पाकिस्तान के मुल्तान में हुई थी प्रथम सूर्यमंदिर की स्थापना, जानें कितना पुराना है औरंगाबाद का देव सूर्यमंदिर
विश्व में पहला सूर्य मंदिर कहां बना था। यह प्रश्न प्रत्येक चैती और कार्तिक के छठ के अवसर पर श्रद्धालुओं के मन में उठता है। कहा जाता है कि प्रथम सूर्य मंदिर मुल्तान में श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब द्वारा बनवाया गया था।
By Prashant KumarEdited By: Updated: Thu, 11 Nov 2021 04:26 AM (IST)
उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)। विश्व में पहला सूर्य मंदिर कहां बना था। यह प्रश्न प्रत्येक चैती और कार्तिक के छठ के अवसर पर श्रद्धालुओं के मन में उठता है। कहा जाता है कि प्रथम सूर्य मंदिर मुल्तान में श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब द्वारा बनवाया गया था। करीब 5000 वर्ष पूर्व पूर्व। हालांकि अभी यह प्रमाणित होना शेष है क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि श्राप के बाद कुष्ठ होने पर श्री कृष्ण ने शाम्ब को सूर्य पूजा करने का आदेश दिया और कहा कि विभिन्न हिस्सों में घूमकर सूर्य की पूजा करो। शाम्ब ने कुल 12 मंदिर बनवाए और सूर्य की पूजा की। इसलिए इन 12 मंदिरों में कौन मंदिर सबसे पहले बना यह प्रमाणित तौर पर नहीं कहा जा सकता। बताया जाता है कि औरंगाबाद का देव सूर्य मंदिर साढ़े नौ लाख वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना मनुष्य जाति से पहले की है।
हां, सभी समकालीन माने जाएंगे। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि वर्तमान पाकिस्तान के मुल्तान में जिसका एक नाम मूल स्थान है वहां मंदिर सूर्य का बना था। मध्ययुगीन अरब के भूगोलवेत्ता अल मुकद्दासी ने इस मंदिर का जिक्र करते हुए लिखा है कि हाथी दांत और कसेरा बाजार में जो तब वहां की सबसे बड़ी घनी आबादी हुआ करती थी वहां मंदिर बनवाया था। आठवीं शताब्दी में मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में उमय्यद $खलिाफ़त द्वारा मुल्तान की विजय के बाद, सूर्य मंदिर मुस्लिम सरकार के लिए आय का महान स्रोत बन गया था। मुहम्मद बिन कासिम ने मंदिर के पास एक मस्जिद का निर्माण किया था। बाद में इस मंदिर को 10 वीं शताब्दी के अंत में वहां के तत्कालीन राजवंश इस्माइली शासकों ने नष्ट कर दिया था। उसके बगल में मस्जिद बनाई गई थी।
अलबरूनी ने किया है ध्वस्त होने का वर्णन
11वीं सदी का अल बरूनी मुल्तान गया था। उसके दौरे की रिपोर्ट बताती है कि इस सदी में मंदिर नष्ट किया गया और फिर कभी नहीं बनवाया गया। उसने इस तरह लिखा है-अब इस मंदिर में तीर्थ करने कोई नहीं आता। यह नष्ट कर दिया गया है। इसका लगभग दो सदी से कोई निर्माण नहीं कराया गया और अब इसके पत्थर-खंभे कभी इसके बुलंद होने की गवाही भरते हैं।
प्राचीन अभिलेखों में दर्ज है इसका नाम
मुल्तान का एक प्राचीन नाम कश्यपपुरा बताया जाता है। महत्वपूर्ण है कि सूर्य के पिता ऋषि कश्यप हैं। ग्रीक एडमिरल स्काईलेक्स ने 515 ईसा पूर्व सूर्य मंदिर का उल्लेख किया था। यात्री ह्वेन सांग भी 641 ईस्वी में मंदिर पहुंचा था। उसने बताया है कि बड़े लाल रूबी पत्थर से बनीं आंखों वाली शुद्ध सोने की सूर्य प्रतिमा है। उसके वर्णन के अनुसार इसके दरवाजों, खम्भों और शिखर में सोने, चांदी और रत्नों का काफी इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा अलबरूनी, मसूदी, इस्तखरी, इब्न हौकल आदि अनेक मुसलमान लेखकों ने इस सूर्य मंदिर का उल्लेख किया है।
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