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बिहार के इस युवा किसान ने मशरूम की खेती को दिया नया आयाम, नौकरी के दौरान सीखे मार्केटिंग के गुर भी आ रहे काम

बिहार में एक युवा किसान ने मशरूम की खेती से अपनी आय बढ़ाने के लिए सराहनीय पहल की है। इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी भी छोड़ दी। यहां तक कि नौकरी के दौरान सीखे मार्केटिंग के गुर से खेती को आगे बढ़ाने का काम किया है। वह बताते हैं कि कैसे बिचौलियों की वजह कम लाभ मिलता था और कैसे उन्होंने अपने नवाचार से इस समस्या का हल निकाला।

By Vivek Kumar Tiwari Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 31 Mar 2024 06:12 PM (IST)
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जब विकल्प बना संकल्प तो बाजार की राह भी हुई सुगम। (जागरण फोटो)
विवेक कुमार तिवारी, फुलवरिया (गोपालगंज)। कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि उनके पाठ्यक्रम का वैकल्पिक विषय ही करियर का आधार बन जाता है, वहीं आपात स्थिति में आजीविका का विकल्प ही आगे चल कर उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने का माध्यम बन जाता है।

जो लोग विकल्प को संकल्प बना लेते हैं, वे विशिष्ट होते हैं, क्योंकि उनकी संकल्प शक्ति स्वयं के साथ अन्य को भी लाभ होता है। ऐसे ही प्रगतिशील युवा किसान जिले के फुलवरिया प्रखंड की मांझा गोसाई पंचायत के कंधवरिया मांझा गांव निवासी प्रकाश राय हैं।

वे मशरूम की खेती से स्वयं के साथ दो दर्जन से अधिक किसानों की आर्थिकी संवार रहे हैं। प्रकाश ने कोरोना की आहट के बीच 24 दिसंबर 2019 को प्राइवेट नौकरी छोड़ कर खेती शुरू की थी।

उन्होंने विपरीत मौसम, जलवायु एवं परिस्थितियों में भी मशरूम की खेती एवं उसकी ससमय बिक्री पर ध्यान केंद्रित रखा और इसे लाभ की खेती बना कर दिखाया।

मशरूम की बिक्री में निजी कंपनी में नौकरी के दौरान मार्केटिंग के सीखे गए गुर काम आए। आज इनसे प्रेरित होकर दो दर्जन से अधिक किसान मशरूम की खेती कर रहे हैं।

जिले के अलग-अलग प्रखंड के ये सभी किसान मिल कर प्रतिदिन 15 सौ थैलों में लगभग 11 क्विंटल मशरूम उत्पादन करते हैं। बिक्री के लिए बिचौलिए की बजाय सीधे दुकानदार व उपभोक्ता तक इनकी पहुंच है।

प्रकाश राय ने बताया कि विभिन्न थोक दुकानदारों के साथ किसानों के घर के सदस्य संयुक्त रूप से नजदीकी बाजार एवं शादी विवाह में मांग के अनुसार सीधी बिक्री करते हैं।

इससे अधिक लाभ होता है तथा लोगों को ताजा मशरूम मिलता है। थोक दुकानदारों या फिर शादी विवाह आदि में 130 रुपये से लेकर 140 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक्री की जाती है। खुदरा बाजार भाव 200 से लेकर 250 रुपये प्रति किलोग्राम है।

सरकारी योजना के तहत प्रशिक्षण व अनुदान का मिला लाभ

प्रकाश राय ने कुचायकोट में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, सिपाया से मशरूम उत्पादन का निशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) की पाठशाला में शामिल हुए।

उन्हें मशरूम उत्पादन के लिए सभी सामग्री सरकारी स्तर पर मिल गई। उद्यान विभाग से मशरूम उत्पादन योजना के तहत 30 फीट चौड़ी एवं 50 फीट लंबी झोपड़ी के लिए एक लाख 89 हजार 750 की राशि स्वीकृत हुई थी।

इसमें 50 प्रतिशत उद्यान विभाग ने अनुदान दिया। प्रकाश राय ने खेती से पहले उत्पादन व बाजार का आकलन किया, इसलिए सफल हुए।

हथुआ प्रखंड के हथुआ गांव निवासी कुंदन प्रसाद, राजू कुमार, सेमराव गांव निवासी सजल सिंह, फुलवरिया प्रखंड के मुरार बतरहा गांव निवासी विजय सिंह, बंसी बतरहा गांव के मनोज राय, हाथीखाल गांव के पारस पाल, चौबे परसा गांव के राजेश कुमार, मुक्तिनाथ गोंड, भोरे प्रखंड के रमेश पांडेय समेत दो दर्जन से अधिक किसान उनके साथ मिल कर ही मार्केटिंग करते हैं।

उत्पादन के क्षेत्र में उद्यान निदेशालय, पटना की ओर से प्रकाश राय को प्रथम बटन मशरूम पुरस्कार के साथ प्रमंडलीय स्तर पर प्रदर्शनी में भी सम्मानित किया जा चुका है।

ठंड का मौसम अनुकूल, गर्मी में कर सकते खेती

किसान प्रकाश राय ने बताया कि अक्टूबर से फरवरी तक ठंड का मौसम मशरूम उत्पादन के लिए अनुकूल है, उत्पादन बेहतर मिलता है। सीमित क्षेत्र में बड़े स्तर पर भी उत्पादन किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक सामग्रियां पहले से जुटा लेनी चाहिए।

इनमें गेहूं का भूसा, चोकर, यूरिया (नाइट्रोजन), जिप्सम, मुर्गी की बीट, सिंगल फास्फेट शामिल हैं। गर्मी के मौसम में सूखा मशरूम व दूधिया मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। इस मशरूम से अचार, बड़ी, पापड़, भुजिया तथा बिस्किट बना सकते हैं।

ऐसे करें मशरूम की खेती

विज्ञान से स्नातक प्रकाश राय ने बताया कि एक क्विंटल भूसा में पांच प्रतिशत चोकर, तीन प्रतिशत यूरिया, पांच प्रतिशत जिप्सम तथा 40 प्रतिशत मुर्गी की बीट प्रयोग किया जाना चाहिए।

एक प्रतिशत सिंगल फास्फेट का भी प्रयोग करें। सबसे पहले गेहूं के भूसे को भिगोकर दो दिनों तक छोड़ दें। ताकि उसमें से निकलने वाला लाल पानी बाहर हो जाए।

इसके बाद मुर्गी की बीट, यूरिया, जिप्सम, चोकर तथा फास्फेट को आवश्यकता के अनुसार मिलाएं। सभी का मिश्रण कंपोस्ट बन जाता है।

इसे कुछ दिनों तक खिली धूप में सुखाएं, ताकि अमोनिया गैस निकल जाए। तत्पश्चात छोटे-छोटे थैलों में इसे भर दें और मशरूम के बीज रोप दें।

अंकुरण से लेकर कटाई तक लगभग 20 से 22 डिग्री सेल्सियस तापमान बनाए रखना अनिवार्य है। रोपाई के लगभग 60 से 65 दिन के भीतर ही मशरूम कटाई के लिए तैयार हो जाता है।

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