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मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी, कुम्हार की चाक ने पकड़ी रफ्तार

दीपावली और महापर्व छठ के आगमन के साथ ही सुस्त पड़ गए चाक ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ लिया है। कुम्हार दीपों के त्योहार दीपावली की तैयारियों में जुट गए हैं और शहर के चौक चौराहों पर इसे बेचने के लिए दुकानें भी सजने लगी हैं। मांग बढ़ने से ग्रामीण इलाकों से लेकर जिला मुख्यालय तक कुम्हार चाक के सहारे दीप कलश तथा पूजा के दौरान उपयोग में आने वाले मिट्टी के बर्तन को तैयार करने में जुट गए हैं। शहरी क्षेत्र से लेकर सुदूर ग्रामीण इलाकों तक के विभिन्न इलाकों में गुरुवार को कुम्हार चाक पर काम करते देखे गए। कई कुम्हारों ने पूछे जाने पर बताया कि दुर्गापूजा के पूर्व उनका काम कुछ मंदा पड़ गया था।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 29 Oct 2020 08:59 PM (IST)
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मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी, कुम्हार की चाक ने पकड़ी रफ्तार

गोपालगंज : दीपावली और महापर्व छठ के आगमन के साथ ही सुस्त पड़ गए चाक ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ लिया है। कुम्हार दीपों के त्योहार दीपावली की तैयारियों में जुट गए हैं और शहर के चौक चौराहों पर इसे बेचने के लिए दुकानें भी सजने लगी हैं। मांग बढ़ने से ग्रामीण इलाकों से लेकर जिला मुख्यालय तक कुम्हार चाक के सहारे दीप, कलश तथा पूजा के दौरान उपयोग में आने वाले मिट्टी के बर्तन को तैयार करने में जुट गए हैं।

शहरी क्षेत्र से लेकर सुदूर ग्रामीण इलाकों तक के विभिन्न इलाकों में गुरुवार को कुम्हार चाक पर काम करते देखे गए। कई कुम्हारों ने पूछे जाने पर बताया कि दुर्गापूजा के पूर्व उनका काम कुछ मंदा पड़ गया था। लेकिन नवरात्र में मिट्टी के बने बर्तनों की मांग बाजार में बढ़ने के कारण वे लोग लगातार काम कर रहे हैं। कुम्हारों का कहना है कि मिट्टी के बर्तनों की मांग पर्व, त्योहारों में अचानक बढ़ जाती है। खासकर दीपावली से लेकर छठ तक मिट्टी के बर्तनों की मांग काफी रहती है। ऐसे में दिन रात एक कर मिट्टी के बर्तन को बनाने का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में कुम्हार तथा उनके पूरे परिवार के लोग बर्तन बनाने के साथ ही उन्हें सुखाने व आग में पकाने आदि का कार्य कर रहे हैं।

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