गया रंग सफेद। साइज गोलाकार व त्रिकोणात्मक अथवा बेलनाकार। वजन औसतन 150 से 200 ग्राम। स्वाद में नमकीन मीठा मसालेदार। गुण- हर पौष्टिकता को खुद में समेटे हुए।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 30 Dec 2020 11:46 PM (IST)
गया: रंग सफेद। साइज गोलाकार व त्रिकोणात्मक अथवा बेलनाकार। वजन औसतन 150 से 200 ग्राम। स्वाद में नमकीन, मीठा, मसालेदार। गुण- हर पौष्टिकता को खुद में समेटे हुए। यह परिचय उस भारतीय व्यंजन का है जिसे मगध क्षेत्र के लोग पूसहा पिट्ठा के नाम से जानते हैं। मगध क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में पूसहा पिट्ठा हर घर-आंगन की विशेष पहचान है। जिसका इंतजार सालों भर होता है। 29 दिसंबर से हिन्दी कैलेंडर के 10वां माह पूस की शुरूआत हो गई है। पूस कड़ाके की ठंड और कनकनी के लिए जानी जाती है। इसके अलावा इसकी कोई दूसरी पहचान है तो वह पूसहा पिट्ठा ही है। गया के गांव-कस्बों से लेकर शहर में पूसहा पिट्ठा बनना शुरू हो गया है। जैसे-जैसे पूस दिन बीतेंगे इसकी मांग बढ़ती जाएगी। इस खास व्यंजन को परिवार समेत कुटुंब, नाते, मित्र-पड़ोस में भी बांटने की परंपरा रही है।
चावल के आटा व दाल के साथ ही गुड़ व खोआ से बनता है पूसहा पिट्ठा
: अगहन माह के खत्म होने तक नई फसल के रूप में धान से तैयार चावल घरों में आ जाता है। परंपरा के अनुसार पिट्ठा अरवा चावल के आटा से तैयार किया जाता है। इसमें लोग अपनी पसंद के अनुसार चना दाल मसाला, खोआ, आलू का चोखा, गुड़-तीसी का मिश्रण व अन्य सामग्री भरा जाता है। गोलाई में गढ़े गए पिट्ठा को उबलते हुए पानी में डालकर करीब आधा घंटा तक उबाला जाता है। पिट्ठा के साथ खीर भी खाया जाता है। पौष्टिकता से भरपुर पिट्ठा की स्वाद निराली : डॉ. राजकुमार प्रसाद -गया शहर के डायटीशियन डॉ. राजकुमार प्रसाद को अपना बचपन आज भी याद है। तब मां के हाथों का बना हुआ पूसहा पिठा खूब चाव से खाते थे। वह बताते हैं कि पूसहा पिट्ठा काफी पौष्टिक होता है। इसमें भरा जाने वाला चना दाल में जब हींग मिलता है तो यह वायूदोष को दूर करता है। तीसी बुजुर्गों के लिए फायदेमंद होता है। ह्रदय रोग के साथ ही कोलेस्ट्रॉल से भी सुरक्षित करता है। वह पिट्ठा को स्वास्थ्य और स्वाद दोनों ही रूप में बेहतर मानते हैं। अच्छी तरह से बनाई जाए तो हर उम्र के लोगों को यह ललचाएगी। -------- बलदायक और त्रिदोष नाशक है मगध का पिट्ठा: आयुर्वेदाचार्य - शहर के मशहूर आयुर्वेदाचार्य डॉ. विवेकानंद मिश्र बताते हैं कि पिट्ठा मगध की पहचान है। चावल के आटा से बनता है। लिहाजा कार्बोहाइड्रेट प्रचूर मात्रा में है। यह पित का शमन भी करता है। वात, पित व कफ तीनों को ही नाश करता है। दाल, गूड़ त्रिदोषनाशक हैं। तिल गर्म होता है। जो बल में वृद्धि करता है। चावल का आटा पेट को साफ करता है। हालांकि विवेकानंद मिश्र रोगाक्रांत मरीजों के लिए पिट्ठा नहीं खाने की भी सलाह देते हैं। वह दैनिक जागरण के इस संस्कृति विशेष जागरूकता मुहिम की सराहना करते हैं।
------------- पत्नी व बहू दोनों मिलकर घर पर बनाती हैं स्वादिष्ट पूसहा पिट्ठा, सबको है पसंद जागरण संवाददाता, गया:
पूसहा पिट्ठा का नाम सुनते ही एपी कॉलनी निवासी पतंजलि योग समिति के जिला संयोजक प्रमोद कुमार रोमांचित हो उठते हैं। दैनिक जागरण के भारतीय संस्कृति के व्यंजनों को मौजूदा पीढ़ी के बीच सहेजने की इस मुहिम की सराहना करते हैं। वह कहते हैं कि बचपन में उनकी मां बहुत ही लजीज पिट्ठा बनाती थीं। सभी भाई-बहन को पसंद है। अभी घर पर पत्नी उषा किरण व बहू दोनों साथ में मिलकर पिट्ठा बनाती हैं। घर के हर सदस्य को इस विशेष व्यंजन के बनने का इंतजार रहता है। वह कहते हैं कि 31 दिसंबर को पिट्ठा दिवस पर उनके घर में कई स्वाद का पिट्ठा बनेगा। वैसे इन्हें तीसी का पिट्ठा अधिक पसंद है। दूसरी ओर टिकारी प्रखंड के बेलहरिया चक के बुजुर्ग नरेश चंद्र को बचपन की हर यादें जीवंत हैं। कहते हैं पूसहा पिट्ठा की बात ही निराली होती है। इनकी मां-दादी जी जाता में पिसाई किया हुआ चावल के आटे से पूसहा पिट्ठा बनाती थीं। आज भी परिवार के जुटने पर पिट्ठा बनता है। इस बार भी बनने की तैयारी हुई है। टिकारी के अशोक साव को अपनी मां का बनाया हुआ पिट्ठा आज भी याद है। कहते हैं कि बहुत ही बढि़या स्वाद होता है। आज सूजी से बना हुआ भी पिट्ठा बनने लगा है। इसका स्वाद मुलायम होता है। ------------ ग्राफिक्स पिट्ठा का प्रकार ------------ आलू चोखा पिट्ठा दूध-खोबा पिट्ठा तीसी पिट्ठा तिलवा पिट्ठा ड्राई फ्रूट पिट्ठा चना दाल पिट्ठा गूड़ भेली पिट्ठा
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