बैंकों की सुस्ती से तोड़ रही अपने घर का सपना, धरातल पर नहीं सरकारी योजनाएं; मुठ्ठी भर लोगों को ही मिला ऋण
Gopalganj News बैंक लोगों का अपना घर होने के सपनों को तोड़ रहे हैं। सरकारी स्तर पर कई योजनाएं संचालित हैं लेकिन फिर भी लोग बैंक से ऋण प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। पिछले तीन साल में किसी भी वर्ष होम लोन के लक्ष्य को सौ प्रतिशत प्राप्त नहीं किया गया है। ऐसे में घर बनाने वाले लोगों की परेशानी घटने के बजाय बढ़ती जा रही है।
By Mithilesh TiwariEdited By: Aysha SheikhUpdated: Tue, 03 Oct 2023 01:59 PM (IST)
जागरण संवाददाता, गोपालगंज : हरेक व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना घर हो। इसके लिए सरकारी स्तर पर कई योजनाएं संचालित हैं। इन्हीं योजनाओं में शामिल है 'होम लोन की योजना'। इस योजना के तहत लोग बैंक से ऋण प्राप्त कर अपने घर का निर्माण करते हैं।
हालांकि, अपने घर का सपना बैंकों तक पहुंचते-पहुंचते टूट जाता है। आंकड़े गवाह हैं कि बैंकों की सुस्ती के कारण लोगों की उम्मीदें टूट रही हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष के शुरुआती तीन माह के आंकड़े इस बात की गवाही देने के लिए काफी हैं।
बैंकों की लापरवाही काफी हद तक जिम्मेदार
आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन साल में किसी भी वर्ष होम लोन के लक्ष्य को शत प्रतिशत प्राप्त नहीं किया जा सका है। इस स्थिति के लिए बैंकों की लापरवाही काफी हद तक जिम्मेदार है। प्रशासनिक स्तर पर दबाव के बाद भी बैंक होम लोन देने में लगातार लापरवाही बरतते रहे हैं।यही कारण है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में भी अबतक लक्ष्य के विरुद्ध महज 15 प्रतिशत लोगों को ही होम लोन प्राप्त हो सका है। हद तो यह कि भारतीय स्टेट बैंक जैसे बड़े बैंकों ने भी होम लोन देने में लगातार सुस्ती बरती है।
लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही
इस बैंक के आंकड़े बताते हैं कि इस साल लक्ष्य के विरुद्ध स्टेट बैंक ने मात्र 16 लोगों को ही होम लोन दिया है। अन्य बैंकों की दशा भी कमोबेश एक जैसी ही है। ऐसे में, होम लोन के बहाने अपना घर बनाने वाले लोगों की परेशानी घटने के बजाय बढ़ती जा रही है।
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