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PHOTOS: तर्पण की सनातनी परंपरा निभाने एक तट पर आए रूसी और यूक्रेनी नागरिक, युद्ध के बीच दिया शांति का संदेश

गया जी में पिंड दान तर्पण की सनातनी परंपरा को निभाने के लिए रूसी और यूक्रेनी नागरिक एक साथ आए हैं। युद्ध के बीच भी शांति का संदेश देते हुए उन्होंने गया के फल्गु नदी के तट पर अपने पितरों और युद्ध में मारे गए स्वजनों के लिए कर्मकांड किया। इस्कॉन संस्था से जुड़े इन विदेशी पिंडदानियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पिंडदान किया और मोक्ष की कामना की।

By Jagran News Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 07 Oct 2024 09:51 PM (IST)
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गया जी में पिंड दान करते विदेशी नागरिक। जागरण
जागरण संवाददाता, गया। मन शांत है, बहुत शांत। एक अलग तरह की अनुभूति हो रही है। यह धरती जैसे कह रही हो, युद्ध नहीं शांति। ये शब्द हैं यूक्रेन के यूएस थापा के। सनातन संस्कृति की विशेषता ही है, जिसने विदेशियों को भी आकृष्ट किया। यहां का यज्ञ-प्रयोजन, कर्मकांड हो या पूजा पद्धति। इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव से चित्त को शांति मिलती है।

यह तर्पण की सनातनी परंपरा ही है, जिसे निभाने रूसी व यूक्रेनियों को गयाजी के फल्गु नदी के एक तट पर आना पड़ा, जबकि दोनों देश के सैनिक युद्धरत हैं। यहां पितरों की मोक्ष देती फल्गु की धारा है तो युद्ध नहीं शांति का संदेश देते बुद्ध भी हैं।

इसी उद्देश्य से सोमवार को रूस और यूक्रेन से आए 161 विदेशी पिंडदानियों ने मोक्ष की नदी फल्गु तट पर पितरों एवं युद्ध में मरे स्वजन के लिए कर्मकांड कर मोक्ष की कामना की।

ये सभी इस्कॉन संस्था से जुड़े पूर्ण सनातनी हैं। पिंडदानियों में महिला और पुरुष दोनों हैं। गयाजी में फल्गु के देवघाट, विष्णुपद और अक्षयवट वेदी पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान किया।

महिलाएं भारतीय परंपरा के अनुसार साड़ी और पुरुष धोती पहने थे। कर्मकांड की विधि गयापाल पुरोहित नरेंद्र कटियार ने कराई।

पिंडदानियों ने वैदिक मंत्रों का उच्चारण शुद्ध-शुद्ध किया। रूस के नतालबिन ने कहा कि कर्मकांड कर मन को शांति मिल रही है। पिंडदान कर असीम शांति की अनुभूति हो रही है, जबकि मामग्रेटा ने कहा कि उनके पुत्र का निधन तीन वर्ष पहले हो गया था। कर्मकांड के बाद मन हल्का लग रहा है।

इस दौरान वे लोग सनातन संस्कृति व परंपरा के तहत पिंडदान और तर्पण के महत्व से अवगत हुए, इससे जुड़ी कथाएं सुनीं। ये सभी रविवार को गयाजी पहुंचे थे।

पुरोहित अरविंद लाल कटियार ने बताया कि इस बार काफी संख्या में रूस के पिंडदानी आए हैं।

इसके अलावा यूक्रेन के भी कुछ लोग हैं। इन सभी ने सनातन धर्म अपना रखा है। नवरात्रि में पिंडदान के प्रश्न पर पुरोहित ने बताया कि गयाजी में पूरे वर्ष पिंडदान का विधान है। इसपर किसी तरह की कोई रोक नहीं है।

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