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    पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय का निधन, निर्दलीय चुनाव जीतकर मचाई थी खलबली; राजीव गांधी भी थे कायल

    गोपालगंज के पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय का दिल्ली में निधन हो गया। 82 वर्षीय पांडेय लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन से पूरे जिले में शोक की लहर है। 1984 में वे निर्दलीय सांसद बने थे। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में होगा। काली प्रसाद पांडेय गोपालगंज में लोकप्रिय नेता थे।

    By manoj kumar rai Edited By: Krishna Parihar Updated: Sat, 23 Aug 2025 07:00 PM (IST)
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    पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय का निधन

    संवाद सूत्र, कुचायकोट (गोपालगंज)। गोपालगंज संसदीय क्षेत्र से आठवीं लोकसभा के सदस्य रहे वरिष्ठ राजनेता काली प्रसाद पांडेय का शुक्रवार देर शाम दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज के क्रम में निधन हो गया।

    82 वर्षीय काली प्रसाद पांडेय पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। वह अपने पीछे पत्नी, तीन पुत्रों तथा दो पुत्रियों का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन की खबर मिलते ही जिलेभर में शोक की लहर दौड़ गई।

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    1943 में कुचायकोट प्रखंड की सलेहपुर पंचायत अंतर्गत रमजीता गांव में जन्मे काली प्रसाद पांडेय, स्व. राम इकबाल पांडेय उर्फ भगन पांडेय के पांच पुत्रों में दूसरे नंबर पर थे। उनका परिवार लंबे समय से राजनीति और समाजसेवा से जुड़ा रहा है।

    उनके छोटे भाई आदित्य नारायण पांडेय झारखंड के बड़े संवेदक और गोपालगंज के विधान पार्षद रह चुके हैं, जबकि सबसे छोटे भाई शैलेश पांडे पंचायत समिति सदस्य एवं मुखिया रह चुके हैं। काली प्रसाद पांडेय ने किशोरावस्था से ही जनता के हक की लड़ाई लड़नी शुरू कर दी थी।

    वर्ष 1980 में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गोपालगंज विधानसभा से चुनाव जीतकर राजनीति में पदार्पण किया। इसके बाद 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। उस समय पूरे बिहार में वे इकलौते निर्दलीय सांसद बने।

    उनकी लोकप्रियता और कद तेजी से बढ़ा और वे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीब हुए और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। राजनीतिक करियर के दौरान उन्होंने कांग्रेस, राजद और लोजपा में रहकर संगठन को मजबूत किया।

    2020 में उन्होंने कांग्रेस में वापसी कर कुचायकोट विधानसभा से चुनाव भी लड़ा। हालांकि, 1984 के बाद के चुनावों में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन वे हमेशा क्षेत्र की राजनीति में प्रभावी बने रहे।

    शव पहुंचते ही उमड़ी लोगों की भीड़

    पूर्व सांसद का शव एंबुलेंस से उनके पैतृक गांव लाया गया। शव पैतृक गांव रमजिता पहुंचते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। शव आने के पूर्व से ही पारिवारिक सदस्यों, रिश्तेदार तथा आसपास के गांव से जुटे लोगों के अलावा बड़ी संख्या में अधिकारी, राजनीतिक दलों के पदाधिकारी तथा उनके समर्थक उनके घर के बाहर जुटने लगे थे।

    इस मौके पर विधान पार्षद राजीव कुमार, बैकुंठपुर विधायक प्रेम शंकर प्रसाद, हथुआ विधायक राजेश कुमार सिंह, पूर्व विधान पार्षद आदित्य नारायण पांडेय, राजद जिलाध्यक्ष दिलीप सिंह, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ओम प्रकाश गर्ग, जिला परिषद अध्यक्ष सुबाष सिंह, बीडीओ सुनील कुमार मिश्रा, सीओ मणिभूषण कुमार समेत अन्य लोग मौजूद रहे। स्वजन ने बताया कि रविवार की सुबह अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में ही किया जाएगा।