बोधगया में यह जापानी मेम संवार रहीं युवाओं का भविष्य, ढाई दशक पहले आई थीं अपना देश छोड़कर
जापान से घूमने के लिए भारत आईं यूकी इनोउवे नाम की महिला यहीं की होकर रह गईं। यहां के युवक से शादी के बाद अब वे जापानी भाषा की शिक्षा दे रही हैं। उनकी इस पहल से कई युवक-युवती देश-विदेश में रोजगार कर रहे हैं।
कमल नयन, गया। ढाई दशक पहले जापान (Japan) के क्योटो शहर से गया घूमने आई एक जापानी लड़की यूकी इनोउवे पूरी तरह से भारत की होकर रह गईं। वे यहां के बच्चों को जापानी भाषा (Japanese Language) सिखा रही हैं। कई युवक-युवती इस भाषा का ज्ञान प्राप्त कर देश-विदेश में नौकरी कर रहे हैं। यूकी कहती हैं कि भारत की संस्कृति, जीवनशैली से वे काफी प्रभावित हैं।
बोधगया के युवक से की शादी
बोधगया में रहने के दौरान यहीं के सुदामा कुमार से यूकी ने वर्ष 1998 में शादी रचा ली। शादी भी सादगी के साथ विष्णुपद मंदिर परिसर में हुई। तब से वह जापानी मैम पूरी तरह भारत में ही रच-बस गई। वह जापानी भाषा के साथ-साथ यहां के लोगों को हिंदी भी सिखाने लगी। यूकी से जब भी कोई मिलता है उनका पहला शब्द हाेता है नमस्ते। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने के प्रयास में वे लगी हैं।
स्कूल खोल कर दे रहीं जापानी भाषा की शिक्षा
वैसे में यूकी इनोउवे ने भारतीय बच्चों को जापानी भाषा सिखलाने की सोच डाली और 2001 में सूर्या भारती स्कूल की स्थापना की। उसमें हिंदी मीडियम से पढ़ाई होती थी। लेकिन एक घंटी बच्चों के लिए जापानी भाषा का रखा गया। इस स्कूल की शुरुआत में बच्चे तो कम थे। लेकिन धीरे-धीरे लगभग ढाई सौ बच्चे यहां हो गए। बच्चों के साथ-साथ कुछ युवा भी जापानी भाषा सीखने के लिए संपर्क करने लगे। तब जापानी भाषा ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना बोधगया में की। पांच युवाओं से शुरुआत हुई। आज इनकी भी संख्या शिफ्ट में लगभग 200 के आसपास है।
जापानी भाषा सीखकर देश-विदेश में रोजगार कर रहे यहां के युवक-युवती
यूकी इनोउवे का अब एकमात्र उद्देश्य बच्चों को जापानी शिक्षा के साथ-साथ उन्हें रोजगार से भी जोडऩा रह गया है। लंबे समय से चली आ रही इस शिक्षा व्यवस्था के तहत कई बच्चे-बच्चियां तो जापान तक पहुंच गए हैं। कई भारत के शहरों को बेहतर रोजगार पा कर जीवनयापन कर रहे हैं। बापू नगर बोधगया की रहने वाली अनुराधा कुमारी और इलरा की सोनम कुमारी जापान में क्रमश: नर्सिंग और सिलाई का काम कर अच्छी आमदनी कर रही हैं।
(स्कूल में बच्चों को पढ़ातीं यूकी।)
जापानी भाषा के ज्ञान ने दिलाया रोजगार
जापानी भाषा के इस केंद्र में कई युवक अब शिक्षक बन गए हैं। इन्हीं में एक शिक्षक जहान बिगहा के नीरज कुमार हैं। वे बताते हैं कि मैम के निर्देशन में भाषा का ज्ञान प्राप्त कर कई लड़के दिल्ली और बंगलुरु में काम कर रहे हैं। उनमें भलुआ के चनेश कुमार, नीरज कुमार और महुए के विक्रम कुमार शामिल हैं। नीरज बताते हैं कि इस भाषा में दो साल का कोर्स है। कोर्स पूरा करने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी परीक्षा होती है और तब डिग्री प्राप्त मिलती है। जापानी भाषा के संबंध में यूकी का कहना है कि वे बोधगया में आने के बाद यहां की शिक्षा व्यवस्था से प्रभावित हुईं। बच्चों के बीच जापानी भाषा का अतिरिक्त ज्ञान देने का प्रयास किया। उसका असर भी दिखने लगा है। वे