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इस बार डोली पर आ रहीं और हाथी पर विदा होंगी मां दुर्गा, अच्छे नहीं संकेत, जानिये क्या कहते हैं ज्योतिष

इस साल नवरात्र के प्रथम दिन का पूजन सात अक्टूबर से प्रारंभ हो कर 15 अक्टूबर तक चलेगी। इसको लेकर दुर्गा पंडाल बन कर तैयार होने लगे हैं। प्रतिमा का काम लगभग पूरा हो चुका है। इस दौरान मां के नौ रूपों की पूजा होती है। पढ़ें पूरी खबर...

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Updated: Sat, 02 Oct 2021 09:36 PM (IST)
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माता रानी की कृपा पाने के लिए पूरी भक्ति से करें पूजा

संवाद सहयोगी, भभुआ: शारदीय नवरात्र का पूजन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में किया जाता है। प्रथम से नवमी तिथि तक मां दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। इस साल नवरात्र के प्रथम दिन का पूजन सात अक्टूबर को होगा। सात से प्रारंभ हो कर 15 अक्टूबर तक नवरात्र मनाया जाएगा। माना जाता है कि मां दुर्गा शारदीय नवरात्र में अपने मायके आती हैं, यहां रह कर अपने भक्तों के सभी दुख दूर करती हैं। 

नवरात्र में मेला के आयोजन पर रोक, प्रशासन ने गाइडलाइन भी की जारी 

इस बार प्रथम दिन शैलपुत्री के रूप में मां दुर्गा डोली पर चढ़ कर आएंगी। नवरात्र को लेकर मां की प्रतिमा पंडाल में रखने की सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। हालांकि दो दिनों में बारिश ने इस कार्य में खलल जरूर डाला है। लेकिन पूजा समितियों के सदस्य कार्य को धीरे धीरे प्रगति पर रखे हुए हैं। इस बार के नवरात्र में मेला के आयोजन पर भी रोक है और पूजा समितियों के लिए प्रशासन ने गाइडलाइन भी जारी कर दी है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्र के पूजन का विधान है। इन नौ दिनों में आदि शक्ति मां दुर्गा का व्रत और पूजन किया जाता है। मां दुर्गा के नौ रूप हैं, जिन्हें नौ दुर्गा कहा जाता है। नवरात्र के प्रत्येक दिन मां के एक रूप का पूजन होता है। 

इस बार नवरात्र का पूजन आठ दिनों तक ही

इस बार दो तिथियां एक दिन ही पड़ जाने के कारण नवरात्र का पूजन आठ दिनों तक ही होगा। हिन्दू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है। कुछ लोग नवरात्र के सभी दिनों में व्रत रखते हैं तो कुछ प्रथम व अंतिम दिन व्रत रखते हैं। नवरात्र को देखते हुए मां मुंडेश्वरी मंदिर, बड़ी देवी व छोटी देवी मंदिर, सहित अन्य जगहों पर भी तैयारियां शुरू कर दी गई है। 

डोली पर सवार हो कर आ रही हैं मां दुर्गा

शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा हर नवरात्रि में अपने बच्चों भगवान गणेश, कार्तिकेय, देवी लक्ष्मी और सरस्वती के साथ अपने मायके आती हैं। नौ दिनों तक मायके में रह कर फिर शिवलोक में चली जाती है। मान्यता है कि हर बार मां दुर्गा अलग- अलग सवारी पर सवार होकर आती हैं, जिनके अलग-अलग अर्थ हैं। आचार्य विद्यापति व उमाशंकर मिश्रा की मानें तो इस साल नवरात्र की शुरूआत गुरूवार के दिन से हो रही है। जिसका मतलब है कि मां दुर्गा डोली पर सवार हो कर आएंगी। देवी भागवत पुराण के अनुसार जब नवरात्र की शुरूआत गुरूवार या शुक्रवार से होती है तो इसका अर्थ मां के डोली पर सवार हो कर आने से है। 

डोली पर आने से मनुष्य और पशुओं में बीमारी होने का संकेत

ज्योतिष बताते हैं कि डोली पर आने से इस बार मनुष्य और पशुओं में बीमारी जैसे सर्दी, खांसी, बुखार, हैजा जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। इसके साथ ही हाथी पर विदा होने से वर्षा का सूचक है। इसमें कहीं-कहीं काफी ज्यादा बारिश होने की संभावना है। इससे बाढ़ भी आ सकता है।