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Pitra Paksha 2023: पितृपक्ष में पिंडदान का काफी महत्व! गयाजी में 55 पिंडवेदी स्थित, देश-विदेश से आते हैं लोग

पितृपक्ष में पिंडदान का काफी महत्व है। हर साल गया में भारी संख्या में लोग पिंडदान के लिए पहुंचते हैं। बता दें कि गयाजी में 55 पिंडवेदी स्थित हैं। अक्षयवट पिंडवेदी पर15वें दिन का पिंडदान होता है। यहां पिंडदानियों को गयापाल पुरोहितों द्वारा सुफल का आशीर्वाद दिया जाता है। इसके अलावा विष्णुपद मंदिर परिसर में चार दिनों तक कर्मकांड होता है।

By Jagran NewsEdited By: Mukul KumarUpdated: Sun, 17 Sep 2023 10:36 AM (IST)
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पितृपक्ष में पिंडदान का काफी महत्व। फोटो- जागरण

संजय कुमार, गया : पिंडदान को लेकर गयाजी का महत्व काफी है। जहां अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान और तर्पण करते है। पितृपक्ष में पिंडदान का महत्व अधिक बढ़ जाता है। इसी क्रम में पितृपक्ष में देश-विदेश से काफी संख्या में पिंडदानी आते है।

पिंडदान त्रिपाक्षिक श्राद्ध के तहत 55 पिंडवेदी पर कर्मकांड एवं तर्पण करते है। जिसमें कई प्रमुख पिंडवेदी प्रेतशिला, रामशिला, उत्तर मानस, विष्णुपद वैतरणी, सीताकुंड, अक्षयवट आदि है। जहां लोग पिंडदान और तर्पण करते है।

फल्गु तट व देवघाट

पितृपक्ष में पिंडदानियों का सबसे अधिक जमावड़ा फल्गु पट स्थित देवघाट रहता है। एक पखवारे तक पिंडदानी की भीड़ रहता है। जहां पिंडदानी फल्गु के पवित्र जल से तर्पण के साथ पिंडदान करते है। देवघाट की दूरी रेलवे स्टेशन से करीब चार किलोमीटर है।

मंदिर स्थित देव परिधि

विष्णुपद मंदिर परिसर यानी देव परिधि में 16 वेदी स्थित है। एक बड़ा पत्थर के शीला पर हाथी के आकृति के पिंडवेदी है। जहां चार दिनों तक यहां कर्मकांड होता है। पिंडवेदी कई नाम से है। देव परिधि की दूरी रेलवे स्टेशन से चार किलोमीटर है।

प्रेतशिला पिंडवेदी

प्रेतशिला पिंडवेदी रेलवे स्टेशन से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर है। जहां पहला दिन फल्गु तर्पण के बाद दूसरे दिन का पिंडदान होता है। दूरी रहने के कारण पिंडदानियों को वाहन का सहारा लेने पड़ता है। इसी क्रम में पिंडदानी रामशिला, रामकुंड एवं काकबलि वेदी पर भी कर्मकांड करते है।

उत्तर मानस पिंडवेदी

उत्तर मानस पिंडवेदी शहर के पितामहेश्व स्थित फल्गु तट पर है। जहां उतर मानस सरोवर में तर्पण के बाद पिंडदान किया जाता है। रेलवे स्टेशन से पिंडवेदी की दूरी तीन किलोमीटर है।

सीताकुंड पिंडवेदी

फल्गु नदी के पूर्वी तट में सीताकुंड पिंडवेदी स्थित है। जहां त्रिपाक्षिक श्राद्ध के नौ दिन पिंडदान किया जाता है। पिंडदानी यहां बालू का पिंडदान करते है। क्योंकि. माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ के बालू का पिंड आपूर्ति किए थे। रेलवे स्टेशन से पिंडवेदी की दूरी करीब छह किलोमीटर है।

वैतरणी सरोवर

वैतरणी सरोवर पिंडदानी पिंडदान के साथ गौदान भी करते है। यह विष्णुपद मंदिर से आधा किलोमीटर दूर पश्चिम और दक्षिण दिशा में स्थित है। सरोवर में पितृपक्ष में हमेशा पिंडदानियों की भीड़ रहती है। वैतरणी सरोवर के पास ब्रह्मसरोवर भी है। रेलवे स्टेशन से सरोवर की दूरी पांच किलोमीटर है।

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अक्षयवट पिंडवेदी

अक्षयवट पिंडवेदी पर त्रिपाक्षिक श्राद्ध का 15 वीं दिन का पिंडदान होता है। जहां पिंडदानियों को गयापाल पुरोहितों द्वारा सुफल का आशीर्वाद दिया जाता है। रेलवे स्टेशन से पिंडवेदी की दूरी पांच किलोमीटर है।

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