभ में इस जगह पर जिला मुख्यालय और समेकित जांच चौकी सूरजमंडल से अधिकारी जानकर वाहन की जांच करते थे। हालांकि. अब उक्त जगह पर तीन अधिकारी और होमगार्ड के जवान की तैनाती कर दी गई है।

अस्थाई जांच चौकी के संचालन के लिए उक्त स्थान पर ही विभाग 25 हजार रुपये के किराए पर मकान ले रखा है। इस भवन में एक अधिकारी रहते हैं और अन्य दो अलग निजी भवन में किराए पर रहते हैं। उक्त स्थान उत्पाद विभाग के अधिकारी और होमगार्ड के जवानों के लिए दुधारू गाय बना हुआ है।

ऐसे चलता है शराब का काला कारोबार

झारखंड से सटा होने के कारण इस सड़क मार्ग से शराब, महुआ फूल और अन्य प्रतिबंधित सामान की तस्करी होती है। इस जगह पर विभाग ने ट्राली लगा रखा है और अपने मन के अनुसार जांच किया जाता है।

नियम के मुताबिक, शराब पीकर आने वाले को पकड़े जाने पर न्यायालय के समक्ष जुर्माना के लिए उपस्थित किया जाता है, परंतु शराबी के गाड़ी को छोड़ने के लिए ये लोग बात तय कर रखे है। मंगलवार रात पकड़े गए एक शराबी के बाइक छोड़ने में बुधवार को इसके परिजन से बात कर लिया गया और छोड़ दिया।

उत्पाद विभाग के द्वारा इस जांच चौकी पर मुख्य रूप से रात में तांडव देखने को मिलता है। इस सड़क मार्ग से गुजरने वाले को रात में ज्यादा परेशान होना पड़ता है। बसों की जांच लगभग नहीं होती है, जबकि शराब की तस्करी बस से भी तस्कर करते हैं। अपने बैग में शराब रखकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते है।

स्थानीय सूत्र के अनुसार, उत्पाद विभाग के अधिकारी को जांच करने में मदद नही करने पर शराब पीने के नाम पर पकड़ लिया जाता है और छोड़े जाने वाले शराबी का रिपोर्ट उसके नाम पर चढ़ा दिया जाता है।

बगैर नंबर प्लेट की गाड़ी से चलते हैं अधिकारी

धीरजापुल जांच चौकी के नाम पर विभाग ने दो चार चक्के की गाड़ी आवंटित कर रखा है। ये गाडियां प्राइवेट होती है और गाड़ी मालिक के द्वारा ही चालक विभाग को दिया जाता है। अधिकारी के द्वारा उपयोग किए जाने वाला स्कॉर्पियो वाहन पर रजिस्टेशन नंबर तक अंकित नहीं है वही शीशे के नजदीक "एक्साइज पुलिस" का बोर्ड लगा दिया गया है। इस संदर्भ में पूछे जाने पर अधिकारी कुछ भी बोलने से इन्कार कर गए।

दिखावे के लिए लगा रखा है CCTV कैमरा

भाड़े के मकान के पास एक सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है। जांच का कार्य धीरजापुल के पास किया जाता है। कभी कभी उक्त सीसीटीवी कैमरे को अपने साथ अधिकारी ले जाते है परंतु अमूमन ऐसा नहीं होता है। ट्राली के सहारे जांच की खानापूर्ति होती है। जांच को पारदर्शी बनाने के सीसीटीवी लगाने की जरूरत है जिससे तस्कर के साथ विभाग के लोगों पर भी शिकंजा कसा जा सके।

नहीं लगाया गया बैरियर

धीरजापुल के पास बैरियर नहीं लगाया गया है। इससे झारखंड से आने वाली तमाम गाड़ियों को रोकने के लिए ट्रॉली एक मात्र साधन है। जांच चौकी पर बैरियर लगाना आवश्यक है परंतु विभाग के अधिकारी के इस ओर कोई ध्यान नहीं है। जबकि पूर्व में वरीय अधिकारी ने इस संदर्भ में आदेश दे रखा था।

अधिकारी और कर्मचारियों के बगैर नंबर की गाड़ी से चलने की जांच की जाएगी। गाड़ी छोड़ने की बात की जानकारी लेकर कार्रवाई की जाएगी। बैरियर जल्द ही लगा दिया जाएगा।- प्रानेश कुमार, इंस्पेक्टर

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