Pitru Paksha Mela 2023: पितृपक्ष मेला में इस तरह करें श्रीहरि विष्णु की पूजा; चमक जाएगी आपकी किस्मत
Pitru Paksha Mela 2023। पितृपक्ष मेले की शुरुआत 28 सिंतबर से होने जा रहा है। गयाजी को मोक्ष की भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां पिंडदान करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसी वजह से गयाजी में पितरों के तर्पण को लेकर देश-विदेश से काफी संख्या में पिंडदानी आते हैं। वहीं पितृपक्ष का इंतजार गयापाल पुरोहित से लेकर व्यवसायी वर्ग को भी रहता है।
By sanjay kumarEdited By: Shashank ShekharUpdated: Mon, 25 Sep 2023 08:16 PM (IST)
जागरण संवाददाता, गया। Pitru Paksha Mela 2023। सनातन धर्म में गया का काफी महत्व है। क्योंकि इसे मोक्षभूमि कहते हैं। पितृपक्ष में गया में पिंडदान करने से पितरों के मोक्ष एवं स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
यही कारण है कि पितृपक्ष में देश-विदेश से काफी संख्या में पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर गयाजी आते हैं। गया में स्थित 55 वेदियों पर पिंडदान करते हैं।
पितृपक्ष का इंतजार गयापाल पुरोहित से लेकर सभी व्यवसायी वर्ग के लोगों को रहता है। क्योंकि एक बड़ा कारोबार होता है। होटल व्यवसाय से लेकर टूर एंड ट्रेवल्स व्यवसाय तक फलते-फूलते हैं।
इसका इंतजार व्यवसायी एक साल से करते हैं। चैंबर आफ कॉमर्स के अध्यक्ष का दावा है कि पितृपक्ष में डेढ़ सौ करोड़ रुपये से अधिक की व्यवसाय होता है। इसमें गयापाल पुरोहितों का दान-दक्षिणा भी समाहित है।
होटल कारोबार को उम्मीद से ज्यादा होती है कमाई
पितृपक्ष में होटल कारोबार की चांदी कटती है। गया एवं बोधगया में लगभग सभी होटल पितृपक्ष में हाउसफुल है। सभी होटल का बुकिंग तीन माह पहले ही तीर्थयात्री करा रखें। वहीं, धर्मशाला का भी अच्छा आय होती है।बोधगया होटल एसोसिएशन के महासचिव सुदामा कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष के अपेक्षा इस बार पितृपक्ष में अच्छा कारोबार होगा है। क्योंकि एक पखवारे के लिए सभी होटल बुक है। इससे अनुमान है कि कारोबार अच्छा होगा।
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पितृ पक्ष काफी संख्या में तीर्थयात्री गयाजी आते हैं, जो पिंडवेदियों पर घूम-घूम कर पिंडदान करते हैं। ऐसे में पिंडदानी वाहन का प्रयोग करते हैं, जिसके कारण टूर एंड ट्रेवल्स की अच्छी आय होती है। गयाजी टूर एंड ट्रेवल्स के अध्यक्ष पंकज कुमार ने कहा कि कोरोना के बाद पहली बार पितृपक्ष इतना अच्छा कारोबार होगा। सभी वाहनों दो माह पहले से बुक है। पितृपक्ष में अधिक संख्या में पिंडदानियों को आने की उम्मीद है।बर्तन से लेकर जौ के आटा तक की होती है बिक्री
पितृपक्ष में बर्तन की दुकानें खूब सजती है। कर्मकांड को लेकर पिंडदानी बर्तन का खरीदारी करते हैं। पीतल का बर्तन का मांग बढ़ जाती है। गया जिला बर्तन व्यवसायी संघ के अध्यक्ष रंजीत कुमार ने कहा कि पितृपक्ष में पीतल का बर्तन का अच्छा कारोबार होगा। उम्मीद से अधिक बिक्री होगी। उम्मीद है कि 25 करोड़ रुपये की कारोबार पितृपक्ष में होगा।उन्होंने कहा कि पितृपक्ष में सबसे अधिक पीतल के छोटा बर्तन की बिक्री होता है। वहीं जौ के आटा का मांग भी खूब होती है। इसके साथ कई व्यवसाय जुड़ा हुआ है। कपड़ा, फल, फूल आदि कई व्यवसाय पितृपक्ष से सीधा जुड़ा हुआ है।मानपुर का चादर और गमछा की बिक्री अच्छी होती
पितृपक्ष में मानपुर के पटवा समाज द्वारा तैयार किया गया हुआ चादर और गमछा की बिक्री भी खूब होती है। पितृपक्ष को लेकर एक माह पहले चादर और गमछा का बुनाई का काम शुरू होता है। बिहार प्रदेश बुनकर कल्याण संघ के अध्यक्ष गोपाल प्रसाद पटवा का कहना है कि पितृपक्ष में गमछा और चादर का बिक्री खूब होता है। इस वर्ष में काफी अच्छी बिक्री होगी।पितृपक्ष में डेढ़ सौ करोड़ के कारोबार होने की उम्मीद है। सबसे अधिक कारोबार होटल व्यवसाय और टूर एंड ट्रेवल्स की होगी। वहीं, बर्तन कारोबार में भी चमक रहेगी। सबसे अधिक पीतल बर्तन की मांग होगी। क्योंकि पितृपक्ष में काफी संख्या तीर्थयात्रियों को आने की उम्मीद है।- कौशलेंद्र प्रताप, अध्यक्ष सेंट्रल बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स