Lok Sabha Elections: बिहार की इस सीट पर 'आधी आबादी' को आजतक नसीब नहीं हुई जीत, हर पार्टी उतारती है कैंडिडेट फिर भी...
गोपालगंज लोकसभा सीट पर आधी आबादी यानी महिलाओं को एक बार भी प्रतिनिधित्व का माैका नहीं मिला। चुनाव मैदान में महिलाएं कई बार मैदान में उतरीं। राजनीतिक दलों ने भी उन्हें प्रत्याशी बनाया लेकिन वो जीत नहीं दर्ज कर सकीं। 2009 के चुनाव से पहले इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व कर दिया गया। लेकिन महिला उम्मीदवार न तो इसके पहले जीत सकी और ना ही बाद मे।
मिथिलेश तिवारी, गोपालगंज। गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र से अब तक आधी आबादी को प्रतिनिधित्व का माैका नहीं मिला है। हां, चुनाव मैदान में आधी आबादी कई बार मैदान में उतरीं। कई बार राजनीतिक दलों ने भी उन्हें टिकट दिया। इसके बावजूद महिलाएं जीत दर्ज नहीं कर सकीं। 2004 के लोकसभा चुनाव तक सामान्य सीट रही।
इस सीट को 2009 के चुनाव के पूर्व अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घोषित कर दिया गया। आरक्षित होने के पूर्व तथा सीट के आरक्षित होने के बाद भी इस सीट पर महिला प्रत्याशी को जीत नहीं मिल सकी है।
इस सीट से 1980 के लोकसभा चुनाव के बाद किसी भी प्रत्याशी के लगातार दाेबारा निर्वाचित घोषित नहीं होने का भी अनोखा रिकार्ड है।
1980 के पूर्व द्वारका नाथ तिवारी एकमात्र प्रत्याशी रहे, जिन्होंने लगातार चार बार गोपालगंज लोकसभा सीट से जीत दर्ज करने में सफलता प्राप्त की थी।
4 विधानसभा सीट से महिलाओं को नहीं मिली जीत
विधानसभा सीटों की बात करें तो जिले के छह विस क्षेत्रों में से चार सीटों पर कभी भी महिला प्रत्याशी को जीत नहीं मिली है।इन विधानसभा सीटों में बैकुंठपुर, बरौली, भोरे (सुरक्षित), हथुआ (पूर्व में मीरगंज विधानसभा) सीटें शामिल रही हैं। गोपालगंज विधानसभा सीट तथा कटेया (अब कुचायकोट) विधानसभा सीट इसका अपवाद रहा है।
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