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Pitru Paksh 2023 : गयाजी में 'ऑनलाइन पिंडदान' पर छिड़ी बहस, सनातन परंपरा को लेकर पंडा समाज मुखर; दे रहे नसीहत

Pitru Paksh 2023। बिहार के गयाजी में पितृपक्ष मेल की शुरुआत 28 सितंबर से हो रहा है। यहां बड़ी संख्या में पिंडदानी अपने पितरों के तर्पण के लिए आते हैं। इसे लेकर जिला प्रशासन की तैयारियां भी तेज है। वहीं पर्यटन विभाग के द्ववारा शुरू किए गए ऑलाइन पिंडदान को लेकर विवाद शुरू हो गया। पंडा समाज ने इसे शास्त्र के खिलाफ बताया है।

By sanjay kumarEdited By: Shashank ShekharUpdated: Thu, 21 Sep 2023 06:37 PM (IST)
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पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान करते पिंडदानी।
जागरण संवाददाता, गया: ब्रह्म ज्ञान गया श्राद्धं, गो गृहे मरणं तथा, पुषां वासां कुरुक्षेत्रे, मुतिरेषां चर्तुविधा अर्थात ये चार मार्ग मुक्ति के हैं, जिसमें गया श्राद्ध सबसे उत्तम है। इसी उद्देश्य से देश-विदेश से पिंडदानी अपनी पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर तर्पण और पिंडदान पितृपक्ष में करते है।

बता दें कि पितृपक्ष मेला 28 सितंबर से शुरू होगा, लेकिन मेले की शुरुआत से पहले ही ऑनलाइन पिंडदान को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। ऑनलाइन पिंडदान का गयापाल पुरोहित ने विरोध किया है। ऑनलाइन पिंडदान बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने शुरू की है।

ऐसे में गयापाल पुरोहित का कहना है कि उनको यह मालूम नहीं है कि पिंडदान स्वयं के हाथ से पितरों को तर्पण किया जाता है। जैसे अग्नि संस्कार ऑनलाइन नहीं हो सकता है उसी तरह आनलाइन पिंडदान भी संभव नहीं है।

गयापाल पुरोहितों ने कहा कि ऑनलाइन पिंडदान का कोई महत्व नहीं है, अगर महत्व होता तो पितृपक्ष में 10 से 12 लाख पिंडदानी के आगमन को लेकर सरकार तैयारी नहीं करती।

गयापाल पुरोहित किसी से नहीं लेता पैकेज- अध्यक्ष

श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विट्टल ने कहा कि सनातन धर्म में ऑनलाइन पिंडदान का कोई महत्व नहीं है। ऑनलाइन पिंडदान से गयापाल पुरोहित किसी से पैकेज नहीं लेता है।

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पिंडदानियों के नाम पर पिंडदानियों से पैकेज के नाम पर पैसा वसूली की जाती है, जो बिल्कुल गलत है। ऑनलाइन पिंडदान बंद करने की जरूरत है।

पुत्र हाथ किया गया पिंडदान ही सबसे उत्तम- महेश लाल गुपुत

गयापाल पुरोहित श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के पूर्व सदस्य महेश लाल गुपुत का कहना है कि शास्त्रों में ऑनलाइन पिंडदान का कहीं भी उल्लेख नहीं है। बेटे के हाथों से किया गया कर्मकांड सबसे उत्तम है।

उन्होंने कहा कि शास्त्रों में उल्लेख है कि जीविते वाक्य पालंते, मृताये भुरी भोजनात्। गयायां पिंडदान च, त्रिभि: पुत्रस्य पुत्रता। इसका अर्थ है कि पितरों के मोक्ष दिलाने के लिए बेटे को गयाजी आना जरूरी है। फल्गु के पवित्र जल से तर्पण और पिंडदान से ही पितरों की मोक्ष की प्राप्ति होगी।

सनातन धर्म के खिलाफ है ऑनलाइन पिंडदान- दयानंद शास्त्री

कर्मकांडी दयानंद शास्त्री का कहना है कि सनातन धर्म के खिलाफ है ऑनलाइन पिंडदान। जैसे कोई भी बेटा पिता का अग्नि संस्कार एवं पिंडदान ऑनलाइन नहीं कर सकता है, उसी तरह पिंडदान भी नहीं कर सकता है। पिता को मोक्ष दिलाने के लिए बेटे को गयाजी की घरती पर आना जरूरी है।

पिंडदान को लेकर विदेश पिंडदानियों का होगा आगमन

शास्त्र में अगर ऑनलाइन का उल्लेख रहता है तो पितृपक्ष में विदेश से क्यों पिंडदानी गयाजी आते। गाइड लोकनाथ नाथ गौड़ ने कहा कि ऑनलाइन पिंडदान का कोई महत्व नहीं है।

यदि ऑनलाइन पिंडदान का महत्व होता तो विदेश से पिंडदानी गयाजी में पिंडदान करने इतना पैसा खर्च कर क्यों आते। पितृपक्ष मेले के दौरान अमेरिका, रूस, अफ्रीका एवं वियतनाम से 48 पिंडदानी छह अक्टूबर को गयाजी पहुंचें, यहां तीन दिनों तक पिंडदान करेंगे।

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