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नीतीश की नई सरकार गांवों पर मेहरबान, प्यास बुझाने के लिए कुएं सुधारने का किया फैसला, खर्च करेगी 70 हजार रुपये

Bihar News जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत कुओं का जीर्णोद्धार की योजना अंतिम चरण में पहुंच गई है। प्रथम चरण में जिले के 906 कुओं के जीर्णोद्धार की योजना तैयार की गई। प्रत्येक कुएं के जीर्णोद्धार पर 70 हजार की राशि खर्च की जानी थी। अबतक इनमें 711 कुओं का जीर्णोद्धार पूर्ण कर लिया गया है। अब भी जिले में 195 कुओं के जीर्णोद्धार का कार्य अधूरा है।

By Mithilesh Tiwari Edited By: Mukul KumarUpdated: Mon, 29 Jan 2024 04:35 PM (IST)
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की फाइल फोटो
मिथिलेश तिवारी, गोपालगंज। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत कुओं का जीर्णोद्धार की योजना अंतिम चरण में पहुंच गई है। आंकड़ों के अनुसार, प्रथम चरण में जिले के 906 कुओं के जीर्णोद्धार की योजना तैयार की गई। प्रत्येक कुएं के जीर्णोद्धार पर 70 हजार की राशि खर्च की जानी थी। अबतक इनमें 711 कुओं का जीर्णोद्धार पूर्ण कर लिया गया है। अब भी जिले में 195 कुओं के जीर्णोद्धार का कार्य अधूरा है। 

1917 में 7,000 से अधिक थी कुओं की संख्या

वर्ष 1917 में बिहार में सर्वे का कार्य संपन्न कराया गया था। सर्वे के दौरान कुएं की भी गणना की गई थी। इस गणना के अनुसार पूरे जिले में सात हजार से अधिक छोटे-बड़े कुएं मौजूद थे। तब इन कुओं से निकले पानी को पीकर लोग अपनी प्यास बुझाते थे। खेतों की सिंचाई का प्रमुख साधन में से एक कुआं भी था। समय से साथ व्यवस्था की मार कुओं पर पड़ने लगी।

1950-60 के बाद देखभाल में आने लगी कमी

1950-60 के बाद गांवों में स्थित कुओं की देखभाल धीरे-धीरे कम होने लगी और नतीजा अब कुओं का अस्तित्व मिटने का सिलसिला प्रारंभ हो गया। कुओं के संरक्षण की दिशा में सरकारी स्तर पर वर्ष 2019 तक कोई पहल नहीं की गई।

इस बीच करीब एक दशक पूर्व जब पानी की समस्या शुरू होने के साथ भू-जल स्तर गिरने लगा, तब सरकार की नजर कुओं की ओर गई। इसके तहत कुओं के सर्वेक्षण के साथ ही उनकी दशा में सुधार की दिशा में कार्य प्रारंभ किया गया है।

कुओं के अस्तित्व पर संकट

परंपरागत जल का प्रमुख स्रोत के रूप में जाने जाने वाले कुओं के अस्तित्व पर पिछले कुछ समय संकट मंडराने लगा है। कुओं की पर्याप्त देखभाल नहीं होने के कारण गंदगी से पटे कुओं का पानी समाप्ति की ओर है।

गांवों में कई पुराने कुओं का पानी पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। कुछ का जल समाप्त होने के कगार पर है। गांवों में अब भी कुएं बचे हैं, लेकिन इनका उपयोग सिर्फ धार्मिक आयोजनों तक की सिमटा हुआ है।

प्रथम चरण में कुओं के जीर्णोद्धार का लक्ष्य व उपलब्धि

प्रखंड - चिह्नित कुएं - इतने का हुआ जीर्णोद्धार

विजयीपुर 30 30

हथुआ 29 25

बैकुंठपुर 78 75

बरौली 125 73

भोरे 123 109

गोपालगंज 112 68

कटेया 77 66

कुचायकोट 77 73

मांझा 36 29

पंचदेवरी 18 12

फुलवरिया 18 12

सिधवलिया 72 68

थावे 25 21

उचकागांव 102 51

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