Arwal News Today बालू की अंधाधुंध निकासी से सोन नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। नदी के ऊपरी सतह के बाद अब पानी के अंदर से पोकलेन मशीन से बालू का खनन निरंतर जारी है। नदी में जगह- जगह 15 से 20 फुट गहरा कुआं खोद दिया गया है जिसे मौत का कुआं कहना गलत नहीं होगा।
जागरण संवाददाता, अरवल। Arwal News:
बालू की अंधाधुंध निकासी से सोन नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। नदी के ऊपरी सतह के बाद अब पानी के अंदर से पोकलेन मशीन से बालू का खनन निरंतर जारी है। नदी में जगह- जगह 15 से 20 फुट गहरा कुआं खोद दिया गया है , जिसे मौत का कुआं कहना गलत नहीं होगा।
पूरी रात नदी में पोकलेन मशीन दहाड़ती रहती है
नदी की प्राकृतिक मूल धारा को परिवर्तित करते हुए बालू संवेदकों ने जगह-जगह बांध बना दिया है। सही तरीके से खनन का निरीक्षण किया गया तो संवेदकों पर लाखों रुपये का जुर्माना बनेगा, लेकिन विभाग के हाथों में दही जम गई है। तमाम बालू घाटों पर अवैध खनन भी हो रहा है। पूरी रात नदी में पोकलेन मशीन दहाड़ती रहती है । पर घाटों की नीलामी कर पूरा सिस्टम सो गया है।
कई जगह वैध की आड़ में अवैध बालू घाट संचालित है।
कई धार्मिक घाट पर पानी नही
सोन नदी में बालू की अत्यधिक खुदाई के कारण कई घाट पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। वैना, हसनपुर, बैदराबाद, जनकपुर, दूना छपरा सहित अन्य जगहों पर सोन नदी के घाट को नुकसान पहुंचाया गया है।
इन घाटों पर स्थानीय लोगों द्वारा छठ, मकरसंक्रांति, कार्तिक पूर्णिमा व अन्य धार्मिक अवसरों पर स्नान, पूजा-पाठ किया जाता हैं। सोन नदी में बने बड़े बड़े गड्ढे के कारण अब यहां आने से लोग डरते हैं।
नदी घाटों के नुकसान को लेकर स्थानीय लोग द्वारा समय-समय पर लिखित शिकायत भी की जाती रही है। पर आज तक किसी ने इनकी नहीं सुनी। सोन नदी किनारे रहने वाले विकास कुमार, रामराज्य सिंह,मोती महतो ने कहा कि सोन नदी के किनारे पहले तक घने जंगल हुआ करते थे, लेकिन जलधारा दूर चले जाने के कारण जंगल भी समाप्ति के कगार पर है, जिससे पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है।
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