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Jeevika Didi : शेखपरसा की शांति की छोटी सी पहल ला रही रंग, सब्जी की खेती कर आत्मनिर्भर बन रही आधी आबादी

मांझा प्रखंड के शेखपरसा गांव की शांति देवी की छोटी सी पहल अब रंग ला रही है। नारी सशक्तिकरण की दिशा में वह इलाके में नजीर की तरह हैं। उन्होंने जीविका से डेढ़ लाख रुपये ऋण लेकर खेती का काम शुरू किया था।

By Mithilesh TiwariEdited By: Yogesh SahuUpdated: Tue, 10 Jan 2023 07:38 PM (IST)
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शेखपरसा की शांति की छोटी सी पहल ला रही रंग, सब्जी की खेती कर आत्मनिर्भर बन रही आधी आबादी
जागरण संवाददाता, गोपालगंज। मांझा प्रखंड के शेखपरसा गांव की शांति देवी की छोटी सी पहल रंग लाई। इलाके की महिलाएं जीविका से जुड़ने के बाद सब्जी की खेती कर आत्मनिर्भर बनने की राह पर निकल पड़ी हैं। इस गांव की शांति देवी ने प्रारंभ में अपनी जमीन पर सब्जी की खेती का कार्य शुरू किया। शांति देवी के बाद अब गांव की अन्य महिलाएं भी सब्जी की खेती कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। गांव की महिलाएं न सिर्फ सब्जी की खेती कर रही हैं, बल्कि नर्सरी तैयार करना भी प्रारंभ कर दिया है।

करीब आठ साल पूर्व शेखपरसा गांव की शांति देवी गांव में संचालित दुर्गा जीविका समूह से जुड़ीं। जीविका से जुड़ने के बाद उन्होंने जीविका के सहयोग से बिहार के हाजीपुर जिला के देसरी प्रखंड में जाकर एक सप्ताह तक सब्जी की खेती, नर्सरी, उर्वरक के प्रयोग आदि के बारे में नई तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

प्रशिक्षण लेने के बाद शांति देवी ने अपनी 15 कट्ठा जमीन पर सब्जी की खेती शुरू कर दी। शुरुआती दिनों में उन्हें पैसों की कमी के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ा। पूंजी की कमी के कारण सब्जी की खेती की लागत मुश्किल से निकल पाई। इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत दिखाई। उनकी मदद जीविका ने की।

जीविका ने सब्जी की खेती करने के लिए बैंक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण मुहैया कराया। शांति देवी ने बैंक से ऋण मिलने के बाद सब्जी की खेती को काफी आगे तक बढ़ाया। यही कारण है कि उनके खेत में तैयार सब्जी प्रत्येक दिन बाजार में पहुंच रही है। शांति देवी की तरह इस गांव की अन्य महिलाएं भी सब्जी की खेती कर अपने परिवार के लोगों के जीवन को निखार रही हैं।

गांव में ही तैयार हो रही नर्सरी

सब्जी की अच्छी खेती के साथ ही शांति देवी ने अब नर्सरी तैयार करना शुरू कर दिया है। इसके लिए जीविका की तरफ से शांति देवी को 45 हजार पौधे उपलब्ध कराए गए हैं। इन पौधों को सींचकर उन्होंने नर्सरी से भी स्वावलंबी बनने की राह चुन ली।

शांति देवी की इस पहल को देख जीविका समूह से जुड़ी 100 से अधिक महिलाओं ने भी सब्जी के साथ नर्सरी का कार्य प्रारंभ किया है। इसके अलावा जीविका समूह से जुड़ी कुछ महिलाएं बकरी पालन, मुर्गी पालन, किराना दुकान तथा मशरूम उत्पादन कर स्वावलंबी बनने की राह पर आगे बढ़ रही हैं।

बकरी पालन से लेकर मछली पालन तक से जुड़ीं महिलाएं

महिलाओं के उत्थान एवं आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में जीविका की पहल अब रंग लाने लगी है। जिले में जीविका समूहों से जुड़कर महिलाएं बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, सब्जी उत्पादन, मछली पालन, किराना दुकान खोलने आदि का कार्य कर रही हैं। इन कार्यों से जुड़कर महिलाएं खुद आत्मनिर्भर होने की राह पर हैं।

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