Labour Law: कंपनी में काम के दौरान हुई मौत तो मिलेगी 60 साल तक की सैलरी, बस श्रम विभाग में करना होगा एक काम
श्रम विभाग ने मजदूर वर्ग के लिए कर्मकार क्षतिपूर्ति योजना शुरू की है। इस योजना में कंपनी में काम करने वाले मजदूरों की मृत्यु होने पर उनके परिवार को आर्थिक सहायता दी जाती है। यदि मजदूर की मृत्यु कंपनी में काम करने के दौरान होती है तो 60 वर्ष तक की सैलरी के अनुसार पैसा नामिनी को दिया जाता है।
जागरण संवाददाता, जहानाबाद। निजी कंपनियों के लिए एक टेंशन बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। इससे निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के परिवार वालों को काफी फायदा होने की संभावना है।
दरअसल, सरकार द्वारा श्रम विभाग के माध्यम से मजदूर वर्ग के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिसका लाभ पंजीकृत मजदूर उठा सकते हैं। कर्मकार क्षतिपूर्ति योजना में वैसे मजदूरों को लाभ दिया जाता है, जिनकी मृत्यु दूसरे प्रदेश में काम करने के दौरान हो गई हो।
इतना ही नहीं, कंपनी में आने जाने के क्रम में अगर किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उन्हें भी इस योजना का लाभ दिया जाता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि मजदूर के पास कंपनी का आईडी कार्ड, गेट पास या कोई अन्य दस्तावेज उपलब्ध हो। दुर्घटना मामले में प्राथमिकी के समय कंपनी में काम करने का जिक्र दस्तावेज के अनुसार होना जरूरी है।
सदर प्रखंड के कुम्हवा निवासी दो ट्रक चालक की मौत गत दिनों एक कंपनी का वाहन चलाने के दौरान उत्तर प्रदेश में हो गई थी। दोनों के आश्रितों ने श्रम विभाग में आवेदन किया, जिसके बाद क्षतिपूर्ति योजना का लाभ देने की प्रक्रिया जारी है।
क्या है कर्मकार क्षतिपूर्ति योजना
- योजना के माध्यम से मजदूर को कंपनी के द्वारा पैसा दिए जाने का प्रविधान है।
- यदि किसी मजदूर की मृत्यु कंपनी में काम करने के दौरान होती है, तो 60 वर्ष तक जितनी उसकी सैलरी होती है उसी के अनुसार पैसा नामिनी को दिया जाता है।
- योजना लाभ के लिए नोमिनी को न्यायालय का सहारा लेना पड़ता है।
- इसको लेकर प्रमंडलीय स्तर पर गया में न्यायालय का गठन किया गया है।
- श्रम कार्यालय द्वारा आवेदन को गया में स्थापित उप श्रमायुक्त के पास भेज दिया जाता है।
- उप श्रमायुक्त के यहां न्यायालय के माध्यम से आवेदक को कंपनी से पैसा दिलाया जाता है।
- उप श्रमायुक्त के विवेक अनुसार, पारिवारिक सूची का ध्यान रखते हुए पैसा नॉमिनी को दिया जाता है।
- यदि मृतक के माता-पिता जिंदा हैं तो उन्हें भी कंपनी द्वारा दिए गए पैसे में से ही कुछ प्रतिशत दिया जाता है।
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