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प्रकूति-पर्यावरण के लिए संजीवनी देव वृक्षों को तरजीह

फोटो 202 -भारतीय संस्कृति में देव वृक्ष (बरगद पीपल नीम पाकड़ आंवला कदम) हैं पर्यावरण के लिए संजीवनी -वन विभाग देव वृक्षों को जैव विविधता की श्रेणी वाले पौधों में रखकर करती है देखभाल ---------- -21 नर्सरी जिले में सभी जगह इन देव वृक्षों का होता है पालन-पोषण -04 लाख देव वृक्ष तैयार हो रहे मानसून में लगाए जाएंगे ----------

By JagranEdited By: Updated: Fri, 22 May 2020 10:55 PM (IST)
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प्रकूति-पर्यावरण के लिए संजीवनी देव वृक्षों को तरजीह

विनय कुमार पांडेय, गया

जीवन की खुशहाली पेड़-पौधों से है। कहा गया है-वन है तभी जन है और प्रसन्न मन है। हरे पेड़ पीने के लिए जल तो सांस लेने को शुद्ध हवा उपलब्ध कराते हैं। पर्यावरण स्वच्छता में वैसे तो सभी वृक्षों की जरूरत समझी गई है, लेकिन भारतीय संस्कृति में देव वृक्ष (बरगद, पीपल, नीम, पाकड़, आंवला, कदम) पर्यावरण के संजीवनी माने गए हैं। तमाम सनातनी लोगों की इन देव वृक्षों में अटूट आस्था है। बिहार की मिट्टी इन वृक्षों के लिए अनुकूल है। पर्यावरणविद् इन वृक्षों को अपेक्षाकृत अधिक ऑक्सीजन व छांव देने वाले बताते हैं। जल जीवन हरियाली की योजनाओं में वन विभाग ने इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर पौधारोपण की योजनाओं में 20 फीसद स्थान इन देव वृक्षों के लिए सुरक्षित किया है। गया जिले में वन विभाग के सभी नर्सरी में इनका पालन-पोषण हो रहा है। मानसून से पहले इनका वितरण कराकर रोपण कराया जाएगा।

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विकास योजनाओं में पेड़ को काटने के बजाय समायोजन करने का निर्देश

जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी अभिषेक कुमार ने कहा कि विकास योजनाओं मसलन सड़क निर्माण, भवन निर्माण में यदि कहीं हरे पेड़ रास्ते में आ रहे हैं तो उन्हें काटने के बजाय इस तरह से उनका समायोजन करने का निर्देश दिया गया है कि वह कटे भी नहीं। योजना भी पूरी हो जाए। सड़क को देव वृक्ष के किनारे से होकर निकालना है।

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देव के लगेंगे चार लाख पौधे

गया जिले में इस साल जल जीवन हरियाली के तहत 51 लाख पौधा लगाने का लक्ष्य है। इसमें सर्वाधिक 50 फीसद पौधे मनरेगा से लगेंगे। वन विभाग की ओर से 20 लाख पौधा लगाने का लक्ष्य रखा रखा गया है। जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि वन विभाग की ओर से लगने वाले पौधों में करीब 20 फीसद देव वृक्ष लगेंगे। इन पौधों को विभागीय स्तर से जैव विविधता वाले पौधों की श्रेणी में रखा गया है।

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महाबोधि व कोटेश्वर धाम के पीपल का संरक्षण कर रहा वन सर्वेक्षण संस्थान

बोधगया का ऐतिहासिक महाबोधि वृक्ष व बेलागंज प्रखंड के कोटेश्वर धाम के प्राचीन व विशालतम पीपल वृक्ष का संरक्षण वन सर्वेक्षण संस्थान देखभाल करती है। वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा कि हाल ही में संस्थान के अधिकारी कोटेश्वर धाम पहुंचकर वहां के प्राचीन पीपल पेड़ में दवा की लेप लगाए। उसकी सेहत के बारे में जानकारी ली। पुराना पेड़ होने के कारण उसे स्वस्थ रहने के लिए उसकी देखभाल की गई। वन विभाग जिले के इन दो बड़े धरोहर का संरक्षण कर रही है।

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परिदों के मनपसंद आश्रय

स्थल होते हैं देव वृक्ष

देव वृक्ष कई मायनों में खास होते हैं। बेजुबान परिदे यहां अपना आश्रय अधिक बनाते हैं। इनमें मीठे फल होते हैं, जो पंछियों के खाने के काम आते हैं। इस दौरान उनके बीच इधर-उधर गिरते हैं। इससे नए पौधे तैयार होते हैं। इन देववृक्षों का औषधीय महत्व भी होता है। नीम, बरगद, पीपल कई बीमारियों में स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा कि शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस भी मनाया गया।

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देव वृक्षों का अपना खास महत्व होता है। वन विभाग इन जैव विविधता वाले पौधों को अपने नर्सरी में तैयार कर रही है। पौधरोपण में 20 फीसद स्थान इन पौधों का होगा।

अभिषेक कुमार, जिला वन एवं प्रमंडल पदाधिकारी, गया।

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