मेमू ट्रेनों में नहीं हो रहा केमिकल का छिड़काव, कोरोना संक्रमण की आशंका के बीच सफर को मजबूर यात्री
गया जंक्शन पर मेमू ट्रेनो का सैनिटाइजेशन नहीं होता। न ही फ्यूमिगेशन किया जाता है। इस कारण यात्रियों को कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच सफर करना पड़ता है। लेकिन रेलवे इस अोर से बेखबर बना हुआ है।
जागरण संवाददाता,गया। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पूर्व मध्य रेलवे (East Central Railway) तत्पर है। लेकिन गया से पटना और किऊल रेलखंड पर चलने वाली लोकल मेमू ट्रेनों में संक्रमण का खतरा लगातार बना हुआ है। पटना व किऊल रेलखंड पर चलने वाली लोकल मेमू ट्रेनों से जाने-वाले यात्री संक्रमण के साये में सफर करने को मजबूर है। मेमू ट्रेनों में धुआं लगाने (Fumigation) और केमिकल का छिड़काव न होने से रेल यात्री सहमे रहते हैं।
डीडीयू मंडल में नहीं होती मेमू ट्रेनों की मरम्मत
बता दें कि डीडीयू मंडल में किसी भी मेमू ट्रेन की मरम्मत नहीं होती है। केवल साफ-सफाई होती है। लेकिन केमिकल छिड़काव नहीं होता। ऐसे में मेमू ट्रेनों में सैनिटाइजेशन न होने से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। मालूम हाे कि गया जंक्शन से चलने वाली महाबोधी एक्सप्रेस और चेन्नई एक्सप्रेस की मरम्मत गया डिपो कोचिंग में होती है। गया में मेमू ट्रेनों की मरम्मत के लिए मेमू शेड का निर्माण चल रहा है। जो इस वर्ष मार्च में चालू हो जाएगा। इसके बाद मेमू ट्रेनों की मरम्मत और पूरी ओवरहॉलिंग की जा सकेगी। गया जंक्शन से पटना और किऊल रूट पर चलने वाली लोकल मेमू ट्रेनें हर 15 दिन बाद दानापुर मंडल में स्थित मेमू शेड झाझा जाती हैं। वहां पर ट्रेनों की मरम्मत और पूरी ओवरहॉलिंग होती है। ट्रेन की पूरी ओवरहॉलिंग करीब तीन हजार किलोमीटर एवं 96 घंटे दोनों में से किसी एक के पूरा होने पर होती है।
सफाई होती है लेकिन सैनिटाइजेशन नहीं
बता दें कि गया से गुजरने वाली सभी एक्सप्रेस व मेल ट्रेनों और भीड़भाड़ वाले स्टेशनों को संक्रमण से बचाने के लिए ट्रेनों में एसी कोच से कंबल और पर्दे हटाए गए हैं। स्टेशनों व ट्रेन कोच पर लगी रेलिंग और सीटों की साफ-सफाई व सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया चलती है। गया स्टेशन पर साफ-सफाई रेलवे निजीकरण कर सफाई ठेकेदारों से करा रहा है। स्टेशन पर मेमू ट्रेनों के पहुंचने के बाद केवल साफ-सफाई होती है। इसका जिम्मा स्टेशन पर साफ-सफाई करने वाले ठेकेदार का है।