गया के फतेहपुर पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल, हमला मामले में चार दिनों बाद हुई प्राथमिकी
गया जिले के फतेहपुर थाना क्षेत्र में रात के समय तिलक के दौरान पुलिस पर हमला मामले में चार दिनों बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। लोगों का कहना है कि जब पुलिस अपने मामले में इस तरह लापरवाही बरतती है तो दूसरे की क्या।
फतेहपुर (गया), संवाद सूत्र। पुलिस की सुस्ती का कई बार मामला प्रकाश में आता है। आम लोगों की शिकायत रहती है कि पुलिस सूचना पर त्वरित कार्रवाई नहीं करती है। पर जब घटना खुद लिस के साथ घटित हो जाए तो आश्चर्यजनक लगता है। बात हो रही है गया जिले के फतेहपुर थाना की पुलिस की कार्यशैली पर। फतेहपुर पुलिस की कार्यशैली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है।
तिलक समारोह में किया गया पुलिस पर हमला
घटना 22 अप्रैल की रात की है। थाना क्षेत्र के मतासो पंचायत के रामपुर में तिलक समारोह में नाइट कर्फ्यू का नियम तोड़ने की सूचना पुलिस को प्राप्त हुई थी। सूचना मिलने पर विधि व्यवस्था प्रभारी भरत शाह के नेतृत्व में पुलिस बल को मौके पर भेजा गया। पुलिस के पहुंचे के बाद भी नियम को तोड़ते हुए आयोजक ने देर रात डीजे की धुनों पर बार बालाओं के पैर थिरक रहे थे। पुलिस ने जब आयोजन को रोकने का प्रयास किया तो तिलक समारोह में शामिल रहे लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया। पुलिस के अनुसार हमला में कई पुलिस जवानों को चोटे आई। वहीं पुलिस की गाड़ी भी क्षतिग्रस्त कर दी गई। उसके बाद किसी तरह पुलिस दल अपनी जान बचा कर भागी। इस मामले में पुलिस ने इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी सिर्फ फतेहपुर थाने में घटना के दिन सनहा दर्ज किया।
पुलिस ने चार दिनों बाद दर्ज किया केस
घटना इतनी बड़ी और सिर्फ सनहा दर्ज होने से पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग गया। हालांकि पुलिस अपनी कार्यशैली को जागृत चार दिनों के बाद करते 26 अप्रैल को घटना को लेकर विधि व्यवस्था प्रभारी भरत शाह के बयान पर मतासो पंचायत के रामपुर, अनन्तचक,खरहरा सहित दूसरे जिले के 23 लोगों को नामजद एवं 50-60 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाते हुए केस दर्ज किया। पुलिस ने हमला के बावजूद चार दिनों तक केस दर्ज करने में लगे समय पर लोगों को आश्चर्य हो रहा है कि आखिर पुलिस ने चार दिनों तक किसके दबाव में केस दर्ज नहीं किया था या पुलिस का इस मामले में कुछ और मंशा थी।
आरोपितों की पहचान के कारण केस दर्ज करने में हुआ विलंब
थानाध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि घटना के वक्त पुलिस लोगों की पहचान करने में जुटी हुई थी जिसके कारण केस दर्ज करने में विलंब हुआ इसके पहले भी फतेहपुर में अप्रैल माह में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा था एक शराब मामले में जब शराब एवं वाहन जब्त होने के बाद भी सिर्फ सनहा दर्ज किया गया था। वहीं फतेहपुर थाने के क्षेत्र के धनेता से एटीएम क्लोनिंग के मामले में दो लोगों को हिरासत में लेने के उपरांत पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया था। दोनों मामलों में एडिशनल एसपी ने जांच की। जांच के बाद दोनों मामले में फतेहपुर थाने में केस दर्ज किया गया।