Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गयाजी में जीविका की पहल से बदल रही जिंदगी, अब तक 3000 महिलाओं को मिला रोजगार

    गयाजी जिले में जीविका की पहल से ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी बदल रही है। 24 प्रखंडों में 52 सिलाई सेंटर खोले गए हैं जहाँ तीन हजार महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यहाँ आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए ड्रेस बनाए जाएँगे जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी।

    By subhash kumar Edited By: Piyush Pandey Updated: Sun, 24 Aug 2025 07:58 AM (IST)
    Hero Image
    तीन हजार महिलाओं को मिला रोजगार। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, गयाजी। गयाजी जिले के ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में अब एक नया रंग भरने जा रहा है। कभी घर के कामकाज के बाद दिनभर खाली बैठने वाली महिलाएं अब सिलाई-कढ़ाई के जरिये आत्मनिर्भर बन रही हैं।

    जीविका की पहल से यह संभव हुआ है, जिसके तहत तीन हजार महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए जिले के 24 प्रखंडों में 52 सिलाई सेंटर खोले गए हैं।

    यहां महिलाएं आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता वाला पोशाक (ड्रेस) तैयार करेंगी। यह न सिर्फ उनकी आमदनी का जरिया बनेगा, बल्कि उन्हें समाज में एक नई पहचान भी दिलाएगा।

    सात दिन का विशेष प्रशिक्षण

    जीविका की योजना के तहत प्रत्येक केंद्र पर 25-25 महिलाओं का एक बैच बनाया गया है। इन महिलाओं को प्रशिक्षित प्रशिक्षकों द्वारा सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

    प्रशिक्षण में कटाई किए गए कपड़े को सिलाई मशीन पर सही तरीके से जोड़कर, रेडिमेड जैसा आकर्षक और फिटिंग वाला पोशाक तैयार करना सिखाया जा रहा है।

    नीमचक-बथानी में होगी कपड़े की कटिंग व सिलाई

    बड़े शहरों से कपड़ा मंगाया जाएगा। उसके बाद नीमचक-बथानी प्रखंड में अनुभवी महिला कारीगरों द्वारा अलग-अलग साइज में काटा जाएगा। कटाई के बाद 24 प्रखंडों में स्थित सिलाई सेंटरों पर भेजा जाएगा, जहां सिलाई की जाएगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हर सिलाई सेंटर पर महिलाओं को दो बैच में बांटा गया है। पहला बैच सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक, जबकि दूसरा बैच दोपहर 2 बजे से रात 8 बजे तक सिलाई करेगा। एक-एक सेंटर पर 25 मशीनें लगाई गई हैं।

    एक लाख बच्चों को मिलेगा लाभ

    जीविका ने आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले एक लाख बच्चों को दो-दो सेट पोशाक देने की जिम्मेदारी ली है। यानी कुल दो लाख ड्रेस तैयार किए जाएंगे। इस परियोजना में तीन हजार महिलाएं प्रत्यक्ष रूप से जुड़ेंगी।

    इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि उन्हें सिलाई के क्षेत्र में स्थायी कौशल भी मिलेगा। इसके माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगा। महिलाओं के पास घर बैठे रोजगार का अवसर होगा।

    हमारा उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को स्थायी रोजगार से जोड़ना है। इस योजना से तीन हजार महिलाएं सीधे जुड़ेंगी और अपने कौशल का उपयोग कर आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगी। बच्चों के पोषक तैयार करने में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाएगा, ताकि वे रेडिमेड कपड़ों की तरह दिखें और लंबे समय तक टिकें। एक बैच में 25 महिलाओं को सिलाई का सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दूसरा बैच का प्रशिक्षण चल रहा। तीन हजार महिलाओं को प्रशिक्षित करने के बाद बच्चों के पोषक सिलाई करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। - विनय कुमार, जिला प्रबंधक, जीविका

    महिलाओं की जुबानी

    योजना से जुड़ी बोधगया प्रखंड की सरिता देवी कहती हैं कि पहले घर के काम के बाद समय बस यूं ही निकल जाता था। लेकिन अब सिलाई से कमाई होने की उम्मीद है। इससे बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च दोनों में मदद मिलेगी।

    गुरारू प्रखंड की रेखा कुमारी बोली सिलाई का हुनर तो था, लेकिन उसे काम में लाने का मौका नहीं मिला था। अब हम घर बैठे सम्मानजनक कमाई करेंगे।

    आने वाले पीढ़ी को मिलेगा बेहतर अवसर

    जीविका की यह पहल एक मिसाल बन रही है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है। ग्रामीण इलाकों में यह परिवर्तन आने वाले समय में और भी कई महिलाओं को प्रेरित करेगा, ताकि हुनर के दम पर जीवन की नई राह बना सकें।