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अजब-गजब बिहार: दो साल से लापता हैं 7 अस्पताल, सेवा देने के लिए इधर-उधर भटक रहे डॉक्टर

Arwal Missing Hospitals बिहार के अरवल में एक अजब-गजब मामला सामने आया है। इस जिले में सात अस्पताल दो साल से लापता हैं। दरअसल 2019 में सरकार ने जिले में नौ अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की स्वीकृति दी थी जिन्हें तीन साल में चालू करना था। लेकिन हाल यहा है कि 7 सेंटरों को कागज पर ही चालू कर दिया गया और चिकित्सकों की भी नियुक्ति कर दी गई।

By shiv kumar mishra Edited By: Mohit Tripathi Updated: Mon, 16 Sep 2024 04:01 PM (IST)
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अरवल में स्वास्थ्य विभाग का अजब-गजब कारनामा। (जागरण फोटो)

शिव मिश्रा, अरवल। Bihar Missing Hospitals अरवल जिले में स्वास्थ्य विभाग का अजब-गजब कारनामा सामने आया है। दो साल से कागज पर संचालित सात अस्पताल जमीन पर खोजे नहीं मिल रहा। इन लापता अस्पतालों में नियुक्त चिकित्सक योगदान देने के लिए गांव गांव भवन ढूंढ रहे हैं।

अस्पताल भवन नहीं मिलने पर यहां के लिए नियुक्त किए गए चिकित्सकों ने थक हारकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अपना योगदान दिया है।

2019 में 9 पीएचसी बनाने की मिली थी स्वीकृति 

सरकार ने 2019 में जिले में नौ अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की स्वीकृति दी थी। केंद्र में छह बेड, लैब, रजिस्ट्रेशन काउंटर के साथ सातों दिन 24 घंटे चिकित्सकों को सेवा देनी थी।

घोषणा के तीन वर्षो में सभी स्वास्थ्य केंद्रों को चालू कर देना था। जिले के शेरपुर, फखरपुर, खभैनी, इंजोर, बेलसार, बेलाव, रामपुर चाय, पिंजरावा और निधवा में केंद्र स्थापित होना था।

7 पीएचसी 2 साल से कागज पर हैं संचालित

स्वास्थ्य विभाग ने पिंजरावा और निधवा में किराए के भवन में केंद्र संचालित कर दिया, शेष सात केंद्र दो साल से कागज पर ही संचालित हैं। जमीन पर अस्पताल के नाम पर एक बोर्ड भी नहीं लगा।

योगदान देने पहुंचे चिकित्सक, लेकिन...

हैरत की बात यह है कि इन लापता सात अस्पतालों के लिए तीन माह पहले आयुष चिकित्सक की भी नियुक्ति कर दी गई।

आयुष चिकित्सक जब संबंधित केंद्रों में योगदान देने पहुंचे तब पता चला कि जमीन पर कोई अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही नहीं है, जिसके बाद चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में योगदान दिया।

विभाग की उदासीनता के चलते सात अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को आजतक चालू नहीं किया जा सका। जमीन व भवन के अभाव में इन सात केंद्रों को भी किसी सरकारी या किराए के भवन में संचालित किया जा सकता था।

किराए के मकान में एक दर्जन अतिरिक्त पीएचसी

जिले में अभी भी करीब एक दर्जन अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किराए के मकान में चल रहे हैं। किंतु जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने इन सात केंद्रों के लिए ऐसी पहल नहीं की।

लिहाजा, इन केंद्रों से जुड़े मरीजों को इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सदर अस्पताल अरवल जाना पड़ता है, जिसमें उनका समय व पैसा दोनों खर्च होता है।

वहीं, इन केंद्रों पर नियुक्ति चिकित्सकों को इन मरीजों के इलाज के नाम पर हर माह लाखों रुपये वेतन मद में भुगतान किया जा रहा है।

इन केंद्रों के पास अपना भवन नहीं

करपी प्रखंड के पुरैनिया, कोचहासा, अरवल प्रखंड के फतेहपुर संडा, इटवा और परासी, वंशी प्रखंड के बिथरा, धरनई, सेनारी, तुर्क तेलपा में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किराए के भवन में संचालित हैं। करपी के मुरारी और पुराण, कुर्था प्रखंड के राजेपुर, पोंडील में सामुदायिक भवन में स्वास्थ्य केंद्र का संचालन हो रहा है।

सभी सात जगहों पर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए सीओ को जमीन के लिए पत्र लिखा गया है। अगर जमीन नहीं मिलती है, तब किराये के भवन में केंद्र चालू किया जाएगा। - सलीम जावेद, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, स्वास्थ्य विभाग

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