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सरकार की कोशिशों के बाद भी नहीं घट रहे दहेज प्रताड़ना के मामले, आठ माह में 157 महिलाएं बेघर; 15 की हत्या

सरकारी स्तर पर दहेज उन्मूलन के खिलाफ लगातार अभियान चलाने के बाद भी जिले में दहेज के दंश की घटनाएं कम होती नहीं दिख रहीं। पिछले आठ माह के दौरान 68 मामले थानों में दर्ज हुए। जबकि 89 महिलाएं कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को विवश हुईं। वर्ष 2023 के शुरुआती आठ माह के आंकड़े इस बात के गवाह हैं। आए दिन महिलाएं ससुराल वालों की प्रताड़ना की शिकार हुईं।

By Mithilesh TiwariEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Wed, 13 Sep 2023 03:52 PM (IST)
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सरकार की कोशिशों के बाद भी नहीं रूक रही दहेज की घटनाएं(प्रतिकात्मक तस्वीर)

संवाद सूत्र, गोपालगंज: सरकारी स्तर पर दहेज उन्मूलन के लिए लगातार अभियान चलाने के बावजूद जिले में दहेज के दंश की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रहीं। वर्ष 2023 के शुरुआती आठ माह के आंकड़े इस बात के गवाह हैं। इस बीच आए दिन महिलाएं ससुराल वालों की प्रताड़ना की शिकार हुईं।

कहीं बहू को दहेज के लिए जलाकर मारने का प्रयास किया गया, तो कहीं जहर देकर हत्या कर दी गई। पुलिस भी महिला उत्पीड़न की वारदातों में त्वरित कार्रवाई करती नज़र आई। जनवरी से अगस्त माह तक जिले में 157 महिलाओं को दहेज के लिए घर से निकाल दिया गया। इस बीच 15 महिलाओं की दहेज हत्या की घटनाएं हुईं।

नहीं कम हो रहा दहेज का दंश

वर्ष 2019 में सरकार ने दहेज पर रोक लगाने के लिए अभियान प्रारंभ किया। इस अभियान का उद्देश्य आम लोगों में जागरूकता लाना रहा है। इस अभियान को लेकर हर साल कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को बाल विवाह व दहेज उत्पीड़न पर रोकथाम के लिए जागरूक किया जा रहा है। बावजूद इसके यहां दहेज का दंश कम होता नहीं दिख रहा है।

इंसाफ के लिए कोर्ट की लेनी पड़ रही शरण

इस साल दहेज प्रताड़ना के आंकड़े पर गौर करें तो वर्ष 2023 के शुरुआती आठ माह में 68 आपराधिक मामले विभिन्न थानों में दर्ज किए गए। इसके अलावा पुलिस के स्तर पर कार्रवाई नहीं करने पर 89 महिलाओं ने कोर्ट में परिवाद पत्र दाखिल कर ससुराल के लोगों पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया।

भरण-पोषण के लिए दर्ज हुए 200 मामले

विवाहित महिलाओं के उत्पीड़न का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2023 के शुरुआती दस माह के दौरान भरण पोषण के 200 मामले परिवार न्यायालय में दाखिल किए गए। वाद दाखिल कर प्रताड़ित कर घर से निकाली गई महिलाओं ने न्यायालय से भरण-पोषण के लिए पति से गुजारा भत्ता दिलाने की गुहार लगाईं।

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मध्यस्थता केंद्र में जुड़े दिल

ऐसी बात नहीं कि दहेज उत्पीड़न या महिला उत्पीड़न को लेकर दाखिल किए गए मामले समाप्त नहीं हुए। वर्ष 2023 के दौरान करीब महिला उत्पीड़न के 25 मामलों में मध्यस्थता केंद्र से पति-पत्नी के विवाद का समाधान किया गया। विवाद समाप्त होने के बाद दंपती ने गिले-शिकवे को समाप्त कर एक साथ रहने पर सहमति जताई।

महिला हेल्पलाइन में आए दर्जनों मामले

इस साल अबतक महिला हेल्पलाइन में भी महिला उत्पीड़न के दर्जनों मामले सामने आए हैं। इनमें से अधिकांश मामलों में पक्षकारों को नोटिस कर हेल्पलाइन की ओर से विवाद का निराकरण करने का प्रयास किया गया। जबकि कुछ विवादों का समाधान हेल्पलाइन में नहीं हो सका।

 

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