Lok Sabha Election : 'हाथी' की चाल पर निर्भर 'लालटेन' और 'तीर' की मंजिल, इस सीट का रक्तरंजित रहा है इतिहास
Jehanabad Election जहानाबाद में अंतिम चरण में एक जून को मतदान होना है। यहां जदयू के सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी राजद के पूर्व सांसद सुरेंद्र यादव व बसपा से पूर्व सांसद अरुण कुमार समेत 15 प्रत्याशी मैदान में हैं। यह बिहार की एकमात्र ऐसी सीट है जहां से एक वर्तमान सांसद के सामने दो पूर्व सांसद न केवल ताल ठोक रहे हैं बल्कि मजबूत त्रिकोण भी बना रहे हैं।
धीरज, जहानाबाद। Jehanabad Election 2024 : जहानाबाद के नाम से रक्तरंजित इतिहास वाली एक बदनुमा तस्वीर जेहन में उभर आती है। अतीत को पीछे छोड़ भले ही जहानाबाद अब लंबी डग भर रहा है, लेकिन यहां का सामाजिक व राजनीतिक गणित अब भी उसी के इर्द गिर्द घूमता है। मूंछ की बात पर पूंछ कटने की भी फिक्र नहीं, के स्वभाव में अब भी बहुत हद तक परिवर्तन नहीं हुआ है। यही भाव यहां राजनीतिक दलों के लिए वरदान तो कभी अभिशाप भी बन जाता है।
इस सीट से चुनावी मैदान में उतरे 15 प्रत्याशी
वर्तमान लोकसभा चुनाव का परिदृश्य भी इससे अछूता नहीं है। इसी आन में हाथी की घुसपैठ भी यहां हो चुकी है। इस घुसपैठ ने यहां तीर के साथ लालटेन की फिक्र भी बढ़ा दी है। यहां लालटेन व तीर की राह में हाथी की धमक ने चुनावी महासंग्राम को रोचक बना दिया है।
यहां जदयू के सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, राजद के पूर्व सांसद सुरेंद्र यादव व बसपा से पूर्व सांसद अरुण कुमार समेत 15 प्रत्याशी मैदान में हैं। यह बिहार की एकमात्र ऐसी सीट है, जहां से एक वर्तमान सांसद के सामने दो पूर्व सांसद न केवल ताल ठोक रहे हैं, बल्कि मजबूत त्रिकोण भी बना रहे हैं।
अगड़ा राजग का कोर वोटर रहा है। इसमें आन की पेच से राजद उत्साहित है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) दोनों के लिए मुसीबत है। डैमेज कंट्रोल के लिए एनडीए के आधा दर्जन से ज्यादा दिग्गज नेता यहां कैंप कर रहे हैं।
सवर्णों को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए मंत्री ललन सिंह, विजय चौधरी, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा व जदयू के दिवंगत राज्यसभा सदस्य किंग महेंद्र के अनुज एरिस्टो फार्मा के एमडी भोला शर्मा तो पूरा माहौल साधने के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी व मंत्री अशोक चौधरी जुटे हैं।
यहां 1 जून को अंतिम चरण में होना है मतदान
जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में अंतिम चरण में एक जून को मतदान होना है। जदयू प्रत्याशी लालू राज का भय दिखाकर वोट मांग रहे हैं। साथ में मोदी-नीतीश के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को गिना रहे हैं। राजद प्रत्याशी माई व बाप समीकरण के अलावा अति पिछड़ों को आरक्षण छिनने का डर दिखा कर उनसे भी समर्थन मांग रहे हैं।
बसपा प्रत्याशी स्वाभिमान की लड़ाई बताकर अगड़ा यानी राजग के कोर वोट बैंक में सेंधमारी कर रहे हैं, पार्टी का कैडर वोट साथ है ही। हुलासगंज के मोकिनपुर गांव के चंदन शर्मा, अमित शर्मा कहते हैं कि पिछली बार पूरा गांव जदयू को वोट दिया था, पांच साल गुजर गए, सांसद के दर्शन नहीं हुए। गुस्सा तो तब आया, जब सांसद के मुख से सुनने को मिला कि अगड़ा ने उन्हें वोट नहीं किया। इस बात को लेकर नाराजगी है।
लाट गांव के पप्पू शर्मा, अरविंद शर्मा ने कहा कि मोदी जी के नाम पर हम लोग उत्साह से वोट देते आए हैं। अबकी उत्साह नहीं है। आगे आप समझ लीजिए। सूरजपुर गांव के गबल शर्मा, राकेश शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री तो मोदी ही बनेंगे। किंतु, इस बार यहां सवर्णों का वोट बंटेगा। कन्दौल गांव के नीरज शर्मा ने कहा कि जीत-हार अपनी जगह, स्वाभिमान का तिलक इस बार अपने समाज के नेता को ही लगेगा।
नाराजगी की एक अलग धारा में प्रधानमंत्री का चेहरा चुनते अधिकतर
जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में सांसद से अधिक लोग प्रधानमंत्री का चेहरा चुनते हैं। जब देश में संसदीय प्रणाली की शुरुआत हुई थी, तब कांग्रेस का बोलबाला था।
उससे उम्मीदें जुड़ी थीं कि आजादी के बाद देश को विकास की पटरी पर कांग्रेस ही ला सकती है। इसलिए जहानाबाद लगातार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को संसद भेजता रहा। देश में लगे आपातकाल को लेकर आंदोलन की धार तेज हुई तो जहानाबाद की जनता भी इसके साथ हो गई।
1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नकार जनता पार्टी को भारी मतों से जीत दिला दी। इसके बाद लगातार चार बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार जीतते रहे। इनकी जीत के पीछे भी राष्ट्रीय स्तर पर सरकार से नाराजगी मुख्य वजह थी।
1995 के बाद यहां की जनता प्रदेश की राजनीति से प्रभावित होकर लोकसभा में भी अपने मताधिकार का प्रयोग करने लगी। इस कारण यह क्षेत्र कांग्रेस और कम्युनिस्ट के गढ़ की बजाय समाजवादियों का गढ़ बन गया।
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की लहर चली, तब जहानाबाद की जनता राष्ट्रीय स्तर पर उठ रही विचारधारा के साथ हो गई, भाजपा के साथ गठबंधन में रहे दल को जनादेश मिल गया। उस वक्त समाजवादियों की दो धारा लालू और नीतीश को भी मात खानी पड़ी थी।
2019 के चुनाव में भी जनता जनार्दन ने देश-प्रदेश के हित पर ही मतदान किया। अब 2024 में एक बार फिर नाराजगी की एक अलग धारा मुखर हो गई है।
यह भी देखा गया है कि यहां की जनता 1998 के बाद से प्रत्येक लोकसभा चुनाव में अलग-अलग प्रत्याशी पर भरोसा जताते हुए सदन में भेजने का काम किया है। दोबारा किसी को मौका नहीं दिया है।
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