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Bihar Land Survey: अब हर जमीन का होगा यूनिक नंबर, कम होंगे भूमि विवाद; पढ़ें सर्वे से जुड़ी अहम बातें

सर्वे का मकसद जमीन के रिकॉर्ड को और भी पारदर्शी बनाना है। इससे न सिर्फ जमीन से जुड़े विवाद कम होंगे बल्कि यह भी पता चल सकेगा कि जमीन का असली मालिक कौन है। सरकार को यह जानने में भी मदद मिलेगी कि कितनी जमीन सरकारी है और उस पर किसका कब्जा है। पटीदारों से बंटवारे में भी इससे काफी सहूलियत होगी।

By Dheeraj kumarEdited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 22 Aug 2024 05:45 PM (IST)
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सर्वे के बाद जमीन की पूरी जानकारी विभाग के पास रहेगी।

जागरण संवाददाता, जहानाबाद। जमीन का सर्वे किसानों (Land Survey In Bihar) के लिए काफी लाभदायक होगा। भूमि सर्वेक्षण का कार्य पूरा होने पर जमीनों के रैयतों को खतियान, नक्शा और नागरिक अधिकार अभिलेख के रूप दिए जाएंगे। अलग-अलग जमीन का अलग-अलग दस्तावेज होगा। इसमें हर एक जमीन नजरी-नक्शा बना रहेगा।

जमीन का यूनिक नंबर यूएलपीआइएन भी दर्ज रहेगा। अधिकार अभिलेख में रैयत का नाम और पूरा पता खाता-खेसरा और एकड़ सहित डिसमिल में रकबा, भूमि का प्रकार लिखा होगा। साथ ही संबंधित रैयत का मोबाइल और आधार नंबर दर्ज रहेगा। अधिकार अभिलेख जिले के बंदोबस्त पदाधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर से जारी किया जाएगा।

क्यों हो रहा जमीन का सर्वे?

दरअसल, सर्वे का मकसद जमीन के रिकॉर्ड को और भी पारदर्शी बनाना है। इससे न सिर्फ जमीन से जुड़े विवाद कम होंगे बल्कि यह भी पता चल सकेगा कि जमीन का असली मालिक कौन है। सरकार को यह जानने में भी मदद मिलेगी कि कितनी जमीन सरकारी है और उस पर किसका कब्जा है।

मौजूदा स्थिति में किसी भी जमीन मालिक को अपनी जमीन के कागजात की पूरी जानकारी हासिल करने के लिए कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। सर्वे के बाद जमीन मालिक तुरंत अपनी जमीन का कागजी रिकॉर्ड प्राप्त कर सकते हैं। पटीदारों से बंटवारे में भी इससे काफी सहूलियत होगी।

पूरी तरह सुलझ जाएगा गैरमजरूआ जमीन का विवाद

गैरमजरूआ जमीन को लेकर अक्सर विवाद होता है। अंचल से लेकर जिलाधिकारी के जनता दरबार में अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहे हैं, जिसे सुलझाने में प्रशासन को काफी समय लग जाता है। इस बीच विवाद बढ़ने पर मारपीट से लेकर हत्या तक की नौबत आ जाती है। यह समस्या दिन प्रतिदिन नासूर बनती जा रही है।

सर्वे के बाद जमीन की पूरी जानकारी विभाग के पास रहेगी, जिससे आसानी से काफी कम समय में मामलों को सुलझाया जा सकता है। इसके अलावा, सरकार को गरीबों को घर बनाने के लिए जमीन देने में भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। गांव-गांव सर्वे हो जाता है तो सरकार आसानी से गरीबों को सरकारी जमीन मुहैया करा सकती है।

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