Jhajha Assembly Seat: झाझा में जाति और विकास के बीच फंसा जनमत, मतदाताओं ने बताया पूरा समीकरण
झाझा में मतदाताओं की राय बंटी हुई है। कुछ नीतीश कुमार के शासन को पसंद करते हैं, तो कुछ इसे 'महा जंगलराज' कहते हैं। अल्पसंख्यक नीतीश के साथ हैं, पर महिलाएं अभी तय नहीं कर पाई हैं। जाति के कारण विकास पीछे रह गया है। लोग सिर्फ दो दलों की बात कर रहे हैं। कुछ शांति चाहते हैं, तो कुछ बदलाव। प्रवासी मतदाता विकास को महत्व दे रहे हैं, पर कुछ मुफ्त योजनाओं को चुनावी चाल बता रहे हैं।

सत्यम कुमार सिंह, झाझा (जमुई)। कई वर्ग के मतदाताओं ने जहां नीतीश कुमार के कार्यकाल पर भरोसा जताया, वहीं कुछ ने इस शासनकाल को भ्रष्टाचार और महा जंगलराज की संज्ञा दे डाली। हालांकि, अल्पसंख्यक समुदाय का एक बड़ा वर्ग अब भी नीतीश के पक्ष में झुकाव रखता दिखा। महिलाओं के बीच अभी निर्णय स्पष्ट नहीं है।
जाति के रण में विकास कहीं गुम-सा दिखा। लोगों की जुबान पर सिर्फ दो दलों की चर्चा थी, अन्य दलों की बात लगभग नदारद रही। दो समुदायों के लोगों ने ऊपर देखकर (इशारे में) अपने मताधिकार के प्रयोग की बात कही, जबकि कई लोगों ने दबी जुबान में विकास के पक्ष में सहमति जताई।
एक विशेष वर्ग खुलकर अपने नेता के प्रति समर्थन प्रकट कर रहा था, वहीं दूसरा वर्ग अपने पत्ते खोलने और नाम बताने से परहेज कर रहा था। ये सभी बातें दैनिक जागरण की चुनाव बाइक एक्सप्रेस के दौरान सोमवार को झाझा से जिनहरा तक विभिन्न चौक-चौराहों पर लोगों से बातचीत में सामने आईं।
बाइक एक्सप्रेस का पहला पड़ाव बाराजोर रेलवे गुमटी पर हुआ, जहां ट्रेन गुजरने के कारण फाटक बंद था। बाइक सवार और अन्य लोग इंतजार में खड़े थे। जैसे ही चुनावी चर्चा शुरू हुई, कुछ लोग बोलने से कतराने लगे। इसी बीच एहसान अंसारी ने कहा कि हमें शांति और सद्भाव वाली सरकार चाहिए।
नीतीश कुमार के कार्यकाल में अमन-चैन रहा है। हालांकि, उन्होंने एनडीए के दूसरे दल (कमल प्रतीक वाले) के प्रति निराशा व्यक्त की पर नीतीश के कामकाज को सराहनीय बताया। उसी दौरान नागी डेम के कुछ युवा उत्साह से बोले, अबकी बार तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना है। मतदान ऊपर के चेहरे को देखकर होगा।
उनकी बातें सुनकर आसपास खड़े कई लोगों के चेहरे रौनक गुम हो गई। धौरिकवा मोड़ पर मु. जसीर, मु. जसीम और शमशाद सहित कई ग्रामीणों का समूह मिला। उन्होंने कहा कि एनडीए की सरकार ठीक है, लेकिन 20 साल हो गए, अब बदलाव जरूरी है।
वहीं, कुछ ग्रामीणों ने इशारों में बताया कि इस बार मतदान दो भागों में बंट सकता है। धमना मोड़ पर गुजरात से आए प्रवासी मतदाताओं ने कहा कि वे मतदान करने के बाद लौटेंगे। उन्होंने बिना कुछ कहे विकास पर मुहर लगाने के संकेत दिए।
वहीं, धमना गांव के ग्रामीण चिकित्सक सुरेश कुमार ने कहा कि राज्य में फिर से महा जंगलराज का दौर चल रहा है। उन्होंने 125 यूनिट बिजली फ्री और दस हजार रुपये महिलाओं के खाते में देने की घोषणा को चुनावी रणनीति करार दिया।
महिलाएं अब भी असमंजस में
सलैया गांव की चार महिलाएं धमना बाजार जा रही थीं। बबिता देवी ने कहा अभी फैसला नहीं हुआ कि किस दल को वोट देंगे, लेकिन चर्चा दोनों की है। वृद्धा रंगिया देवी ने नीतीश सरकार की वृद्धा पेंशन योजना की तारीफ करते हुए कहा हमारा मन बदलने वाला नहीं है।
बाजारों में हलचल, प्रत्याशियों का काफिला
मोहनपुर के समीप छापा गांव के एक पाउरोटी विक्रेता ने कहा यह मिली-जुली सरकार है, हर वर्ग का झुकाव अलग-अलग दल की ओर है। जिनहरा बाजार में महागठबंधन प्रत्याशी जयप्रकाश यादव का काफिला नजर आया।
युवाओं में उत्साह था, जबकि व्यापारी चुपचाप तमाशा देख रहे थे। सदानंद यादव ने कहा किसी एक दल को पूरा वोट नहीं मिलेगा, लोग विकास और शांति को प्राथमिकता देंगे। कई महिलाओं ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। यही स्थिति अन्य वर्गों में भी देखने को मिली।

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