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औरंगाबाद के युवक ने पत्नी का शव छुपाकर 500 किमी का तय किया सफर, आंसू रोके, रुदन दबाया... अंत में हुआ ऐसा

भनक लगते ही ट्रेन से उतार दिया जाएगा इसलिए पत्नी का शव गोद में छिपाकर करीब 500 किमी का सफर करते रहे औरंगाबाद के नवीन। शनिवार को दोनों को घंटों एक ही अवस्था में देखकर उनसे सवाल हुआ कि महिला को उठाओ... उनकी आंखों से दर्द का समुंदर बह गया।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Updated: Sun, 18 Sep 2022 10:29 AM (IST)
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नवीन की गोद में मृत पत्नी की सांकेतिक तस्वीर
 जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर/ औरंगाबाद : बीमार पत्नी दम तोड़ गई। नवीन को पता था मगर, आंख से एक आंसू नहीं गिरने दिया, रुदन को गले से बाहर नहीं निकलने दिया। डर था कि भनक लगते ही ट्रेन से उतार दिया जाएगा, इसलिए पत्नी का शव गोद में छिपाकर करीब 500 किमी का सफर करते रहे। शनिवार को दोनों को घंटों एक ही अवस्था में देखकर यात्रियों को शक हुआ तो टीटीई तक बात पहुंच गई। जैसे ही उनसे सवाल हुआ कि महिला को उठाओ... उनकी आंखों से मानो दर्द का समुंदर बह गया। बिलखते हुए सच बता दिया। शाहजहांपुर स्टेशन पर उन्हें ट्रेन से उतारा गया, यहां जीआरपी ने लापरवाही की। करीब चार घंटे बाद डाक्टर पोस्टमार्टम को तैयार हुए।  

बिहार के औरंगाबाद के भावभिर्रा गांव निवासी नवीन और अरवल जिले की सैदपुर निवासी उर्मिला की शादी तीन वर्ष पहले हुई थी। नवीन एक फैक्ट्री में नौकरी करते हैं, उर्मिला बच्चों को कोचिंग पढ़ाकर हाथ बंटाती थीं। नवीन के अनुसार, पत्नी करीब 10 वर्ष से हृदय रोग से पीड़ित थी। एक सप्ताह पहले उनकी बहन आरती ने फोन कर अपने पास लुधियाना बुला लिया था। वहां भी एक चिकित्सक को दिखाया।

शुक्रवार रात करीब नौ बजे उर्मिला को घर वापस ले जाने के लिए मोरध्वज एक्सप्रेस में सवार हुए। जनरल टिकट था मगर, कोच मे अधिक भीड़ होने व पत्नी की बीमारी के कारण स्लीपर कोच की गैलरी में बैठ गए। लुधियाना से करीब 100 किमी आगे बढ़ने के बाद उर्मिला को अचानक छटपटाहट हुई और चंद मिनट में दम तोड़ दिया।

दुपट्टे से छिपाया चेहरा

नियमानुसार, शव की सूचना होते ही ट्रेन करीब के स्टेशन पर रोककर उतरवा दिया जाता है। नवीन बोले, इसकी जानकारी थी मगर, घर तक पहुंचने का दूसरा साधन जुटाना कठिन हो जाता। पत्नी का शव किसी की निगाह में नहीं आए इसलिए सिर गोद में रखकर दुपट्टा डाल दिया। गोद की आड़ लेकर वहां से बरेली तक सफर करते आए मगर, इसके बाद कुछ यात्रियों को शक हो गया। जीआरपी के अनुसार, बरेली से आगे बढ़ते ही यात्रियों ने कहा कि महिला एक ही अवस्था में लगातार है। शक होने पर टीटीई ने नवीन ने कहा कि महिला को उठाओ, इतना सुनते ही वह रोने लगे और घटनाक्रम बता दिया। इसकी जानकारी कंट्रोल को दी गई तो स्टापेज नहीं होने के बाद भी सुबह नौ बजे ट्रेन रुकवाकर शव उतरवाया गया। इस कारण करीब 20 मिनट ट्रेन रुकी रही।

डाक्टर ने कहा, नहीं करेंगे पोस्टमार्टम

शव उतारने के बाद जीआरपी ने पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक बारी आने का इंतजार होता रहा। इसके बाद चिकित्सकों ने उर्मिला के शव का पोस्टमार्टम करने से इन्कार कर दिया। कहा कि दोनों की शादी को सात से कम वर्ष हुए हैं इसलिए मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में शव सील होने का प्रपत्र आना चाहिए। जीआरपी तक सूचना पहुंची तब गलती का एहसास हुआ। इसके बाद नायब तहसीलदार को बुलाकर प्रक्रिया पूरी कराई गई। बेबस नवीन जीआरपी सिपाहियों के चक्कर लगाते रहे। शाम करीब छह बजे पोस्टमार्टम हुआ। रात को बिहार रवाना होने के लिए उन्होंने निजी एंबुलेंस बुलाई। दाउद नगर के भाव बिगहा गांव में उर्मिला का शव आने का ग्रामीण इंतज़ार कर रहे हैं।

कहते हैं जीआरपी के प्रभारी निरीक्षक 

जीआरपी के प्रभारी निरीक्षक रामसहाय ने बताया कि कंट्रोल के आदेश पर महिला का शव ट्रेन से उतारा गया था। उसके पति ने बीमारी के पर्चे दिखाए, मायके वालों ने भी फोन पर बातचीत में आरोप नहीं लगाए हैं। यही कारण रहा कि उस समय मजिस्ट्रेट को नहीं बुलाया गया। बाद में आपत्ति हुई तो बुला लिया गया। 

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