Gopalganj News: लोन लेकर शुरू किया चप्पल बनाने का काम, आज लाखों में होती है कमाई
गोपालगंज की रीमा देवी ने मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के तहत ऋण लेकर चप्पल निर्माण यूनिट शुरू की। कभी सामान्य गृहिणी रहीं रीमा आज आत्मनिर्भर हैं और आठ लोगों को रोजगार दे रही हैं। उन्होंने मार्केटिंग की चुनौतियों का सामना किया और सफलता पाई। अब उनका सालाना आय पांच लाख से ज्यादा है और उनके पति भी उनके साथ काम कर रहे हैं।
संदीप कुमार,गोपालगंज। सरकारी योजनाओं की सही जानकारी, दृढ़ संकल्प और परिश्रम। जब ये तीनों एक साथ जुड़ते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है। गोपालगंज जिले के काकड़कुड़ गांव की रीमा देवी ने यह सिद्ध कर दिखाया है। उन्होंने उद्योग विभाग की मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना से 10 लाख रुपये का ऋण लेकर अपने घर पर ही चप्पल निर्माण यूनिट शुरू किया। आज वह स्वयं आत्मनिर्भर हैं और अपने पति समेत आठ लोगों को रोजगार दे रही हैं।
रीमा देवी बताती हैं कि एक साल पहले तक वह एक सामान्य गृहिणी थीं। जब उन्होंने उद्योग विभाग की योजनाओं के बारे में जानकारी ली, तो खुद प्रशिक्षण लेकर चप्पल निर्माण का कार्य शुरू किया। उनके इस निर्णय को शुरू में गांव वालों ने संशय की दृष्टि से देखा। कई लोगों ने कहा कि पैसा डूब जाएगा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उस समय उनके पति पंकज प्रसाद गुजरात की एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे।
परिवार की माली हालत सामान्य थी। पंकज का सपना था कि गांव में ही कोई कारोबार शुरू किया जाए, ताकि परिवार के साथ रह सकें। रीमा देवी ने उसी सपने को जमीन पर उतार दिया।
मार्केटिंग बनी सबसे बड़ी चुनौती, लेकिन नहीं मानी हार
शुरुआत में रीमा देवी को सबसे ज्यादा दिक्कत बाजार ढूंढने में हुई। तैयार चप्पलों को बेचना मुश्किल था, लेकिन धैर्य और मेहनत ने रंग लाया। धीरे-धीरे उनकी चप्पलों की मांग बढ़ने लगी। अब हालात यह हैं कि स्थानीय दुकानदारों से लेकर अन्य जिलों के व्यापारी भी उनके पास चप्पल खरीदने आते हैं।
रीमा देवी के अनुसार, अब उनके व्यवसाय से प्रतिदिन दो से आठ हजार तक की बिक्री होती है। इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है। सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उनके पति भी अब इसी व्यवसाय में उनके साथ काम कर रहे हैं। पांच लाख रुपये से ज्यादा वार्षिक आय है। जिले के अलावा सिवान के भी कुछ व्यापारी चप्पल लेने आते हैं।
सरकार और विभाग का मिला भरपूर सहयोग
रीमा देवी ने बताया कि यह सब सरकार की योजनाओं और उद्योग विभाग के सहयोग से ही संभव हुआ। विभाग की ओर से समय-समय पर उन्हें प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग मिला, जिससे उन्हें हौसला और आत्मविश्वास प्राप्त हुआ।
रीमा देवी का मानना है कि महिलाएं यदि चाह लें तो घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर खुद के साथ-साथ दूसरों की भी तकदीर बदल सकती हैं। वह चाहती हैं कि गांव की अन्य महिलाएं भी आगे आएं और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाएं।
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