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स्वास्थ्य विभाग की खुली पोल! बिहार के इस अस्पताल में बिना एक्सपर्ट डॉक्टर के हो रहा पोस्टमॉर्टम, संसाधनों का भी अभाव

बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित सदर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए एक्सपर्ट डॉक्टरों का टोटा है। यहां सामान्य चिकित्सक की पोस्टमॉर्टम का कोरम पूरा कर रहे हैं। जबकि पोस्टमॉर्टम के लिए पैथोलॉजी और फोरेंसिक के जानकार चिकित्सक होने चाहिए। विशेषज्ञ चिकित्सक शव को पोस्टमॉर्टम के समय ही देखकर स्थिति समझ जाते हैं। सिविल सर्जन ने भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को माना है।

By Rajat KumarEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sun, 08 Oct 2023 07:41 PM (IST)
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बिहार के इस अस्पताल में बिना एक्सपर्ट डॉक्टर के हो रहा पोस्टमॉर्टम, संसाधनों का भी अभाव
जागरण संवाददाता, गोपालगंज। Bihar News जिले में घनी आबादी के बीच मात्र एक ही पोस्टमॉर्टम हाउस है। यह पोस्टमॉर्टम हाउस भी जर्जर था। लेकिन करीब एक साल पूर्व सांसद निधि से नया पोस्टमॉर्टम हाउस बनाने का कार्य किया गया। वहीं, पोस्टमॉर्टम हाउस में किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती नहीं है। सामान्य चिकित्सक ही पोस्टमॉर्टम करने का कार्य करते हैं।

सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक के जिम्मे पोर्स्टमॉर्टम भी है। ऐसे में पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर शव लेकर पुलिस व स्वजन घंटों इंतजार करते हैं। इमरजेंसी वार्ड से फुर्सत मिलने के बाद चिकित्सक पोस्टमॉर्टम हाउस आकर पोस्टमॉर्टम करने का कार्य करते हैं।

इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक को ही सौंपी गई है पोस्टमॉर्टम की जिम्मेदारी

जानकारी के अनुसार, सदर अस्पताल में करीब 36 चिकित्सक तैनात हैं। ऐसे में इन सभी चिकित्सकों को सप्ताह व दिन के रोस्टर के अनुसार इमरजेंसी वार्ड में तैनात किया जाता है। इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक को ही पोस्टमॉर्टम करने की जिम्मेदारी सौंपी दी गई। ऐसे में इमरजेंसी वार्ड में मरीजों का उपचार करने वाले चिकित्सक फुर्सत मिलने के बाद ही पोस्टमॉर्टम हाउस जाने का कार्य करते हैं।

पोस्टमॉर्टम के लिए चाहिए होते हैं पैथोलॉजी और फोरेंसिक के जानकार

सामान्य चिकित्सक पोस्टमॉर्टम का कोरम पूरा करने का कार्य करते हैं, जबकि पोस्टमॉर्टम के लिए पैथोलॉजी और फोरेंसिक के जानकार चिकित्सक होने चाहिए। विशेषज्ञ चिकित्सक शव को पोस्टमॉर्टम के समय ही देखकर स्थिति समझ जाते हैं। जिले में चिकित्सक शव का पोस्टमॉर्टम करने के लिए पोस्टमॉर्टम हाउस में जाने के बाद वहां तैनात कर्मी को शव का चीर-फाड़ करने की बात कहते हैं। इसके बाद कर्मी मृतक के सिर व सीने से लेकर पेट तक चीर देते हैं। साथ ही विसरा को निकालने के लिए कर्मी ही सभी शरीर के पार्ट्स को निकालकर डब्बे में रखने का कार्य करते हैं। चिकित्सक इस दौरान शव को छूने से भी परहेज करते हैं।

पोस्टमॉर्टम हाउस में नहीं है AC की सुविधा

सदर अस्पताल से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित पोस्टमॉर्टम हाउस में शव आने के बाद उसे स्वजन व कर्मी रूम में लेकर लेटा देते हैं। इस दौरान गर्मी के मौसम में परेशानी बढ़ जाती है। पोस्टमॉर्टम हाउस में एसी जैसी सुविधा स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मुहैया नहीं कराई गई है। यहां दो पंखा लगाए गए हैं, जबकि अज्ञात शव को 72 घंटे रखने के लिए दो फ्रीज की सुविधा है।

घंटों इंतजार करने के बाद होता है शव का पोस्टमॉर्टम

सदर अस्पताल में पुलिस शव को पोस्टमॉर्टम के लिए लेकर आती है। इस दौरान इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक शव को पोस्टमॉर्टम हाउस भेजने के घंटों बाद जाते हैं। चिकित्सक इमरजेंसी वार्ड में दूसरे चिकित्सक के आने का इंतजार करते हैं, ताकि कोई गंभीर केस आने पर किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हो।

नगर थाना की पुलिस व विजयीपुर थाना की पुलिस शनिवार को दो शव को लेकर पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर सुबह छह बजे से खड़ी रही। इस दौरान चिकित्सक आठ बजे के बाद पहुंचे। ऐसे में स्वजन गमगीन माहौल में भी चिकित्सक का इंतजार करने को मजबूर दिखे।

क्या बोले सिविल सर्जन?

जिले में तैनात चिकित्सक ही पोस्टमॉर्टम करने का कार्य करते हैं। पटना सहित अन्य बड़े शहरों में मेडिकल कॉलेज होने के कारण वहां अनुभव प्रोफेसर चिकित्सक के द्वारा पोस्टमॉर्टम किया जाता है। - डॉ. वीरेंद्र कुमार प्रसाद, सिविल सर्जन, गोपालगंज

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