बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के दौरान कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि अगर उनकी जमीन गैरमजरूआ है तो उसका क्या होगा? क्या सरकार यह जमीन ले लेगी या फिर इस पर पूर्व की तरह ही जमीन मालिक का हक रहेगा? इस लेख में सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी अजय कुमार इन सवालों का जवाब दे रहे।
संवाद सूत्र,सोनो(जमुई)। बिहार में गांवों में जमीन सर्वे का काम चल रहा है। सरकार इस सर्वे के द्वारा भूमि विवाद की घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश लगाने की कोशिश में है।
सर्वे के बाद जमीन से जुड़े अहम दस्तावेजों की जांच पड़ताल के बाद जमीन उसके सही मलिक को सौंप दिया जाएगा। लिहाजा यहां इन दिनों रैयतों के बीच अफरा-तफरी की स्थिति बनी हुई है।
जमीन सर्वे को लेकर कई लोगों के मन में एक सवाल यह भी है कि अगर उनकी जमीन गैरमजरूआ है तो उसे जमीन का क्या होगा? क्या सरकार यह जमीन ले लेगी या फिर इस पर पूर्व की तरह ही जमीन मालिक का हक रहेगा?
एक और सवाल लोगों के जेहन में है कि जिस जमीन पर किसी ने अवैध कब्जा किया है, तो उसे जमीन का क्या होगा?
सर्वे से जुड़े सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी अजय कुमार ने दैनिक जागरण को इन बिंदुओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि गैरमजरूआ जमीन दो तरह की होती है। गैरमजरूआ खास और गैरमजरूआ आम। गैरमजरुआ आम जमीन पूरी तरह सरकारी जमीन होती है।
बंदोबस्त पदाधिकारी ने बताया कि गैरमजरूआ आम जमीन का इस्तेमाल सड़क, नाला, नदी, शमशान, कब्रिस्तान, विद्यालय, तालाब, पोखर आदि के निर्माण के लिए किया जाता है। इसके अलावा कुछ जमीन परती भी होती है। सरकार इस पर कुछ भी नहीं करती है।
उन्होंने बताया कि ऐसी जमीन को गैरमजरुआ आम खाता में दर्ज किया जाता है। इस जमीन का मालिकाना हक सरकार रखती है।
सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी ने बताया कि गैरमजरूआ आम जमीन पर अगर अवैध कब्जा है तो सरकार उसे वापस ले लेगी। वहीं, आपके पास गैरमजरूआ खास जमीन है और खतियान में आपका नाम है और आप उस जमीन के वास्तविक मालिक हैं तो आपको कोई परेशानी नहीं होगी। यानी गैरमजरुआ खास जमीन जिनकी है उनकी ही रहेगी। अवैध कब्जा वाली जमीन उसके वास्तविक मालिक की होगी।
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