ये हैं प्रधानमंत्री आवास योजना की असलियत, नहीं पूरे हुए सपने; गोपालगंज में सैकड़ों आवासों का निर्माण अधूरा
Pradhan Mantri Awas Yojana प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में सुस्ती देखने को मिल रही है। धरातल पर असलियत कुछ और ही बयां कर रही है। अब तक कुल 315 आवासों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। हद तो यह कि इनमें से आठ आवासों का निर्माण कार्य अब तक प्रारंभ तक नहीं हो सका है। ऐसे में योजना पर सवाल उठने लगे हैं।
मिथिलेश तिवारी, गोपालगंज। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (ग्रामीण) सुस्ती में फंस गई है। ग्रामीण विकास विभाग के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021-22 में पूरे जिले में 8794 आवासों के निर्माण काे स्वीकृति दी गई थी।
दो साल की अवधि पूर्ण होने के बाद भी इनमें से 8479 आवासों का निर्माण कार्य ही पूर्ण हो सका है। अब तक कुल 315 आवासों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। हद तो यह कि इनमें से आठ आवासों का निर्माण कार्य अब तक प्रारंभ तक नहीं हो सका है। ऐसे में योजना पर सवाल उठने लगे हैं।
हथुआ में सबसे अधिक 63 आवासों का निर्माण अधूरा
आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में सबसे अधिक 63 आवासों का निर्माण कार्य हथुआ प्रखंड में लंबित है। इसी प्रकार सबसे कम आठ आवासों का निर्माण कार्य कटेया प्रखंड में लंबित है। ग्रामीण आवास विभाग के स्तर पर सख्ती बरते जाने के बावजूद आवासों का पूर्ण कराने में लाभुक रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
विजयीपुर में तीन आवासों का प्रारंभ नहीं हुआ निर्माण
योजना के प्रति सुस्ती का आलम यह है कि जिले के 14 में से पांच प्रखंडों में अबतक आठ आवासों का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है। इनमें से विजयीपुर प्रखंड में सबसे अधिक तीन आवासों का निर्माण प्रारंभ नहीं हो सका है। इसके अलावा गोपालगंज प्रखंड में दो, हथुआ में एक, बैकुंठपुर में एक तथा कटेया प्रखंड में एक आवास का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है।
96.51 प्रतिशत की मिली उपलब्धि
दो साल की लंबी अवधि बीतने के बाद भी जिले में 96.51 प्रतिशत आवासों का ही निर्माण कार्य पूर्ण किया जा सका है। बरौली प्रखंड में सबसे अधिक करीब आठ प्रतिशत तथा पंचदेवरी में करीब सात प्रतिशत आवासों का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है।
पुराने लंबित आवासों को पूर्ण करने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। इस संबंध में सभी बीडीओ को दिशा-निर्देश जारी किया गया है। - अभिषेक रंजन, उप विकास आयुक्त
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