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Hindu Nav Varsh 2024: चैत्र नवरात्र में अश्व पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, नववर्ष पर बदल जाएगी सौर सृष्टि की सत्ता

हिंदू नववर्ष नवसंवत्सर विक्रम संवत की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा उदयातिथि के अनुसार नौ अप्रैल से हो रहा है। इसके साथ सौर सृष्टि की सत्ता में भी परिवर्तन होगा। आकाशीय शासन व्यवस्था राजा मंगल के हाथों में आ जाएगी। शनि उनके मंत्री के रूप में सृष्टि का कल्याण करेंगे। इस परिवर्तन के साथ ही सृष्टि निर्माण के 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 125 साल पूरे हो जाएंगे।

By shiv kumar mishra Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 05 Apr 2024 06:33 PM (IST)
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Hindu Nav Varsh 2024: चैत्र नवरात्र में अश्व पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा।
जागरण संवाददाता, अरवल। Hindu Nav Varsh Vikram Samvat 2081 हिंदू नववर्ष, चैती छठ, नवरात्र और रामनवमी की तैयारी एक साथ शुरू हो गई है। सूर्य उपासना, माता के आगमन और प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव पर होने वाले आयोजन को लेकर देवी मंदिरों व घरों को सजाया-संवारा जाने लगा है।

हिंदुओं के नए वर्ष नवसंवत्सर विक्रम संवत की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा उदयातिथि के अनुसार, नौ अप्रैल से हो रही है। इस नए वर्ष पर सौर सृष्टि की सत्ता में भी परिवर्तन होगा। आकाशीय शासन व्यवस्था राजा मंगल के हाथों में आ जाएगी। शनि मंगल के मंत्री के रूप में सृष्टि का कल्याण करेंगे।

कलियुग के 5125 सौर वर्ष पूर्ण

इस परिवर्तन के साथ ही सृष्टि निर्माण के 1 अरब 95 करोड़, 58 लाख, 85 हजार 125 साल पूरे हो जाएंगे। इसके अलावा, कलियुग के आरंभ हुए 5125 सौर वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। इस विक्रमी नवसंवत्सर के साथ ही पिंगला शोभकृत नामक शक संवत 1946 भी आरंभ होगा।

हिंदू नववर्ष के साथ चैत्र नवरात्र भी शुरू होगा। नवरात्र का समापन रामनवमी को होगा। कलश स्थापन के साथ दुर्गा पाठ शुरू हो जाएगा। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जायेगी।

घोड़े पर होगा मां का आगमन

पंडित विनय पाठक ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस बार माता का आगमन घोड़ा पर हो रहा है। मां दुर्गा को सुख-समृद्धि व धन की देवी कहा जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

क्या है मान्यता?

मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों पर माता रानी की कृपा रहती है। 15 अप्रैल को महासप्तमी है। इस दिन रात में निशा पूजा, 16 अप्रैल को महाअष्टमी की पूजा व 17 अप्रैल को रामनवमी है। रामनवमी की दोपहर 12 बजे मंदिरों में भगवान राम को जन्मोत्सव विधि-विधान से मनाया जायेगा। 18 अप्रैल को दशमी के साथ चैत्र नवरात्र का समापन हो जायेगा।

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