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Navratri 2023: बिहार के इस मंदिर में आदिकाल से हो रही पूजा-अर्चना, भक्त की पुकार पर प्रकट हुईं थी मां भगवती

आदिकाल से यहां मां की पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि यहां मां भगवती भक्त की पुकार पर प्रकट हुईं थीं। थावे दुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। मुख्यालय से थावे के लिए प्रत्येक 5 मिनट पर ऑटो-बस की सुविधा है। इसके अलावा थावे जंक्शन पर पटना सिवान गोरखपुर टाटा व लखनऊ से आने के लिए ट्रेन की सुविधा है।

By Mithilesh TiwariEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sat, 14 Oct 2023 03:45 PM (IST)
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बिहार के इस मंदिर में आदिकाल से हो रही पूजा-अर्चना, भक्त की पुकार पर प्रकट हुईं थी मां भगवती

जागरण संवाददाता, गोपालगंज। Bihar Famous Mata Durga Temple जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर सिवान-गोपालगंज मुख्य मार्ग पर मां दुर्गा का मंदिर स्थित है। करीब तीन सौ साल पूर्व स्थापित यह जाग्रत प्राचीन शक्ति पीठ में से एक है। प्रति वर्ष नवरात्र के समय यहां बिहार ही नहीं सीमावर्ती उत्तर प्रदेश व नेपाल के भक्त बड़ी संख्या में आते हैं और माता के दर्शन करते हैं।

आदिकाल से यहां मां की पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि यहां मां भगवती भक्त की पुकार पर प्रकट हुईं थीं। थावे दुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

ऐसे पहुंचे मंदिर

जिला मुख्यालय से थावे के लिए प्रत्येक पांच मिनट पर ऑटो व बस की सुविधा है। इसके अलावा थावे जंक्शन पर पटना, सिवान, गोरखपुर, टाटा व लखनऊ से आने के लिए ट्रेन की सुविधा है। वहीं, मंदिर के समीप स्थित देवी हाल्ट पर कुछ ट्रेन रुकती हैं।

सप्तमी व अष्टमी को विशेष पूजा

यहां सालों भर मां की दिन में दो बार आरती होती है। नवरात्र को छोड़ अन्य दिनों में रात्रि की आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। नवरात्र के दौरान कपाट बंद नहीं होते। सप्तमी व अष्टमी को यहां मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सप्तमी को महाप्रसाद का वितरण किया जाता है।

भक्त रहषु व चेरो से जुड़ा इतिहास

शक्ति पीठ का इतिहास भक्त रहषु स्वामी तथा चेरो वंश के क्रूर राजा की कहानी से जुड़ा हुआ है। 1714 के पूर्व यहां चेरो वंश के राजा मनन सेन का साम्राज्य हुआ करता था। इस क्रूर राजा के दबाव डालने पर भक्त रहषु स्वामी की पुकार पर मां भवानी कामरूप कामाख्या से चलकर थावे पहुंचीं।

उनके थावे पहुंचने के साथ ही राजा मनन का महल खंडहर में तब्दील हो गया और भक्त रहषु के सिर से मां ने अपना कंगन युक्त हाथ प्रकट कर राजा को दर्शन दिया। देवी दर्शन के साथ ही राजा मनन के प्राण भी पखेरू हो गए। तब से यहां मां की उपासना होती आ रही है।

मंदिर की विशेषता

ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर तीन ओर से वन प्रदेश से घिरा हुआ है। वन प्रदेश से घिरे होने के कारण पूरा मंदिर परिसर रमणीय दिखता है। मंदिर में प्रवेश व निकास के लिए एक-एक द्वार हैं। यहां सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध हैं। मान्यता है कि मां के दर्शन मात्र से लोगों की समस्याएं दूर हो जाती है।

क्या कहते हैं प्रधान पुजारी?

मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। चैत्र व शारदीय नवरात्र के समय थावे दुर्गा मंदिर में बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश व नेपाल तक से भक्त यहां मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। मां भगवती सभी की मनोकामना पूर्ण करती हैं। - संजय पाण्डेय, प्रधान पुजारी, थावे दुर्गा मंदिर

क्या कहते हैं सचिव?

शारदीय नवरात्र को देखते हुए प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है। इसके तहत मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति कर दी गई है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहेंगे। श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ख्याल रखा जाएगा। सीसीटीवी से असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जाएगी। श्रद्धालुओं से भी विधि-व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग की अपेक्षा है। - डॉ. प्रदीप कुमार, सदर एसडीओ सह सचिव श्री श्री मां दुर्गा मंदिर न्यास समिति थावे

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