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Bihar News: कभी गोली-बम से थर्राता था बिहार का यह नक्सल प्रभावित इलाका, शिक्षा ने बदल डाली पूरी तस्वीर

बिहार का लाल इलाका कहा जाना वाला गया के डोभी प्रखंड का नदरपुर पंचायत अब बदलाव का परिचायक बन गया है। दिन हो या रात गोली और बम के आवाज से थर्राता यह इलाका नक्सल घोषित हो चुका था। मेन रोड से हटकर कई लोग नक्सल को गोद में अपना जीवन पूरा समझते थे लेकिन अब समय बदल चुका है।

By niraj kumar mishra Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 07 Apr 2024 05:21 PM (IST)
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एक विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति। (जागरण फोटो)
संवाद सूत्र, डोभी। लाल इलाका कहा जाना वाला गया के डोभी प्रखंड के नदरपुर पंचायत की तस्वीर ही बदल गई है। दिन हो या रात गोली और बम के आवाज से थर्राता यह इलाका देश के मानचित्र में नक्सल घोषित हो चुका था। मुख्य रास्ते से हटकर कई लोग नक्सल को गोद में अपना जीवन पूरा समझते थे।

एक समय था जब, इस पंचायत के गांव में दिन भी लोग प्रशासन या आम लोग भी आने जाने से थे। लेकिन, आज दिन हो रात हर समय इस पंचायत के गांव में जाने वाली सड़कों पर आसानी से लोग आवागमन करते हैं।

एक समय यह भी था की इस स्थान का मतदान केंद्र को सड़क के किनारे के मतदान केंद्र के साथ जोड़ दिया जाता था। लेकिन, आज बदलते परिवेश ने इस क्षेत्र के तकदीर को ही बदल डाला।

हर घर पहुंच चुकी है सड़क और बिजली

नदरपुर पंचायत में अब सड़क और बिजली हर घर तक पहुंच चुकी है। पंचायत में चार सरकारी विद्यालय है। एक साल पहले पंचायत में एक हाईस्कूल की भी स्थापना हो गई। पंचायत में शिक्षा को अलख जगा। स्थानीय कुछ लोगों के प्रयास से पंचायत मुख्यालय में चार निजी विद्यालय और कई कोचिंग संस्थान खोला गया। इसके बाद शुरू हुआ पंचायत के विकास का नया अध्याय।

दस साल पहले शुरु हुआ था यह बदलाव

यह बदलाव लगभग विगत दस साल पहले से शुरू हुआ। जिसका फलाफल आज देखने को मिल रहा है। जिस जगह के नाम सुनकर अधिकारी के ललाट पर पसीने के बूंदे देखने को मिलता था वहां आज आसानी पूर्वक प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी और अन्य अधिकारी की गाड़ी धडल्ले से दौड़ती है।

विकास के लिए चलाया जाता है कैंपेन 

विकास के काम के लिए यहां लगातार कैंपेन किया जाता है। सरकार की सभी योजनाओं को इस क्षेत्र में प्राथमिकता से पहुंचने का काम किया जाता है। निजी विद्यालयों ने भी शिक्षा को बढ़ाने में काफी सराहनीय काम किया। इसी का फलाफल है कि यहां के युवा बिहार पुलिस में दारोगा, जवान और सरकारी शिक्षक पद पर चयनित होकर काम कर रहे हैं।

रोजमर्रा के सामान के लिए नहीं जाना पड़ता प्रखंड मुख्यालय

अब पंचायत में ही रोजमर्रा के समान के लिए कई दुकान खुल चुकी हैं। अब इसके लिए 11 किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। लाल इलाके को स्वेत इलाके में तब्दील करने में सबसे बड़ा सहयोग ग्रामीण निजी विद्यालय के संचालकों को देते हैं। इस क्षेत्र में साप्ताहिक हाट भी लगने लगा है। पंजाब नैशनल बैंक के गृह सेवा केंद्र भी चल रहा है।

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