Bihar News: प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस और सरकारी से उठा रहे वेतन, मरीज बेहाल; यहां के डॉक्टरों की ये है स्थिति
बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। इसका नया उदाहरण सामने आया है। डॉक्टर एक दिन अस्पताल में काम करके पूरे महीने का वेतन उठा रहे हैं। शेष दिन विशेष कार्यों को छोड़कर औरंगाबाद के दाउदनगर में अपने क्लीनिक में समय देते हैं। कागज में यहां सभी चिकित्सक प्रतिदिन मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उनके नाम की फर्जी पर्ची भी कट रही है।
जागरण संवाददाता, अरवल। जिले में सरकारी डॉक्टर के प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस करने की जानकारी मिली है। जिले के कलेर प्रखंड अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सरकारी अस्पताल में समय न देकर अपने नर्सिंग होम को बढ़ाने में जुटे हैं।
यही वजह होगी कि वे सीएचसी में यदाकदा ही नजर आते हैं। यहां कार्यरत अन्य चिकित्सक भी अलग-अलग जगहों पर प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस करते हैं। ये डॉक्टर सप्ताह में एक-दो दिन आते हैं और फिर निकल जाते हैं। सप्ताह भर यहां कोई नहीं मिलता है। डॉक्टरों से मिलने के लिए मरीज भटकते रहते हैं।
एक दिन ड्यूटी कर ले रहे पूरे महीने का वेतन
मरीजों की यही भीड़ फिर क्लीनिक या फिर सदर अस्पताल पहुंचती है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी नंद बिहारी शर्मा सप्ताह में एक दिन मंगलवार को ड्यूटी कर पूरे माह का वेतन ले रहे हैं। शेष दिन विशेष कार्यों को छोड़कर औरंगाबाद के दाउदनगर में अपने क्लीनिक में समय देते हैं।दंत चिकित्सक निशांत भी सिर्फ मंगलवार को अस्पताल आते हैं। डॉक्टर पारस चौधरी भी केवल सोमवार को आते हैं। बाकी दिन गया जिले के टेकारी में अपने क्लीनिक में सेवा देते हैं। हैरत कि कागज में यहां सभी चिकित्सक प्रतिदिन मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उनके नाम की फर्जी पर्ची भी कट रही है।
घंटों इंतजार करते हैं मरीज
तय समय पर आउटडोर में यहां कोई डॉक्टर नहीं मिलते। मरीज घंटों इंतजार करते हैं। आउटडोर के बाहर मरीजों और उनके स्वजन के बैठने की भी व्यवस्था नहीं रहती। जिन मरीजों की हालत गंभीर होती है, उनके लिए यह इंतजार बेहद यातनादायी होता है।क्लीनिक से फुर्सत मिलने पर ही चिकित्सक सरकारी अस्पताल आते हैं। यह सब बेखौफ चल रहा है। प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस कर सरकारी पैसा उठाने वाले चिकित्सकों का वेतन एक से दो लाख रुपये प्रतिमाह है।
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