रूस-यूक्रेन युद्ध में शहीद सैनिकों का गया में होगा पिंडदान, फल्गू के तट से दिया जाएगा वसुधैव कुटुंबकम का संदेश
जी-20 की बैठक में भारत की ओर से विश्व को दिया गया ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का संदेश पितृपक्ष में गयाजी में साकार होता दिखेगा। आगामी सात व आठ अक्टूबर को यहां रूस-यूक्रेन युद्ध में बलिदान रहे सैनिकों समेत पूरे विश्व में अकाल मृत्यु प्राप्त लोगों का सामूहिक पिंडदान किया जाएगा। ताकि उनकी आत्मा को मुक्ति मिल सके। स्थानीय समाजसेवी चंदन कुमार यह कर्मकांड गया में फल्गु नदी किनारे देवघाट पर कराएंगे।
By neeraj kumarEdited By: Mohit TripathiUpdated: Sat, 23 Sep 2023 09:44 PM (IST)
कमल नयन, गया: गत दिनों संपन्न जी-20 की बैठक में भारत की ओर से विश्व को दिया गया ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का संदेश पितृपक्ष में गयाजी में साकार होता दिखेगा। आगामी सात व आठ अक्टूबर को यहां रूस-यूक्रेन युद्ध में बलिदान रहे सैनिकों समेत पूरे विश्व में अकाल मृत्यु प्राप्त लोगों का सामूहिक पिंडदान किया जाएगा। ताकि उनकी आत्मा को मुक्ति मिल सके।
स्थानीय समाजसेवी चंदन कुमार यह कर्मकांड गया में फल्गु नदी किनारे देवघाट पर कराएंगे। उन्होंने बताया कि दो दशक तक उनके पिता सुरेश नारायण सिंह अकाल मृत्यु के प्राप्त लोगों की आत्मा के शांति के लिए प्रतिवर्ष सामूहिक पिंडदान करते थे। उनके निधन के बाद दो साल से वह इस विधान को जारी रखे हैं। इस साल पितृपक्ष 28 सितंबर से 14 अक्टूबर तक है।
क्या है सामूहिक पिंडदान की मान्यता
गयाजी में सामूहिक पिंडदान का शुरू से शास्त्र सम्मत विधान रहा है। पुत्र अपने दिवंगत माता-पिता के साथ अपने सभी पितरों, अर्थात अपने पूर्वज, ननिहाल व ससुराल तक की सभी दिवंगत आत्मा के नाम से पिंडदान करते हैं।मान्यता है कि पुत्र द्वारा किए गए तर्पण व पिंडदान का पुण्य उनके पुरखों को मिलता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसी तरह कोई ना कोई संस्था या व्यक्ति प्रतिवर्ष जाने-अनजाने लोगों के सामूहिक पिंडदान का कर्मकांड गयाजी के फल्गु तट पर करते हैं।
अखिल भारतीय विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य लालभूषण मिश्र ने कहा कि अपने पूर्वजों, अज्ञात लोगों एवं अकाल मृत्यु प्राप्त दिवंगत आत्माओं की मुक्ति गयाधाम में तर्पण, पिंडदान के साथ किए गए श्राद्ध से हो जाती है।
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