गोपालगंज में चोरों का आतंक, 250 दिन में 105 वाहनों की चोरी; पुलिस के हाथ लगी असफलता
Bihar Crime गोपालगंज में वाहन चोरी का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। शहरी व ग्रामीण दोनों इलाकों से चोरी की घटनाएं सामने आ रहीं हैं। सरकारी कर्मियों तक के वाहन चोरों के निशाने पर हैं। चोरों के आगे पुलिस लाचार सी नजर आ रही है। कई मामलों में पुलिस घटना को सत्य लेकिन सूत्रहीन बताकर जांच बंद कर रही है।
जागरण संवाददाता, गोपालगंज : जिले के शहरी व ग्रामीण इलाकों से वाहन चोरी का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। चोरों की सक्रियता के आगे पुलिस लाचार सी हो गई है।
वाहन चोरों का पता नहीं लगा पाने से अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर लोग उंगली उठाने लगे हैं। चोर किसी न किसी इलाके में हर दिन वाहन उड़ा ले जा रहे हैं।
105 बाइक चोरी की घटनाओं को दिया अंजाम
सरकारी कर्मियों तक के वाहन चोरों के निशाने पर हैं। पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि एक जनवरी से 10 सितंबर के बीच 250 दिनों की अवधि में चोरों ने 105 बाइक चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया है।
इस बीच अस्पताल से लेकर, कलेक्ट्रेट गेट तक से बाइक चोरी की घटनाएं हुईं। आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में चोरों ने जिले के विभिन्न इलाकों से हर दूसरे या तीसरे दिन बाइक चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया गया।
इसके अलावा चारपहिया वाहन की भी इस अवधि में चोरी की घटनाएं हुईं। इसके बावजूद पुलिस वाहन चोरी के बढ़ते मामले पर लगाम लगाने की कारगर व्यवस्था नहीं कर सकी है।
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शहरी इलाके में भी सुरक्षित नहीं हैं वाहन
शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों में वाहन चोरों की सक्रियता काफी बढ़ गई है। वाहन चोर गिरोह के सदस्य की सक्रियता का आलम यह है कि जिला मुख्यालय में कलेक्ट्रेट परिसर में खड़े किए गए वाहन भी सुरक्षित नहीं है।
कलेक्ट्रेट परिसर से लेकर अस्पताल चौक, पोस्ट ऑफिस चौक, चिराई घर के आसपास बाइक चोरी की कई घटनाएं हुई हैं। जनवरी माह से लेकर अबतक हुई वाहन चोरी की घटनाओं पर गौर करें तो इन इलाकों में अबतक डेढ़ दर्जन से अधिक वाहनों की चोरी हो चुकी है।
सत्य, सूत्रहीन बता बंद हो रहीं संचिकाएं
आंकड़े बताते हैं कि इस साल अबतक 105 वाहनों को चोर उड़ा चुके हैं। 10-12 मामलों को छोड़ अधिकांश मामलों का खुलासा कर पाने में पुलिस अबतक विफल रही है। जिला मुख्यालय के साथ ही सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी वाहन चोरी के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
हद तो यह कि कई वाहन चोरी के मामलों में चोरों का पता लगा पाने में विफल रहने पर पुलिस घटना को सत्य, लेकिन सूत्रहीन बताकर जांच बंद कर दे रही है। ऐसे में कई चोरी के मामले पुलिस की फाइलों में ही दफन होकर रह जाते हैं।