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बिहार में उप चुनाव के ठीक पहले जदयू को डबल झटका, भाजपा के पैंतरे से राजद को भी होगा नुकसान

Bihar Bye Election 2022 बिहार में विधानसभा की दो सीटों के लिए उप चुनाव की कवायद के बीच भाजपा ने जदयू को डबल झटका दिया है। पूर्व विधायक के बाद समता पार्टी के संस्थापक सदस्य ने छोड़ा जदयू का साथ भाजपा में शामिल

By Jagran NewsEdited By: Shubh Narayan PathakUpdated: Mon, 17 Oct 2022 09:06 AM (IST)
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Bihar News: संजय जायसवाल और नीतीश कुमार। फाइल फोटो
गोपालगंज, जागरण टीम। Bihar Bye Election 2022: बिहार में विधानसभा की दो सीटों गोपालगंज और मोकामा की सीटों पर उप चुनाव की कवायद के बीच भाजपा ने लगातार दो बड़े झटके जदयू को दिए हैं। इसका असर उप चुनाव में महागठबंधन के उम्‍मीदवार पर पड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

समता पार्टी के दिनों से चल रहा साथ टूटा 

पहले हायाघाट से जदयू के पूर्व विधायक अमरनाथ गामी भाजपा में शामिल हो गए। अब समता पार्टी के स्‍थापना काल से ही नीतीश कुमार के साथ रहे सदानंद सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया है। खास बात यह है कि सदानंद गोपालगंज से ही जुड़े हुए हैं।  

जदयू के पूर्व जिलाध्‍यक्ष हैं सदानंद 

समता पार्टी के काल से नीतीश कुमार के साथ जुड़े रहे जदयू के पूर्व जिला अध्यक्ष सदानंद सिंह ने विधानसभा के उपचुनाव के पूर्व जदयू को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। इसके बाद भाजपा खेमे में खुशी की लहर है। भाजपा को उम्‍मीद है कि इससे गोपालगंज में उनके प्रत्‍याशी की राह आसान होगी। 

समता से जदयू तक निभाया साथ 

बताया जाता है कि सदर प्रखंड के भीतभेरवा गांव निवासी सदानंद सिंह बिहार में समता पार्टी के स्थापना के समय से नीतीश कुमार के साथ जुड़े रहे। जिले में समता पार्टी की नीव रखने वाले शहर के हजियापुर वार्ड 27 निवासी भोला प्रसाद पटेल उर्फ भोला मास्टर के साथ मिलकर सदानंद सिंह जनता पार्टी को जिले में मजबूत बनाने का कार्य किया। बाद में समता पार्टी के बाद नीतीश कुमार की पार्टी की पहचान जदयू के रूप में होने लगी।

राधा मोहन सिंह की मौजूदगी में बदला दल 

सदानंद सिंह ने जदयू के जिला अध्यक्ष से लेकर कई पद पर कार्य किया। पार्टी को जिले में मजबूत बनाने का भी कार्य किया। लेकिन जदयू में आपसी कलह को लेकर उन्होंने विधानसभा के उप चुनाव के पूर्व पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। राजनीतिक विशेषज्ञ की मानें तो  पूर्व जिलाध्यक्ष के जदयू छोड़ देने से महागठबंधन को नुकसान होगा।

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